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जेपी नड्डा का कांग्रेस पर वार, बोले- आपातकाल केवल कुर्सी के लिए था, देश के लिए नहीं

Edited By Radhika,Updated: 17 Dec, 2024 01:47 PM

jp nadda says  emergency was only for the chair not for the country

मंगलवार को राज्यसभा में संविधान में हुई बहस पर केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर वार किया है। उन्होंने कांग्रेस पर वार करते हुए कहा कि, 'आपातकाल लगाए जाने के अगले साल 50 साल हो जाएंगे। हम लोकतंत्र विरोधी दिवस मनाएंगे।

नेशनल डेस्क: मंगलवार को राज्यसभा में संविधान में हुई बहस पर केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर वार किया है। उन्होंने कांग्रेस पर वार करते हुए कहा कि, 'आपातकाल लगाए जाने के अगले साल 50 साल हो जाएंगे। हम लोकतंत्र विरोधी दिवस मनाएंगे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को इसमें शामिल होना चाहिए और लोगों से अपील करनी चाहिए कि आपातकाल के दौरान 50 वर्षों तक लोकतंत्र का गला घोंटने का कुटिल प्रयास किया गया था। अगर आपके दिल में उनके लिए कहीं भी दया है, अगर आपके दिल में कहीं भी पछतावा है, तो मैं आपसे अपील करता हूं कि आप 25 जून 2025 को लोकतंत्र विरोधी दिवस में जरूर शामिल हों।' उन्होंने यह भी कहा, 'आपातकाल क्यों लगाया गया? क्या देश खतरे में था? नहीं, देश खतरे में नहीं था। कुर्सी खतरे में थी। यह केवल कुर्सी के बारे में था। इसके चलते पूरा देश अंधेरे में डूब गया।'

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लोकतंत्र को लेकर दिया ये बयान- 

लोकतंत्र को लेकर नड्डा ने कहा कि, 'हम जो त्योहार मनाते हैं, वह एक प्रकार से संविधान के प्रति हमारे समर्पण, संविधान के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को मजबूत करता है। मुझे विश्वास है कि हम इस अवसर का सदुपयोग कर राष्ट्रीय लक्ष्य को पूरा करेंगे। हम सभी जानते हैं कि भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र है, लेकिन जैसा कि हमारे प्रधानमंत्री ने कहा कि यह न केवल सबसे बड़ा लोकतंत्र है, बल्कि यह लोकतंत्र की जननी भी है।'

उन्होंने कहा, 'जब हम संस्कृति की बात करते हैं तो कई बार लोग यह महसूस करते हैं कि हम प्रगतिशील नहीं हैं। मैं उनका ध्यान इस ओर दिलाना चाहता हूं कि संविधान की मूल प्रति में अजंता और एलोरा की गुफाओं की भी छाप थी। हम उस पर कमल की छाप भी देखते हैं। कमल इस बात को दर्शाता है कि कीचड़ और दलदल से बाहर आने और आजादी के लिए लड़ने के बाद, हम एक नई सुबह और नए संविधान के साथ खड़े होने के लिए तैयार हैं। इसलिए हमारा संविधान भी कमल से हमें यह प्रेरणा देता है कि तमाम परेशानियों के बावजूद हम लोकतंत्र को मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।'

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