Edited By Anu Malhotra,Updated: 09 Jan, 2025 11:00 AM
"बच्चे कम पैदा हो रहे हैं..." इस समस्या से जूझते हुए जापान की सरकार ने कर्मचारियों के लिए एक नई पहल की घोषणा की है। टोक्यो गवर्नर युरिको कोइके ने बताया कि अगले साल अप्रैल से कर्मचारियों को सप्ताह में 3 दिन की छुट्टी लेने का विकल्प मिलेगा, ताकि वे...
नेशनल डेस्क: "बच्चे कम पैदा हो रहे हैं..." इस समस्या से जूझते हुए जापान की सरकार ने कर्मचारियों के लिए एक नई पहल की घोषणा की है। टोक्यो गवर्नर युरिको कोइके ने बताया कि अगले साल अप्रैल से कर्मचारियों को सप्ताह में 3 दिन की छुट्टी लेने का विकल्प मिलेगा, ताकि वे बच्चों के पालन-पोषण में अधिक समय दे सकें और परिवार जीवन को बेहतर बना सकें।
टोक्यो की गवर्नर युरिको कोइके ने ऐलान किया कि अप्रैल 2025 से कर्मचारियों को तीन दिन की छुट्टी लेने का विकल्प मिलेगा, ताकि वे अपने परिवार और बच्चों के पालन-पोषण में अधिक समय दे सकें।
जापान में पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि बच्चे पैदा करने के मामले में कमी आई है, और इसका एक मुख्य कारण करियर के साथ परिवार को संभालने में आने वाली कठिनाइयाँ हैं। लोग अपने बच्चों की देखभाल के लिए अक्सर अपनी नौकरी छोड़ने पर मजबूर हो जाते हैं, जिससे देश का प्रजनन दर और भी खराब हो गया है। इसे ध्यान में रखते हुए स्थानीय प्रशासन ने कई नई नीतियाँ अपनाई हैं ताकि जापानी जोड़ों को बच्चों के जन्म के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
गवर्नर कोइके ने इस पहल के बारे में बताते हुए कहा कि यह योजना कार्यस्थल पर लचीलापन लाने और महिलाओं को करियर और परिवार के बीच संतुलन बनाने का अवसर देने के लिए है। उनके मुताबिक, यह कदम सुनिश्चित करेगा कि कोई भी कर्मचारी बच्चों के पालन-पोषण के कारण अपना करियर न छोड़ने के लिए मजबूर हो।
इसके अलावा, यह पहल उन माता-पिता के लिए भी सहायक होगी जिनके बच्चे प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाई कर रहे हैं। उन्हें काम के घंटे कम करने का विकल्प दिया जाएगा, जिससे उनके वेतन में संतुलित कटौती की जाएगी। जापान में पिछले साल सिर्फ 727,277 जन्म दर्ज किए गए थे, जो ओवरटाइम कार्य संस्कृति के कारण कम हुए हैं। यहाँ महिलाओं को करियर और परिवार के बीच चुनने के लिए मजबूर किया जाता है, जो जन्म दर को प्रभावित करता है।
वैश्विक स्तर पर, 2022 में 4 डे-वीक ग्लोबल द्वारा चार दिन के Work-Week को आजमाया गया था, जिसमें 90% से अधिक कर्मचारियों ने इसे बनाए रखने की इच्छा जताई थी। अन्य एशियाई देशों, जैसे सिंगापुर, ने भी काम के घंटे में लचीलापन लाने पर जोर दिया है, ताकि कर्मचारियों को बेहतर संतुलन मिल सके।