Kedarnath और Hemkund Sahib रोपवे परियोजनाओं को मिली मंजूरी, अब विकास को मिलेगी नई उड़ान!

Edited By Mahima,Updated: 06 Mar, 2025 04:38 PM

kedarnath and hemkund sahib ropeway projects get approval

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केदारनाथ और हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजनाओं को मंजूरी दी। केदारनाथ रोपवे यात्रा के समय को 8-9 घंटे से घटाकर 36 मिनट कर देगा, जिससे तीर्थयात्रियों को अधिक आरामदायक यात्रा का अनुभव...

नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को केदारनाथ और हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजनाओं को मंजूरी दे दी। यह परियोजनाएँ उत्तराखंड में स्थित प्रमुख धार्मिक स्थलों तक तीर्थयात्रियों की यात्रा को और अधिक सुविधाजनक, तेज़ और सुरक्षित बनाने के लिए तैयार की गई हैं। इन परियोजनाओं से न केवल तीर्थयात्रियों के यात्रा समय में कमी आएगी, बल्कि क्षेत्र में बुनियादी ढांचे का सुधार भी होगा, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने में मदद करेगा।

क्या है केदारनाथ रोपवे परियोजना की विशेषताएँ
केदारनाथ रोपवे परियोजना की लंबाई 12.9 किलोमीटर होगी और इसका कुल अनुमानित खर्च लगभग 4,081 करोड़ रुपये है। इस परियोजना को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के तहत विकसित किया जाएगा। रोपवे का मुख्य उद्देश्य सोनप्रयाग को केदारनाथ से जोड़ना है। वर्तमान में तीर्थयात्रियों को गौरीकुंड से केदारनाथ तक पहुँचने के लिए 16 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई करनी पड़ती है, जो लगभग 8 से 9 घंटे में पूरी होती है। इस चढ़ाई को पार करने के लिए यात्रियों को पैदल चलने, टट्टू, पालकी या हेलीकॉप्टर का सहारा लेना पड़ता है, जो समय और ऊर्जा दोनों की बचत नहीं कर पाते।लेकिन, इस नए रोपवे के निर्माण के बाद यात्रा का समय मात्र 36 मिनट तक सीमित हो जाएगा, जिससे तीर्थयात्रियों के लिए यात्रा अधिक आरामदायक और कम समय लेने वाली हो जाएगी। इस रोपवे में ट्राई-केबल डिटैचेबल गोंडोला (3S) तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे प्रति घंटे प्रति दिशा 1,800 यात्रियों को यात्रा करने की सुविधा मिल सकेगी। इस तरह से हर दिन 18,000 तीर्थयात्रियों को एक ही दिन में यात्रा करने का मौका मिलेगा। 

कैसे होंगे प्राकृतिक और पर्यावरणीय लाभ
इस रोपवे परियोजना का एक और महत्वपूर्ण लाभ यह है कि यह पर्यावरण के अनुकूल है। पहाड़ी क्षेत्रों में यात्रा के लिए पारंपरिक तरीके जैसे पैदल चलना, टट्टू और पालकी उपयोग में आने से पर्यावरण पर दबाव पड़ता है, लेकिन रोपवे के माध्यम से प्रदूषण की समस्या कम होगी। इसके अलावा, यह पहाड़ी इलाके में आवश्यक बुनियादी ढांचे को मजबूत करेगा, जिससे सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा सुनिश्चित हो सकेगी।

जानिए कैसा होगा स्थानीय रोजगार और आर्थिक विकास
इस परियोजना से स्थानीय समुदाय को भी लाभ होगा। निर्माण और संचालन दोनों चरणों के दौरान कई रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे। इसके अलावा, पर्यटन उद्योग में भी वृद्धि की संभावना है। स्थानीय होटल, रेस्तरां, परिवहन सेवाएँ और अन्य संबंधित उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा, जिससे क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।

हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजना
इसके साथ ही, हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजना को भी मंजूरी दी गई है, जिस पर लगभग 2,730 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। यह रोपवे हेमकुंड साहिब तक यात्रा को आसान बनाएगा और तीर्थयात्रियों के लिए यात्रा के समय को कम करेगा। हेमकुंड साहिब, जो समुद्रतल से लगभग 15,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित है, हर साल हजारों तीर्थयात्रियों का आकर्षण केंद्र है। इस परियोजना से तीर्थयात्रियों के लिए यात्रा आसान हो जाएगी और क्षेत्रीय पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

साल भर चलने वाली पर्यटन-संबंधी सेवाओं के क्षेत्र में विकास
इन दोनों परियोजनाओं के माध्यम से पर्यटन उद्योग को नई दिशा मिलेगी। तीर्थयात्रा, आतिथ्य, यात्रा सेवाएँ, खाद्य और पेय पदार्थ, और अन्य साल भर चलने वाली पर्यटन-संबंधी सेवाओं के क्षेत्र में विकास होगा। यह क्षेत्र में नए निवेश और व्यापार के अवसर उत्पन्न करेगा। साथ ही, यह परियोजना पहाड़ी इलाकों में अंतिम मील कनेक्टिविटी को बेहतर बनाएगी और क्षेत्रीय सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देगी।

पूरे राज्य के लिए आर्थिक विकास और पर्यावरणीय सुधार
केदारनाथ और हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजनाओं का उद्देश्य केवल तीर्थयात्रियों की यात्रा को आसान और आरामदायक बनाना नहीं है, बल्कि यह स्थानीय समुदाय और पूरे राज्य के लिए आर्थिक विकास और पर्यावरणीय सुधार का एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। इन परियोजनाओं से राज्य की पर्यटन क्षमता में वृद्धि होगी और तीर्थयात्रियों के लिए एक सुरक्षित, सुविधाजनक और तेज़ यात्रा का अनुभव मिलेगा।

 

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