Edited By Rahul Rana,Updated: 11 Nov, 2024 09:56 AM
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO और अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने मिलकर एक बहुत ताकतवर सैटेलाइट तैयार किया है, जिसे NISAR (नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर राडार) कहा गया है। यह सैटेलाइट अगले साल की शुरुआत में अंतरिक्ष में भेजा जाएगा और यह पूरी दुनिया में आने...
नेशनल डेस्क। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO और अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने मिलकर एक बहुत ताकतवर सैटेलाइट तैयार किया है, जिसे NISAR (नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर राडार) कहा गया है। यह सैटेलाइट अगले साल की शुरुआत में अंतरिक्ष में भेजा जाएगा और यह पूरी दुनिया में आने वाली प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, भूस्खलन, जंगल की आग, चक्रवाती तूफान, हरिकेन, बारिश, ज्वालामुखी, और टेक्टोनिक प्लेट्स की हलचल पर नजर रखेगा। यह किसी भी आपदा के होने से पहले अलर्ट करेगा और इससे लोगों को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी।
NISAR सैटेलाइट की खासियत
- प्राकृतिक आपदाओं का अलर्ट: NISAR सैटेलाइट आने वाले भूकंप, तूफान, ज्वालामुखी, भूस्खलन, और अन्य प्राकृतिक घटनाओं के बारे में पहले ही जानकारी देगा। इसका रडार सिस्टम धरती की सतह के बदलावों को सेंटीमीटर के स्तर तक मापने में सक्षम होगा। इससे पता चलेगा कि कहां और कब कोई प्राकृतिक आपदा हो सकती है।
- भूकंपों की चेतावनी: NISAR टेक्टोनिक प्लेट्स की हलचल को रिकॉर्ड करेगा और इससे वैज्ञानिक यह अनुमान लगा सकेंगे कि भूकंप कब और कहां आ सकता है। यह सैटेलाइट धरती के एक चक्कर को 12 दिन में पूरा करेगा और हर 12 दिन बाद यह धरती की स्थिति की नई रिपोर्ट देगा।
NISAR सैटेलाइट का डिज़ाइन
NISAR सैटेलाइट में एक बड़ा मेन बस होगा, जिसमें विभिन्न इंस्ट्रूमेंट्स जैसे ट्रांसपोंडर्स, टेलीस्कोप और रडार सिस्टम होंगे। लॉन्च होने के कुछ घंटों बाद, एक सिलेंडर खुलेगा और इसमें एक बड़ी छतरी जैसी डिस्क एंटीना निकलेगी, जिसे सिंथेटिक अपर्चर रडार कहा जाता है। यह रडार सैटेलाइट को धरती के बदलावों का सटीक आकलन करने में मदद करेगा।
कैसे काम करेगा NISAR?
- एल और एस बैंड रडार: NISAR में दो प्रकार के रडार बैंड होंगे – एल और एस। ये रडार बैंड धरती पर पेड़-पौधों की वृद्धि, प्रकाश की कमी या ज्यादा होने के प्रभाव, और अन्य पर्यावरणीय बदलावों पर नजर रखेंगे।
- इंस्ट्रूमेंट्स का सहयोग: जहां एस-बैंड ट्रांसमीटर भारत ने विकसित किया है, वहीं एल-बैंड ट्रांसपोंडर NASA द्वारा तैयार किया गया है।
- प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा: यह सैटेलाइट बवंडर, तूफान, ग्लेशियरों का पिघलना, समुद्री तूफान, और जंगली आग जैसी घटनाओं का अलर्ट देगा। इसके अलावा, यह धरती के आसपास के अंतरिक्ष में बढ़ रहे कचरे और अन्य खतरों की भी जानकारी देगा।
NISAR की विशेषताएं
- दुनिया का सबसे महंगा सैटेलाइट: NISAR सैटेलाइट दुनिया का सबसे महंगा अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट होगा। इसकी निर्माण लागत लगभग 10,000 करोड़ रुपए आई है।
- प्राकृतिक आपदाओं का त्वरित अलर्ट: यह सैटेलाइट आने वाली आपदाओं के बारे में समय रहते जानकारी देगा, जिससे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने का समय मिलेगा।
- धरती की सतह पर बदलाव का अध्ययन: NISAR के जरिए यह भी पता चल सकेगा कि धरती की सतह पर क्या बदलाव हो रहे हैं और कौन से क्षेत्र आपदा के खतरे में हैं।
कहां से होगा लॉन्च?
NISAR सैटेलाइट को GSLV-MK2 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाएगा। यह लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से की जाएगी। सैटेलाइट और रॉकेट की कई बार टेस्टिंग हो चुकी है और सब कुछ सही पाए जाने के बाद इसे लॉन्च किया जाएगा।
NISAR का भविष्य
NISAR सैटेलाइट का मिशन पांच साल तक चलने की उम्मीद है, लेकिन यह आगे और भी लंबे समय तक काम कर सकता है। इसका उद्देश्य दुनिया भर में प्राकृतिक आपदाओं के प्रति सतर्कता बढ़ाना और समय रहते सूचना देकर लाखों लोगों की जान बचाना है।