शहीद संजय कुमार के वादे को निभाते हुए सेना के जवानों ने बहन की शादी में निभाई सारी रस्में

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 02 Mar, 2025 01:53 PM

keeping the promise of martyr sanjay kumar

दोस्ती, वादे और भाईचारे की अनमोल मिसाल पेश करते हुए 5वीं बटालियन के सैनिकों ने अपने शहीद साथी ग्रेनेडियर संजय कुमार की बहन की शादी में सभी रस्में निभाकर एक संवेदनशील कहानी को सच कर दिखाया।

नेशनल डेस्क: दोस्ती, वादे और भाईचारे की अनमोल मिसाल पेश करते हुए 5वीं बटालियन के सैनिकों ने अपने शहीद साथी ग्रेनेडियर संजय कुमार की बहन की शादी में सभी रस्में निभाकर एक संवेदनशील कहानी को सच कर दिखाया। यह एक ऐसा वादा था जो संजय कुमार ने अपनी शहादत से पहले अपने साथियों से किया था, और जब वह वादा निभाने का समय आया, तो सेना ने इसे पूरी तरह से निभाया। यह घटना न केवल सैन्य भाईचारे को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि भारतीय सेना में रिश्ते केवल कागजों और शब्दों से नहीं, बल्कि दिलों से बनते हैं।

संजय कुमार का सैन्य सेवा में योगदान

संजय कुमार का जन्म 25 अक्टूबर 1994 को होशियारपुर के राजवाल गांव में हुआ था। 18 साल की उम्र में भारतीय सेना में भर्ती हुए संजय कुमार ने अपनी बहादुरी और समर्पण से पूरी बटालियन का दिल जीता। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के मेंढर, राजस्थान के कोटा और उरी टोरना सेक्टर में अपनी सेवाएं दीं। संजय कुमार की वीरता और फील्ड में उनकी क्षमताओं को देखकर उन्हें इन्फेंट्री स्कूल, महू में स्नाइपर प्रशिक्षण के लिए भी चुना गया था। इस दौरान उन्होंने न केवल अपने साथी सैनिकों को प्रेरित किया, बल्कि अपने परिवार और गांव का भी नाम रोशन किया।

संजय कुमार की शहादत के बाद सेना का भाईचारे से भरा वादा

8 अप्रैल 2019 को संजय कुमार एक दुखद हादसे का शिकार हो गए और शहीद हो गए। उनकी असामयिक शहादत ने उनके परिवार, विशेष रूप से उनकी छोटी बहन को गहरा धक्का दिया। संजय कुमार का परिवार, जो पहले ही अपने इकलौते बेटे के निधन से टूट चुका था, अब इस मुश्किल घड़ी में एक दूसरे से सहारा लेने की कोशिश कर रहा था। लेकिन संजय कुमार ने शहीद होने से पहले ही अपने सैनिक साथियों से एक वादा किया था – यदि कुछ हो जाए, तो उनकी बहन की शादी में भाई बनकर शामिल होना और सारी रस्में निभाना।

5वीं बटालियन ने निभाया वादा

संजय कुमार के वादे को निभाने के लिए उनकी 5वीं बटालियन के छह जवान उनके परिवार के पास पहुंचे। इन जवानों ने न केवल सैन्य भाईचारे की मिसाल पेश की, बल्कि अपने साथी के परिवार को यह अहसास दिलाया कि वे अकेले नहीं हैं। शादी के दिन, इन छह जवानों ने संजय कुमार की बहन की शादी में पूरे परिवार की तरह शामिल होकर सभी रस्मों को निभाया। इन जवानों ने भाई बनकर न केवल शादी की खुशियों में भाग लिया, बल्कि वे शहीद जवान के परिवार को भावनात्मक रूप से भी सहारा बने।

ग्रेनेडियर संजय कुमार की शहादत के बाद उनका परिवार एक बहुत बड़े खालीपन से जूझ रहा था, खासकर उनकी मां और छोटी बहन। लेकिन इस कठिन समय में, संजय कुमार के सैनिक साथी उनकी बहन की शादी में शामिल होकर न केवल एक वादा निभा रहे थे, बल्कि वे उस परिवार को यह संदेश दे रहे थे कि वे कभी अकेले नहीं होंगे। इस प्रकार भारतीय सेना के जवानों ने अपने शहीद साथी को सम्मान देते हुए उनके परिवार को सहारा दिया।

 

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