Edited By Mahima,Updated: 21 Dec, 2024 09:47 AM
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की सरकार संकट के दौर से गुजर रही है। महंगाई, आवास संकट और विपक्षी दलों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना से उनकी स्थिति कमजोर हो गई है। ट्रूडो ने इस्तीफा देने से इनकार किया है, लेकिन बढ़ते दबाव के बीच उनके...
नेशनल डेस्क: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के लिए अब तक का राजनीतिक जीवन संकट के दौर से गुजर रहा है। पिछले नौ वर्षों में उनके नेतृत्व में लिबरल पार्टी ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विवादों का सामना किया, लेकिन अब उनकी सरकार के खिलाफ विरोध और असंतोष इतना बढ़ चुका है कि उनका पद संकट में पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। भारत से विवाद, महंगाई, आवास संकट और विपक्षी दलों के दबाव के बीच उनके इस्तीफे की मांग तेज हो गई है।
जनता की बढ़ती नाराजगी और विपक्षी दलों का हमला
कनाडा में ट्रूडो की सरकार का समर्थन हाल के महीनों में गंभीर रूप से घटा है। विभिन्न सर्वेक्षणों में यह स्पष्ट हो चुका है कि जनता उनकी सरकार से असंतुष्ट है। महंगाई, उच्च कीमतें, और खासतौर पर आवास संकट जैसे मुद्दे उनके खिलाफ जनता के गुस्से का कारण बने हैं। इसके साथ ही, कनाडा में बढ़ते अपराध और सरकारी नीतियों की आलोचना ने उनकी स्थिति को और कमजोर किया है। इन मुद्दों ने सरकार के खिलाफ जनता में असंतोष का माहौल बना दिया है। इसके अलावा, भारत से संबंधों में भी खटास आई है, जिसने ट्रूडो सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं। इसके अलावा, जगमीत सिंह की अगुवाई वाली न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) जो कभी ट्रूडो की सहयोगी पार्टी थी, अब उनके खिलाफ एकजुट हो गई है। जगमीत सिंह ने हाल ही में यह घोषणा की थी कि वे 27 जनवरी 2024 को हाउस ऑफ कॉमन्स में औपचारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव पेश करेंगे। सिंह ने कहा कि इस समय कनाडा में लिबरल पार्टी की सरकार का कार्यकाल खत्म हो चुका है और अब इस सरकार का कोई उद्देश्य नहीं रह गया है।
अविश्वास प्रस्ताव और विपक्षी दलों का एकजुट रुख
जगमीत सिंह के नेतृत्व में NDP ने ट्रूडो सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया है। सिंह ने बताया कि उन्होंने इस अविश्वास प्रस्ताव को विपक्षी दलों के साथ मिलकर लाने की योजना बनाई है। ब्लॉक क्यूबेकॉइस और कंजर्वेटिव पार्टी जैसे अन्य विपक्षी दल भी इस प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए तैयार हैं। यदि यह प्रस्ताव सदन में पास हो जाता है, तो कनाडा में आम चुनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जो ट्रूडो के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।
महंगाई, आवास संकट और खालिस्तानी समर्थन
ट्रूडो सरकार की गिरती लोकप्रियता के पीछे कई कारण हैं, लेकिन सबसे प्रमुख कारण महंगाई और आवास संकट है। कनाडा में पिछले कुछ वर्षों में महंगाई की दर लगातार बढ़ी है, जिसके कारण रोजमर्रा की चीजों की कीमतें आसमान छूने लगी हैं। खाद्य वस्तुओं से लेकर पेट्रोल तक, सबकी कीमतें सामान्य जनता के लिए बोझ बन चुकी हैं। इसके अलावा, आवास संकट ने भी लोगों को परेशान कर रखा है। बढ़ती कीमतों और घरों की कमी के कारण लोगों को अपना घर खरीदने में कठिनाई हो रही है, जिससे ट्रूडो सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ी है। इसी दौरान, ट्रूडो सरकार पर खालिस्तानी समर्थक नेताओं को समर्थन देने का आरोप भी लग चुका है, जिसने भारत-कनाडा रिश्तों को और तनावपूर्ण बना दिया है। भारत ने कई बार इस मुद्दे पर कनाडा से नाराजगी जताई है और ट्रूडो की सरकार पर खालिस्तानी आतंकवादियों को आश्रय देने का आरोप लगाया है। यह विवाद कनाडा की अंतरराष्ट्रीय छवि पर भी असर डाल रहा है और ट्रूडो सरकार के लिए एक और राजनीतिक संकट बन गया है।
ट्रूडो का इस्तीफे से इनकार, कैबिनेट फेरबदल और आगे की रणनीति
इन सभी घटनाक्रमों के बीच, जस्टिन ट्रूडो ने साफ कहा है कि वे इस्तीफा नहीं देंगे। ट्रूडो ने मीडिया से बात करते हुए यह स्पष्ट किया कि वह अपनी पार्टी का नेतृत्व करते हुए आगामी चुनाव में उतरेंगे। इसके अलावा, उन्होंने हाल ही में अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल भी किया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि वे सरकार को स्थिर रखने के लिए सक्रिय हैं। इस फेरबदल में कुछ नए चेहरों को शामिल किया गया है और कुछ पुराने मंत्रियों को उनके पदों से हटाया गया है। यह कदम ट्रूडो के इस इरादे को दर्शाता है कि वह सरकार को मजबूत बनाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। हालांकि, इसके बावजूद पार्टी के अंदर ही कुछ विधायकों ने उन्हें पद छोड़ने के लिए कहा है। करीब 20 लिबरल पार्टी के सांसदों ने सार्वजनिक रूप से ट्रूडो से इस्तीफा देने का आग्रह किया है, और कुछ ने तो इस बात को खुलकर स्वीकार किया कि अगर ट्रूडो इस्तीफा नहीं देते, तो पार्टी को भारी नुकसान हो सकता है।
क्या लिबरल पार्टी को अंतरिम नेतृत्व के साथ चुनाव लड़ना पड़ेगा?
अगर ट्रूडो इस्तीफा देने का निर्णय लेते हैं, तो लिबरल पार्टी को बिना स्थायी नेता के चुनाव लड़ना पड़ सकता है। इससे पार्टी के अंदर एक और उथल-पुथल की स्थिति पैदा हो सकती है, क्योंकि लिबरल पार्टी के पास फिलहाल कोई स्पष्ट अंतरिम नेता नहीं है जो पार्टी को एकजुट कर सके। यह पार्टी के लिए एक असामान्य और चुनौतीपूर्ण स्थिति होगी, क्योंकि पिछले कई दशकों से लिबरल पार्टी का नेतृत्व ट्रूडो के पास ही था।
ट्रूडो के भविष्य पर अनिश्चितता
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के लिए आगामी दिन बेहद चुनौतीपूर्ण हैं। उनकी सरकार के खिलाफ बढ़ता असंतोष, महंगाई और आवास संकट जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे, विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए अविश्वास प्रस्ताव, और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के कारण उनकी स्थिति काफी कमजोर हो गई है। हालांकि, ट्रूडो का कहना है कि वह इस्तीफा नहीं देंगे और आगामी चुनाव में अपनी पार्टी का नेतृत्व करेंगे, लेकिन पार्टी और सरकार के भीतर लगातार बढ़ता दबाव उनके भविष्य पर सवाल उठाता है। क्या ट्रूडो अपनी सरकार को बचा पाएंगे, या फिर उन्हें इस्तीफा देना पड़ेगा? यह सवाल आने वाले दिनों में और अधिक महत्वपूर्ण हो जाएगा।