'प्रधानमंत्री मोदी के विश्वासघात का जीता जागता स्मारक है मनरेगा', खरगे ने केंद्र पर लगाए गंभीर आरोप

Edited By rajesh kumar,Updated: 23 Aug, 2024 01:56 PM

it is a living monument of pm modi s betrayal and will die

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार पर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को लेकर उदासीन रवैया अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि मनरेगा की वर्तमान स्थिति ग्रामीण भारत के प्रति ‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के...

नेशनल डेस्क: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार पर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को लेकर उदासीन रवैया अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि मनरेगा की वर्तमान स्थिति ग्रामीण भारत के प्रति ‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विश्वासघात' का जीता जागता स्मारक है। खरगे ने यह आरोप भी लगाया कि मोदी सरकार ने सात करोड़ से अधिक श्रमिकों के जॉब कार्ड हटा दिए हैं।

सरकार ने 7 करोड़ से अधिक श्रमिकों के जॉब कार्ड हटा दिए
खरगे ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘2005 में, इसी दिन हमारी कांग्रेस-संप्रग सरकार ने ग्रामीण भारत के करोड़ों लोगों के लिए ‘काम का अधिकार' सुनिश्चित करने के वास्ते महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) लागू किया था। वर्तमान में, 13.3 करोड़ सक्रिय श्रमिक हैं जो कम मजदूरी, बेहद कम कार्य दिवस और जॉब कार्ड हटाए जाने की समस्या के बावजूद मनरेगा पर निर्भर हैं।'' उन्होंने आरोप लगाया कि प्रौद्योगिकी और आधार के उपयोग की आड़ में मोदी सरकार ने सात करोड़ से अधिक श्रमिकों के जॉब कार्ड हटा दिए हैं, जिससे ये परिवार मनरेगा के काम से वंचित हो गए हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि मनरेगा के लिए इस वर्ष का बजट आवंटन कुल बजटीय आवंटन का केवल 1.78 प्रतिशत है, जो योजना के वित्तपोषण में 10 साल का सबसे निचला स्तर है। उन्होंने दावा किया, "मोदी सरकार द्वारा कम आवंटन, योजना के तहत काम की मांग को दबाने में योगदान देता है। आर्थिक सर्वेक्षण ने यह दावा करते हुए पहले ही कम आवंटन को उचित ठहराने के लिए आधार तैयार कर दिया है कि मनरेगा की मांग जरूरी नहीं कि ग्रामीण संकट से संबंधित हो।"
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मोदी के विश्वासघात का जीता जागता स्मारक है मनरेगा 
खरगे के अनुसार, "हाल ही में संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि मनरेगा के तहत दी जाने वाली दैनिक मजदूरी अपर्याप्त है। उदाहरण के लिए, 2014 के बाद से, उत्तर प्रदेश में दैनिक मजदूरी दर प्रति वर्ष केवल चार प्रतिशत बढ़ी है, जबकि मुद्रास्फीति इससे कहीं अधिक है।" उन्होंने आरोप लगाया, " भले ही ग्रामीण मुद्रास्फीति लगातार 13 महीनों से शहरी मुद्रास्फीति से अधिक है, लेकिन ग्रामीण गरीबों के प्रति मोदी सरकार की उदासीनता जारी है। मनरेगा की वर्तमान स्थिति ग्रामीण भारत के प्रति प्रधानमंत्री मोदी के विश्वासघात का जीता जागता स्मारक है।" उल्लेखनीय है प्रधानमंत्री मोदी ने साल 2015 में लोकसभा में मनरेगा को कांग्रेस की असफलताओं का एक जीता जागता स्मारक बताया था।

 

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