mahakumb

Maha Kumbh 2025: महाकुंभ पहुंचे विदेशी संत कर रहे सनातन धर्म का वैश्विक प्रचार, मॉरीशस की जगद्गुरु साईं मां ने खींचा ध्यान

Edited By Tanuja,Updated: 19 Jan, 2025 12:05 PM

jagadguru sai maa lakshmi devi takes shahi snan

महाकुंभ केवल भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का उत्सव नहीं है, बल्कि यह दुनिया भर में सनातन धर्म के महत्व को भी प्रदर्शित करता है। प्रयागराज के महाकुंभ के सेक्टर 17 में आयोजित एक विशेष मुक्तिधाम कैंप में ...

International Desk: महाकुंभ केवल भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का उत्सव नहीं है, बल्कि यह दुनिया भर में सनातन धर्म के महत्व को भी प्रदर्शित करता है। प्रयागराज के महाकुंभ के सेक्टर 17 में आयोजित एक विशेष मुक्तिधाम कैंप में करीब 40 साधु-संत पहुंचे हैं, जिनमें अमेरिका, फ्रांस और अन्य पश्चिमी देशों से आए संत भी शामिल हैं। यह कैंप आध्यात्मिक गुरु साईं मां लक्ष्मी देवी मिश्रा द्वारा चलाया जा रहा है, जो कि जगद्गुरु के पद पर आसीन हैं। इस कैंप में नौ महामंडलेश्वर हैं, जिनमें तीन महिलाएं भी शामिल हैं। इन संतों का उद्देश्य विदेशों में सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करना है। इनमें से कई पीएचडी धारक, साइकोलॉजिस्ट, म्यूजिशियन और इंजीनियर हैं। इनकी उम्र भी विभिन्न है कुछ की उम्र 40 वर्ष तो कुछ की 75 वर्ष है। ये संत अपनी शिक्षा और अनुभव के माध्यम से दुनियाभर में सनातन धर्म को फैलाने में जुटे हैं।

PunjabKesari
साईं मां, जो आध्यात्मिकता में पीएचडी धारक हैं, एक प्रेरक वक्ता भी हैं। उन्होंने अपनी गहरी बुद्धि और गतिशील उपस्थिति से विश्वभर के दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया है। उन्होंने विश्व धर्म संसद, इटली में पोप के ग्रीष्मकालीन निवास पर संवाद में, और दलाई लामा और थिच नहत हान जैसे महान आध्यात्मिक दिग्गजों के साथ मंच साझा किया है। साईं मां की एक पुस्तक Conscious Living: The Power of Embracing Your Authentic You भी प्रकाशित हो चुकी है, जिसे पांच भाषाओं में अनुवादित किया गया है। जगद्गुरु साईं मां प्रयागराज महाकुंभ में एक महीने तक कल्पवास करेंगी और शिविर में यज्ञ और अनुष्ठान आयोजित करेंगी। 

 

जगद्गुरु साईं मां, जिनका जन्म मॉरीशस में एक हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ था, ने अपना जीवन सनातन धर्म के शाश्वत ज्ञान को विश्वभर में फैलाने के लिए समर्पित कर दिया। 2007 में प्रयाग अर्धकुंभ में वैष्णव साधु समाज द्वारा उन्हें जगद्गुरु की उपाधि से सम्मानित किया गया था। 2019 में प्रयागराज में हुए कुंभ मेले में साईं मां के नौ ब्रह्मचारियों को महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई। यह सम्मान एक अंतरराष्ट्रीय समूह को पहली बार दिया गया था। साईं मां ने अमेरिका, जापान, कनाडा, यूरोप, इजराइल और दक्षिण अमेरिका में आध्यात्मिक केंद्रों की स्थापना को प्रेरित किया। उनके शिक्षा और प्रथाओं के माध्यम से लोगों को एकजुट करने का कार्य हो रहा है। वे शक्तिशाली यज्ञों और प्राचीन वैदिक अनुष्ठानों के माध्यम से समुदायों और मानवता को शुद्ध और उन्नत करने में सक्रिय हैं। 

PunjabKesari

 

महाकुंभ के इस विशेष अवसर पर, दुनिया के 40 से अधिक देशों से आए संतों, महामंडलेश्वरों और शिष्यों ने संगम में डुबकी लगाकर इसे अपनी आध्यात्मिकता का प्रतीक बना दिया। अमेरिका, कनाडा, जापान, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, यूके, चिली और मॉरीशस जैसे देशों से आए संतों का एक बड़ा समूह निर्मोही अनी अखाड़ा की शोभायात्रा में शामिल हुआ।  कनाडा से आई एलोडी बर्थोमियु ने कहा, “महाकुंभ का हिस्सा बनकर मैं अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण क्षण का अनुभव कर रही हूं।” अमेरिका की सिंथिया पीटर्स ने कहा, “संगम में अमृत स्नान करना मेरे लिए अद्भुत अनुभव था।” 

 

ऑस्ट्रेलिया की आई केरी मेरियट ने संगम में स्नान करते हुए कहा, “जो ऊर्जा मैंने महसूस की, वह मेरे लिए जीवनभर की आध्यात्मिक प्रेरणा रहेगी।” स्विट्जरलैंड से आए विवियन केम्पफेन ने इसे अपने जीवन का दिव्य अनुभव बताया। जापान की रेइको ह्योदो ने कहा, "मैंने हमेशा ध्यान और योग के माध्यम से भारतीय संस्कृति को समझने की कोशिश की, लेकिन यहां आकर इसे अपनी आत्मा में महसूस किया।"थाईलैंड के बैंकॉक से आए डेंटल सर्जन डॉ. ता अपनी मां वोंग और बहन वा के साथ भारत की प्राचीन परंपराओं और अध्यात्म का अनुभव करने पहुंचे। वे पवित्र स्नान का हिस्सा बने। ता ने कहा, "हम भारत की प्राचीन परंपराओं और अध्यात्म को महसूस करने के लिए यहां आए हैं। मेरी मां की हमेशा से इच्छा थी कि वह महाकुंभ का दृश्य अपनी आंखों से देखें।"

PunjabKesari
 
जर्मनी से आए स्टाइडलर ने रुद्राक्ष की माला धारण करके संगम में डुबकी लगाई और इसे अपने जीवन का अकल्पनीय अनुभव बताया। भारतीय अध्यात्म और संस्कृति में गहरी रुचि रखने वाले स्टाइडलर ने कहा, “यह अनुभव केवल शरीर को शुद्ध करने का नहीं, बल्कि आत्मा को एक नई ऊर्जा से भर देने जैसा था। रुद्राक्ष धारण करते ही मैंने मानसिक शांति और ऊर्जा का अहसास किया, और स्नान ने इसे और गहरा कर दिया।” महाकुंभ 2025 ने न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सोशल मीडिया पर भी एक बड़ा प्रभाव छोड़ा। त्रिवेणी तट पर पहले अमृत स्नान के दौरान श्रद्धालुओं की प्रतिक्रियाएं, फोटो और वीडियो वायरल हो गए। यह आयोजन ट्विटर (अब एक्स) पर ट्रेंड करने लगा और #महाकुंभ और #अमृत स्नान के हैशटैग्स ने वायरल होकर देशभर में सुर्खियां बटोरीं। शाम सात बजे तक 14,000 से अधिक पोस्ट इस हैशटैग पर डाले गए और रात में यह भारत में टॉप ट्रेंड पर रहा। 

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!