Edited By Utsav Singh,Updated: 12 Nov, 2024 07:31 PM
केरल सरकार ने दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को अनुशासन उल्लंघन और सर्विस नियमों का पालन न करने के आरोप में निलंबित कर दिया है। इन अधिकारियों के नाम हैं के. गोपालकृष्णन और एन. प्रशांत। दोनों के खिलाफ गंभीर आरोप हैं, जो प्रशासनिक व्यवस्था पर असर डाल सकते...
केरल : केरल सरकार ने दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को अनुशासन उल्लंघन और सर्विस नियमों का पालन न करने के आरोप में निलंबित कर दिया है। इन अधिकारियों के नाम हैं के. गोपालकृष्णन और एन. प्रशांत। दोनों के खिलाफ गंभीर आरोप हैं, जो प्रशासनिक व्यवस्था पर असर डाल सकते हैं। आइए जानते हैं इन घटनाओं के बारे में विस्तार से।
के. गोपालकृष्णन ने व्हाट्सऐप ग्रुप बनाया था
के. गोपालकृष्णन, जो उद्योग विभाग में निदेशक के पद पर कार्यरत थे, पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी अधिकारियों के लिए एक धर्म आधारित व्हाट्सऐप ग्रुप बनाया था। इस ग्रुप को लेकर सरकार ने कहा कि यह कदम अखिल भारतीय सेवाओं के कैडर के बीच फूट डालने का प्रयास था।
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गोपालकृष्णन के खिलाफ जांच
सरकार के अनुसार, गोपालकृष्णन ने व्हाट्सऐप ग्रुप बनाने के बाद दावा किया था कि उनका फोन हैक हो गया था। हालांकि, पुलिस जांच में यह साबित नहीं हुआ कि फोन हैक हुआ था। इसके बजाय, गोपालकृष्णन ने खुद ही अपने फोन को बार-बार 'फैक्टरी रीसेट' किया था, जिससे ग्रुप के उद्देश्य पर संदेह और भी गहरा गया। सरकार ने इस मामले को गंभीर अनुशासनहीनता मानते हुए गोपालकृष्णन को निलंबित कर दिया।
वरिष्ठ अधिकारी की सार्वजनिक आलोचना
वहीं, एन. प्रशांत, जो कृषि विभाग में विशेष सचिव के रूप में कार्यरत थे, पर आरोप है कि उन्होंने सोशल मीडिया पर वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आईएएस ए. जयतिलक की सार्वजनिक रूप से आलोचना की। सरकार का कहना है कि यह सार्वजनिक आलोचना गंभीर अनुशासनहीनता का हिस्सा है और इससे राज्य की प्रशासनिक छवि को नुकसान हुआ है। प्रशांत के खिलाफ की गई कार्रवाई को लेकर सरकार ने कहा कि सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणी राज्य प्रशासन की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाती है। इस वजह से प्रशांत को भी निलंबित कर दिया गया।
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दोनों अधिकारियों का निलंबन
केरल सरकार ने दोनों अधिकारियों के निलंबन आदेशों में स्पष्ट किया है कि उनके द्वारा किए गए कार्यों ने राज्य की प्रशासनिक प्रणाली की छवि को नुकसान पहुंचाया है। गोपालकृष्णन और प्रशांत दोनों का व्यवहार "गंभीर अनुशासनहीनता" के तहत आता है और उनके कृत्य के कारण राज्य प्रशासन की कार्यशैली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इस मामले में केरल सरकार ने कड़ी कार्रवाई करते हुए दोनों अधिकारियों को निलंबित कर दिया है, जिससे यह साफ हो गया है कि प्रशासनिक अनुशासन और नैतिकता के उल्लंघन को सरकार सहन नहीं करेगी।