Edited By Utsav Singh,Updated: 20 May, 2024 05:05 PM
केरल उच्च न्यायालय ने राज्य में कानून की 30 वर्षीय दलित छात्रा से 2016 में बलात्कार और हत्या के मामले में सत्र अदालत द्वारा आरोपी अमीरुल इस्लाम को सुनाई गई मौत की सजा को सोमवार को बरकरार रखा।
केरल : केरल उच्च न्यायालय ने राज्य में कानून की 30 वर्षीय दलित छात्रा से 2016 में बलात्कार और हत्या के मामले में सत्र अदालत द्वारा आरोपी अमीरुल इस्लाम को सुनाई गई मौत की सजा को सोमवार को बरकरार रखा। उच्च न्यायालय की खंड पीठ ने सत्र अदालत के फैसले को चुनौती देने के लिए दायर दोषियों की अपील को खारिज कर दिया। इस्लाम पर पेरुंबवूर में 28 अप्रैल, 2016 को महिला से बलात्कार के बाद उसकी हत्या करने का आरोप लगाया गया था। उसने एक गरीब परिवार की छात्रा की उसके घर में हत्या करने से पहले उस पर धारदार हथियारों से बेरहमी से हमला किया।
वर्ष 2017 में एर्नाकुलम प्रमुख सत्र अदालत ने असम के एक प्रवासी मजदूर इस्लाम को हत्या करने के लिए मौत की सजा सुनाई। सत्र अदालत ने इस्लाम को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी पाया, जिनमें 449 (मौत की सजा वाले अपराध को अंजाम देने के लिए घर में अनधिकृत प्रवेश), 342 (अनुचित रूप से कैद करके रखने के लिए सजा), 302 (हत्या), 376 (बलात्कार), और धारा 376 (ए) (बलात्कार करने के दौरान मौत की वजह बनना या महिला को लगातार निष्क्रिय अवस्था में रखना) शामिल हैं।
मामले की जांच करने वाली विशेष जांच टीम ने अपराध में इस्लाम की भूमिका साबित करने के लिए ‘डीएनए' तकनीक और कॉल रिकॉर्ड विवरण के सत्यापन का इस्तेमाल किया। अपराध करने के तुरंत बाद पेरुंबवूर छोड़ देने वाले इस्लाम को 50 दिन बाद पड़ोसी राज्य तमिलनाडु के कांचीपुरम से गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में 100 से ज्यादा पुलिसकर्मियों ने 1500 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की थी।