Edited By Harman Kaur,Updated: 27 Feb, 2025 06:11 PM
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जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने कहा है कि खराब सड़क की हालत के बावजूद टोल टैक्स वसूलना अनुचित है। अदालत ने राष्ट्रीय राजमार्ग 44 (NH-44) पर पड़ने वाले दो टोल प्लाजा पर टोल टैक्स में 80% की कटौती करने का आदेश दिया है। अदालत ने यह आदेश एक...
नेशनल डेस्क: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने कहा है कि खराब सड़क की हालत के बावजूद टोल टैक्स वसूलना अनुचित है। अदालत ने राष्ट्रीय राजमार्ग 44 (NH-44) पर पड़ने वाले दो टोल प्लाजा पर टोल टैक्स में 80% की कटौती करने का आदेश दिया है। अदालत ने यह आदेश एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान दिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि निर्माण के कारण सड़क की हालत खराब हो गई है और यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
'टोल टैक्स का उद्देश्य अच्छे और सुरक्षित रास्ते प्रदान करना है'
मुख्य न्यायाधीश ताशी राबस्तान और न्यायमूर्ति एमए चौधरी की पीठ ने कहा कि यदि सड़क की हालत खराब है, तो टोल टैक्स वसूलना सही नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि टोल टैक्स का उद्देश्य यात्रियों को अच्छे और सुरक्षित रास्ते प्रदान करना है, लेकिन खराब सड़क की स्थिति में ऐसा नहीं हो पा रहा है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि पठानकोट से उधमपुर तक का लगभग 60-70% हिस्सा दिसंबर 2021 से निर्माणाधीन है, जिससे यात्रा में समय की बर्बादी और अतिरिक्त खर्च हो रहा है। अदालत ने यह स्वीकार किया कि अधिकांश जगहों पर सड़क की स्थिति खराब है, और यातायात के लिए डायवर्जन दिए गए हैं।
निर्माणाधीन सड़क पर टोल टैक्स में कटौती
कोर्ट ने आदेश दिया कि राष्ट्रीय राजमार्ग 44 पर लखनपुर और बन्न टोल प्लाजा पर टोल टैक्स 80% कम किया जाए। इसके अलावा, इस मुद्दे पर अधिकारियों को यह निर्देश भी दिया कि जब तक सड़क का निर्माण पूरा नहीं हो जाता, तब तक टोल संग्रह को स्थगित कर दिया जाए।
कोर्ट ने आगे कहा कि टोल प्लाजा पर कर्मचारियों की सुरक्षा की जांच की जाए और किसी भी आपराधिक पृष्ठभूमि वाले कर्मचारी को तैनात न किया जाए। अदालत ने यह भी कहा कि टोल प्लाजा के बीच की दूरी 60 किलोमीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। साथ ही, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में ऐसे टोल प्लाजा की संख्या में वृद्धि नहीं की जानी चाहिए, जिनका मुख्य उद्देश्य जनता से पैसा वसूलना हो।