Edited By Mahima,Updated: 23 Oct, 2024 12:48 PM
रूस के कज़ान में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी का स्वागत तातार व्यंजनों चक-चक मिठाई और कोरोवाई रोटी से किया गया। चक-चक कुरकुरे आटे के टुकड़ों से बनी मिठाई है, जबकि कोरोवाई सजाए गए गोल आकार की रोटी है, जो मेहमानों का स्वागत करती है। ये...
नेशनल डेस्क: रूस के कज़ान में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विशेष स्वागत तातार व्यंजनों के माध्यम से किया गया। इस समिट के दौरान तातार परिधान में सजी महिलाओं ने पीएम मोदी को चक-चक मिठाई और कोरोवाई रोटी पेश की, जिसने इस आयोजन को एक अद्वितीय सांस्कृतिक रंग दिया। जैसे ही ये मिठाइयाँ परोसी गईं, उन्होंने सभी का ध्यान आकर्षित किया और उनकी चर्चा हर जगह होने लगी।
चक-चक मिठाई: तातार संस्कृति का प्रतीक
चक-चक एक पारंपरिक तातार मिठाई है, जिसे तातारस्तान और बश्कोर्तोस्तान क्षेत्रों की खासियत माना जाता है। यह मिठाई देखने में भारतीय मुरमुरे के लड्डू की तरह लगती है, लेकिन इसके बनाने का तरीका और सामग्री भिन्न होती है। चक-चक की तैयारी के लिए खमीरी आटे को पहले छोटे टुकड़ों में काटा जाता है। इन टुकड़ों को फिर गरम तेल में डीप फ्राई किया जाता है, जब तक कि वे सुनहरे और कुरकुरे न हो जाएं। इसके बाद, इन तले हुए टुकड़ों को एक जगह इकट्ठा किया जाता है और उन्हें चीनी, शहद और पानी से बने गर्म सिरप में भिगोया जाता है। इस प्रक्रिया के कारण चक-चक मिठाई बेहद मीठी और चिपचिपी बन जाती है, जो खाने में बेहद स्वादिष्ट होती है। येकातेरिनबर्ग की निवासी एमिलिया ने इंडिया टुडे डिजिटल से बातचीत में कहा, "चक-चक सिर्फ एक मिठाई नहीं है; यह पारिवारिक समारोहों और खास अवसरों का एक अनिवार्य हिस्सा है। यह मिठाई सामंजस्य और एकता का प्रतीक है, जो परिवारों को एक साथ लाने का काम करती है।"
कोरोवाई रोटी: एकता और समृद्धि का प्रतीक
कोरोवाई एक विशेष प्रकार की रोटी है, जो आमतौर पर गेहूं के आटे से बनाई जाती है। यह रोटी गोल आकार में होती है और इसे सजाने के लिए विभिन्न प्रकार के फूलों के पैटर्न का उपयोग किया जाता है। कोरोवाई को बनाने की प्रक्रिया में आटे की कई परतों का उपयोग किया जाता है, जो इसे देखने में और भी आकर्षक बनाता है। रूस में कोरोवाई रोटी का महत्व बहुत ज्यादा है। इसे मेहमानों के स्वागत के लिए पेश किया जाता है और यह नवविवाहित जोड़ों के लिए एक शुभ संकेत मानी जाती है। इसे बनाने के पीछे एक सांस्कृतिक मान्यता है कि यह सूरज की पूजा से जुड़ी हुई है, क्योंकि लोग पहले सूरज को गोल आकार में मानते थे। इसलिए, कोरोवाई रोटी का गोल आकार इसे समृद्धि और एकता का प्रतीक बनाता है।
समापन: सांस्कृतिक संबंधों का विस्तार
कज़ान में हुई ब्रिक्स समिट ने न केवल विभिन्न देशों के नेताओं के बीच सहयोग को बढ़ावा दिया, बल्कि यह भी दर्शाया कि कैसे खाद्य संस्कृति एक सशक्त माध्यम हो सकती है विभिन्न संस्कृतियों के बीच संबंधों को मजबूत करने का। चक-चक मिठाई और कोरोवाई रोटी ने इस समिट में भारतीय और तातार संस्कृति के बीच के सांस्कृतिक आदान-प्रदान को दर्शाया। इस अवसर पर पीएम मोदी ने अपनी सोशल मीडिया पर इन मिठाइयों की तस्वीरें साझा कीं, जिससे न केवल भारतीयों को बल्कि दुनियाभर के लोगों को तातार संस्कृति और उनके अद्भुत व्यंजनों के बारे में जानने का मौका मिला। इस प्रकार, चक-चक और कोरोवाई ने इस सम्मेलन को एक खास अनुभव बना दिया, जो न केवल राजनीतिक बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण था। ये मिठाइयाँ इस बात का प्रमाण हैं कि खाद्य संस्कृति किसी भी समाज की पहचान और उसके संबंधों को गहरा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।