बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा, लापता बच्चों और महिलाओं का पता लगाना सरकार का कर्तव्य

Edited By Parveen Kumar,Updated: 22 Aug, 2024 11:41 PM

it is the government s duty to trace missing children and women

बंबई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि लापता बच्चों और महिलाओं का पता लगाना सरकार का कर्तव्य है। मुख्य न्यायाधीश डी. के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र सरकार को ऐसे मामलों से निपटने...

नेशनल डेस्क : बंबई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि लापता बच्चों और महिलाओं का पता लगाना सरकार का कर्तव्य है। मुख्य न्यायाधीश डी. के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र सरकार को ऐसे मामलों से निपटने के लिए उठाए गए कदमों पर एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। अदालत ने मानव तस्करी रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) से भी जवाब मांगा तथा इसे रोकने के लिए महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग (एमएससीडब्ल्यू) से सुझाव आमंत्रित किए।

सांगली निवासी शाहजी जगताप की ओर से दायर जनहित याचिका में राज्य पुलिस को 2019 और 2021 के बीच महाराष्ट्र में लापता हुईं एक लाख से अधिक महिलाओं का पता लगाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। याचिका में लापता महिलाओं और बच्चों के मामलों में राज्य के अधिकारियों द्वारा बरती जा रही ‘निष्क्रियता' पर चिंता जताई गई है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता मंजरी पारसनीस ने बृहस्पतिवार को अदालत को सूचित किया कि जगताप की अपनी बेटी लापता है।

अधिवक्ता ने बताया कि बेटी की तलाश के दौरान उनके मुवक्किल को 14 मार्च, 2023 को लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा दिए गए आंकड़े मिले; जिसके मुताबिक महाराष्ट्र में लापता बच्चों की संख्या ‘बहुत अधिक' है। मंत्रालय के मुताबिक, 2019, 2020 और 2021 में, लापता बच्चों की संख्या क्रमशः 4,562, 3,356 और 4,129 थी। इसी तरह, इन तीन वर्षों में महाराष्ट्र में 18 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं के लापता होने के एक लाख से अधिक मामले सामने आए।

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि बच्चों और महिलाओं के लापता होने के कई कारण हो सकते हैं। पीठ ने कहा, ‘‘लेकिन उनका पता लगाना और उनकी सुरक्षा करना तथा यदि आवश्यक हो तो उन्हें सुरक्षित आश्रय देना राज्य का कर्तव्य है। लापता बच्चों और महिलाओं की इतनी बड़ी संख्या का एक कारण संभवतः मानव तस्करी का खतरा है, जिसके लिए सभी सरकारी विभागों, पुलिस, रेलवे और अन्य विभागों के सभी अधिकारियों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।'' उच्च न्यायालय ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए चार अक्टूबर की तारीख तय की है।

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