Edited By Rahul Singh,Updated: 11 Dec, 2024 02:03 PM
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने मंगलवार को कहा कि उसने भारतीय नौसेना के साथ मिलकर गगनयान मिशन के लिए ‘वेल डेक’ रिकवरी ट्रायल सफलतापूर्वक किए हैं। यह ट्रायल भारत के महत्वाकांक्षी मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
बेंगलुरु: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने मंगलवार को कहा कि उसने भारतीय नौसेना के साथ मिलकर गगनयान मिशन के लिए ‘वेल डेक’ रिकवरी ट्रायल सफलतापूर्वक किए हैं। यह ट्रायल भारत के महत्वाकांक्षी मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
विशाखापत्तनम में हुआ 'वेल डेक' रिकवरी ट्रायल
यह ट्रायल 6 दिसंबर को भारतीय नौसेना के पूर्वी नौसैनिक कमान ने विशाखापत्तनम के तट पर किए। इन ट्रायल्स का मुख्य उद्देश्य क्रू मॉड्यूल की रिकवरी प्रक्रियाओं को परफेक्ट करना था, जिसमें वेल डेक शिप का उपयोग किया गया। यह मिशन की सुरक्षा प्रोटोकॉल का अहम हिस्सा है।
वेल डेक शिप क्या है?
ISRO के अनुसार, वेल डेक शिप एक प्रकार का जहाज होता है जिसकी डेक को पानी से भरा जा सकता है, जिससे नावों, लैंडिंग क्राफ्ट और अंतरिक्ष यानों को सुरक्षित रूप से डॉक और रिकवर किया जा सकता है। गगनयान मिशन के लिए यह तकनीक अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित और आरामदायक रिकवरी सुनिश्चित करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
ट्रायल्स में क्या हुआ?
ट्रायल्स के दौरान, एक क्रू मॉड्यूल के आकार और वजन का सिमुलेटर प्रयोग किया गया ताकि पूरी रिकवरी प्रक्रिया की जांच की जा सके। इसमें रिकवरी बुइयोट को जोड़ना, क्रू मॉड्यूल को खींचकर वेल डेक शिप में लाना, सही स्थान पर क्रू मॉड्यूल को रखना और फिर पानी को बाहर निकालना शामिल था।
ISRO का बयान
आईएसआरओ ने कहा, ‘‘हमारा मुख्य उद्देश्य रिकवरी समय को कम करना और क्रू के लिए न्यूनतम असुविधा सुनिश्चित करना है जब क्रू मॉड्यूल समुद्र में उतरता है। इन जटिल प्रक्रियाओं का अभ्यास करके, ISRO और भारतीय नौसेना दोनों अपने मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOPs) को सुधारने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि किसी भी स्थिति में रिकवरी सुनिश्चित की जा सके।”
गगनयान मिशन की तैयारी
ISRO ने बताया कि रिकवरी ऑपरेशन ट्रायल्स गगनयान मिशन की तैयारी का हिस्सा हैं और यह भारत को अंतरिक्ष में मानव भेजने के लक्ष्य को पूरा करने के और करीब लाते हैं।
प्रशिक्षण और रिकवरी योजना
मई 2023 में, ISRO और भारतीय नौसेना ने गगनयान क्रू मॉड्यूल की रिकवरी के लिए प्रशिक्षण योजना जारी की थी, जिसमें विभिन्न टीमों को शामिल किया गया है, जैसे कि नौसैनिक गोताखोर, MARCOs (मरीन कमांडो), चिकित्सा विशेषज्ञ, तकनीशियन और नौसेना के पायलट।
ISRO के अनुसार, रिकवरी प्रशिक्षण कई चरणों में किया जाएगा, जिसमें बिना मानव वाले यान से लेकर मानव वाले यान की रिकवरी तक की ट्रेनिंग शामिल है। इन ट्रायल्स में भारतीय नौसेना का योगदान अहम है, जो ISRO की मदद से गगनयान मिशन की तैयारी को अंतिम रूप दे रही है।