सबसे मुश्किल युद्धों में से है कारगिल वॉर, महानायकों की कहानियों को पाठ्यक्रम में जगह दें, शहीद विक्रम बत्रा के पिता ने PM मोदी से की अपील

Edited By Utsav Singh,Updated: 22 Jul, 2024 08:43 PM

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कारगिल युद्ध के हीरो शहीद विक्रम बत्रा के पिता ने सुझाव दिया है कि महानायकों की कहानियों को किताबों में विस्तार से शामिल किया जाना चाहिए, ताकि देश के युवा उनसे प्रेरणा प्राप्त कर सकें। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि वे इस पर...

नेशनल डेस्क : कारगिल युद्ध के हीरो शहीद विक्रम बत्रा के पिता ने सुझाव दिया है कि महानायकों की कहानियों को किताबों में विस्तार से शामिल किया जाना चाहिए, ताकि देश के युवा उनसे प्रेरणा प्राप्त कर सकें। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि वे इस पर ध्यान दें और कारगिल युद्ध और देश के सुपरहीरोज की कहानियों को एनसीईआरटी की सामाजिक विज्ञान की पाठ्य पुस्तकों में शामिल करें। विक्रम बत्रा का नाम देशभर में मशहूर है। यही नाम कारगिल युद्ध के हीरो के रूप में हर किसी की जुबान पर था। विक्रम बत्रा ने इस युद्ध में पाकिस्तान को करारा जवाब दिया और शहीद हो गए। उनकी प्रेम कहानी भी बहुत चर्चित है, जिस पर आधारित फिल्म 'शेरशाह' ने भी काफी सफलता प्राप्त की है।

शहीद विक्रम बत्रा के पिता जी.एल. बत्रा ने हाल ही में एक बयान दिया है, जिसमें उन्होंने सरकार से मांग की है कि देश के वीर महानायकों के बारे में किताबों में जानकारी दी जानी चाहिए, ताकि लोग उनके बारे में जान सकें। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि कारगिल युद्ध दुनिया में अब तक लड़े गए सबसे कठिन युद्धों में से एक है। इसे माध्यमिक स्तर के पाठ्यक्रम और कहानियों में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के महानायकों की कहानियों को किताबों में विस्तार से शामिल किया जाना चाहिए, ताकि हमारे युवा उनसे प्रेरित हो सकें। साथ ही, शहीद विक्रम बत्रा के पिता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वे इस पर ध्यान दें और कारगिल युद्ध व देश के सुपरहीरोज के बारे में सामाजिक विज्ञान की एनसीईआरटी पुस्तकों में जानकारी दें।

 

कारगिल युद्ध 1999 में कश्मीर के कारगिल जिले में हुआ था, जिसमें भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान सैनिकों को खदेड़ दिया था। पाकिस्तान की सेना और उग्रवादियों ने भारत और पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखा पार करके भारत की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की, लेकिन भारतीय सैनिकों ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया। 74 दिनों की लड़ाई में भारतीय सेना अपने क्षेत्र को वापस जीतने में कामयाब रही। तभी से 26 जुलाई को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस युद्ध में कैप्टन विक्रम बत्रा दुश्मनों के लिए काल बनकर टूट पड़े थे और शहीद हो गए थे। उन्हें प्यार से 'लव' और 'शेरशाह' बुलाया जाता था। मरणोपरांत उन्हें भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। विक्रम बत्रा को इस युद्ध का हीरो कहा जाता है।

 

 

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