जामा मस्जिद में रमज़ान की रौनक, इफ़्तार के लिए उमड़ी रोज़ेदारों की भीड़

Edited By Rahul Rana,Updated: 22 Mar, 2025 02:36 PM

jama masjid celebrates ramadan with fervour crowd of devotees gathers for iftar

राष्ट्रीय राजधानी में स्थित जामा मस्जिद पर इन दिनों रमज़ान की रौनक है और न केवल दिल्लीवाले बल्कि दूर दराज के इलाकों से सैंकड़ों लोग रोजाना शाम को यहां इफ़्तार के लिए पहुंच रहे हैं उत्तर प्रदेश में कैराना के रहने वाले मोहम्मद सद्दाम की हाल में शादी...

नेशनल डेस्क: राष्ट्रीय राजधानी में स्थित जामा मस्जिद पर इन दिनों रमज़ान की रौनक है और न केवल दिल्लीवाले बल्कि दूर दराज के इलाकों से सैंकड़ों लोग रोजाना शाम को यहां इफ़्तार के लिए पहुंच रहे हैं उत्तर प्रदेश में कैराना के रहने वाले मोहम्मद सद्दाम की हाल में शादी हुई है और वह अपनी पत्नी की ख्वाहिश पूरी करने के लिए अपने घर से करीब 110 किलोमीटर दूर दिल्ली की जामा मस्जिद में उन्हें इफ़्तार (व्रत खोलना) कराने के लिए लाए हैं। सद्दाम का कहना था कि उन्होंने ऐतिहासिक जामा मस्जिद में पत्नी के साथ इफ़्तार करने की बात घर में किसी को नहीं बताई है।

यहां इफ़्तार करने की ख्वाहिश के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि मस्जिद में रोज़ेदारों की काफी रौनक रहती है और लोग मिल बांटकर इफ़्तार करते हैं। 17वीं सदी की इस मुगलकालीन मस्जिद की क्षमता करीब पच्चीस हजार की है और इफ़्तार के वक्त यहां पैर रखने की भी जगह नहीं होती। इफ़्तार के लिए लोग शाम पांच बजे से ही मस्जिद पहुंचने लगते हैं ताकि जगह मिलने में दिक्कत न हो। दिल्ली के सीमापुरी, नांगलोई, ओखला,तुगलकाबाद, महरौली यहां तक की नोएडा और गाजियाबाद तक से लोग जामा मस्जिद इफ़्तार करने पहुंचते हैं। उत्तर प्रदेश के संभल के रहने वाले और यहां नीट परीक्षा की तैयारी कर रहे मोहम्मद अलतमश पहली बार इफ़्तार करने के लिए जामा मस्जिद आए हैं। 

यहां इफ़्तार करने की उनकी दिली तमन्ना थी। वह अपने चार दोस्तों के साथ इफ़्तारी का सामान भी लाए जिनमें खजूर, फल और कुछ पकौड़े शामिल थे। अलतमश के लिए ये एक बेहद खूबसूरत अनुभव रहा, क्योंकि मस्जिद पूरी तरह से भरी हुई थी और लोगों ने एक दूसरे के साथ मिल बांट कर रोज़ा खोला। मस्जिद में ऐसे भी कई रोज़ेदार आते हैं जिनके पास खाने-पीने का सामान नहीं होता। उनके लिए मस्जिद में ऐसे दस्तरखान लगाए जाते हैं जहां वे रोज़ा इफ़्तार कर सकें।

ऐसे लोगों को इफ़्तार कराने में जुटे सलाहुद्दीन ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि उनके परिवार के लोग चार पीढ़ी से मस्जिद में रोज़ेदारों के लिए इफ़्तार की व्यवस्था करते आ रहे हैं। वाहनों के कलपुर्जों का काम करने वाले सलाहुद्दीन ने कहा कि गेट नंबर एक के पास लगने वाले उनके दस्तरखान पर कोई भी शख्स चाहे, वह किसी भी मजहब का हो, इफ़्तार कर सकता है। सलाहुद्दीन पहले रोज़े से लेकर आखिरी रोज़े तक मस्जिद में रोज़ाना करीब 200-250 लोगों को इफ़्तार कराते हैं। वह इफ़्तार में लोगों को सेब, केला, खजूर और जूस आदि देते हैं। इसी तरह मोहम्मद उजैर अपने साथियों के साथ मिलकर करीब 15 साल से हर रमजान में लोगों को इफ़्तार कराते आ रहे हैं। वह कहते हैं कि गेट नंबर तीन के पास वह रोज़ाना करीब 300-400 लोगों के लिए इफ़्तार की व्यवस्था करते हैं जिसमें समोसा, पनीर पकौड़ा, गुलाब जामुन, केला, सेब और शिकंजी दी जाती है। उजैर ने इसके लिए खासतौर पर अपना हलवाई रखा हुआ है जो रोज़ाना इफ़्तारी का सामान बनाता है। 

इस्लाम में, रोज़ेदार को इफ़्तार कराना सवाब (पुण्य) का काम माना जाता है। हदीस (पैगंबर मोहम्मद की शिक्षाओं) के मुताबिक, जो व्यक्ति किसी रोज़ेदार को खाना खिलाता है, उसे रोज़ेदार के बराबर सवाब मिलता है। लक्ष्मीनगर के रहने वाले सैफ 100 पैकेट जूस लाए हैं और यहां रोज़ेदारों को बांट रहे हैं। गाजियाबाद के रहने वाले शाहनवाज़ कहते हैं कि बड़ी मस्जिद में रोज़ा खोलना बहुत अच्छा लगता है। यहां की सबसे खास बात यह है कि अगर किसी के पास इफ़्तारी का सामान न भी हो तो भी यहां इतने दस्तरखान लगते हैं कि वह कहीं भी इफ़्तार कर सकता है।

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!