Edited By Pardeep,Updated: 29 Jan, 2025 06:13 AM
इसरो के 100वें मिशन जीएसएलवी-एफ 15 रॉकेट के साथ सैटेलाइट एनवीएस-02 को लॉन्च करने का काउंटडाउन शुरू हो गया है। स्वदेशी क्रायोजेनिक स्टेज वाले रॉकेट को 29 जनवरी को सुबह 6.23 बजे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉन्च पैड से प्रक्षेपित...
नेशनल डेस्कः इसरो के 100वें मिशन जीएसएलवी-एफ 15 रॉकेट के साथ सैटेलाइट एनवीएस-02 को लॉन्च करने का काउंटडाउन शुरू हो गया है। स्वदेशी क्रायोजेनिक स्टेज वाले रॉकेट को 29 जनवरी को सुबह 6.23 बजे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉन्च पैड से प्रक्षेपित किया जाएगा। 27 घंटे का काउंटडाउन पूरा करने के बाद रॉकेट सैटेलाइट को लेकर रवाना होगा। इसके साथ ही यह इसरो के नए अध्यक्ष वी नारायणन का पहला मिशन होगा।
इसरो ने बताया कि जीएसएलवी-एफ15, एनवीएस-02 सैटेलाइट को भू-स्थिर स्थानांतरण कक्षा में स्थापित करेगा। इसकी 27.30 घंटे की उल्टी गिनती मंगलवार सुबह 02.53 बजे शुरू हुई। इसरो के अनुसार, NavIC (नेविगेशन विद इंडियन कंस्टीलेशन) भारत का स्वतंत्र क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम है। इसका उद्देश्य भारत और भारतीय जमीन से 1,500 किमी तक फैले क्षेत्र में उपयोगकर्ताओं को सटीक पोजीशन, वेलोसिटी और टाइमिंग सेवाएं प्रदान करना है।
इसरो ने बताया कि यूआर सैटेलाइट सेंटर द्वारा डिजाइन और विकसित एनवीएस-02 उपग्रह का वजन लगभग 2250 किलोग्राम है। इसमें एल1, एल5 और एस बैंड में नेविगेशन पेलोड के साथ-साथ सी-बैंड में रेंजिंग पेलोड भी लगाया गया है, जैसा कि इसकी पहली पीढ़ी की सैटेलाइट एनवीएस-01 में था।
कम्यूनिकेशन और वेदर प्रिडिक्शन के लिए खास सैटेलाइट
GSLV-F15 रॉकेट के जरिए जाने वाले सैटेलाइट NVS-02 जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) तक पहुंचाएगा, जिसका सबसे पास वाला पॉइंट (Perigee) लगभग 200 किलोमीटर और सबसे दूर वाला पॉइंट (Apogee) लगभग 36,000 दूर है। यह एक हाईली एलिप्टिकल ऑर्बिट है, जो सैटेलाइट को जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में जाने के लिए सक्षम बनाती है। यह सैटेलाइट खास तौर पर कम्यूनिकेशन और वेदर प्रिडिक्शन के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इन्हें विशेष क्षेत्रों पर नज़र रखने की जरूरत होती है। आसान शब्दों में कहें तो इस ऑर्बिट में सैटेलाइट अपने ही स्थान पर स्थिर रहते हैं, जिससे वो किसी भी स्थान पर लगातार नज़र रख सकते हैं।