Edited By Parminder Kaur,Updated: 11 Nov, 2024 10:29 AM
आज सुबह न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने भारत के 51वें मुख्य न्यायधीश के रूप में कार्यभार संभाला। उन्होंने न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की जगह ली, जो कल देश के सर्वोच्च न्यायिक पद से सेवानिवृत्त हो गए थे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 64 वर्षीय न्यायधीश को...
नेशनल डेस्क. आज सुबह न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने भारत के 51वें मुख्य न्यायधीश के रूप में कार्यभार संभाला। उन्होंने न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की जगह ली, जो कल देश के सर्वोच्च न्यायिक पद से सेवानिवृत्त हो गए थे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 64 वर्षीय न्यायधीश को राषट्रपति भवन में एक समारोह के दौरान पद की शपथ दिलाई।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का जन्म दिल्ली में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मॉडर्न स्कूल, बाराखंभा रोड से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने सेंट स्टीफेंस कॉलेज में दाखिला लिया। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की। न्यायमूर्ति खन्ना का परिवार भी न्यायिक क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। उनके पिता न्यायमूर्ति देव राज खन्ना दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायधीश थे, जबकि उनकी मां सरोज खन्ना लेडी श्रीराम कॉलेज में लेक्चरर थीं। उनके चाचा न्यायमूर्ति हंसराज खन्ना सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश थे और वे आपातकाल के दौरान अपने अल्पमत फैसले के लिए प्रसिद्ध हैं। न्यायमूर्ति हंसराज खन्ना ने वह ऐतिहासिक फैसले में असहमति जताई थी, जिसमें यह कहा गया था कि व्यक्ति के गैरकानूनी हिरासत से बचाव का अधिकार राज्य के हित में निलंबित किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति खन्ना का न्यायिक करियर
न्यायमूर्ति खन्ना ने वकील के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी। बाद में 2005 में उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट में न्यायधीश के रूप में नियुक्त किया गया। वे 2019 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश बने। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं। इनमें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की पवित्रता को बनाए रखना, जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को रद्द करना और चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित करना शामिल हैं।
अब मुख्य न्यायधीश के रूप में आगे की दिशा
अब मुख्य न्यायधीश के रूप में न्यायमूर्ति खन्ना को भारतीय न्यायपालिका के सबसे बड़े पद पर कार्य करते हुए कई महत्वपूर्ण फैसले लेने होंगे। उनका कार्यकाल भले ही छोटा हो, लेकिन उनकी न्यायिक समझ और फैसलों की स्पष्टता उन्हें भारतीय न्यायिक इतिहास में एक प्रमुख स्थान दिलाएगी।