यमन में मौत की सजा का पाने वाली केरल की नर्स निमिषा, क्या 'ब्लड मनी' बनेगी जीवनरक्षक?

Edited By Rahul Singh,Updated: 31 Dec, 2024 03:17 PM

kerala nurse nimisha facing death sentence in yemen

केरल की रहने वाली नर्स निमिषा प्रिया इन दिनों यमन में अपने जीवन के सबसे कठिन समय से गुजर रही हैं। साल 2017 में एक यमनी नागरिक तलाल अब्दु महदी की हत्या के मामले में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी।

इंटरनेशनल डेस्क: केरल की रहने वाली नर्स निमिषा प्रिया इन दिनों यमन में अपने जीवन के सबसे कठिन समय से गुजर रही हैं। साल 2017 में एक यमनी नागरिक तलाल अब्दु महदी की हत्या के मामले में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी। अब उनकी रिहाई केवल "ब्लड मनी" के जरिए संभव हो सकती है। इस घटना ने न केवल निमिषा के परिवार, बल्कि पूरे भारत को झकझोर कर रख दिया है।


क्या है पूरा मामला?
निमिषा प्रिया पेशे से एक नर्स है, इन्होनें यमन में निजी क्लीनिक खोला था। यमन के कानूनों के अनुसार, किसी स्थानीय नागरिक की साझेदारी के बिना विदेशी नागरिक व्यवसाय नहीं चला सकते। इसी कारण निमिषा ने तलाल अब्दु महदी के साथ साझेदारी की। लेकिन यह साझेदारी जल्द ही विवादों में बदल गई। महदी ने कथित तौर पर निमिषा के क्लीनिक की कमाई पर कब्जा कर लिया और उनकी निजी तस्वीरों का दुरुपयोग करते हुए उन्हें अपनी पत्नी बताने लगा।
महदी ने निमिषा का पासपोर्ट भी जब्त कर लिया, जिससे उनकी स्थिति और कठिन हो गई। अपने पासपोर्ट को वापस पाने की कोशिश में, निमिषा ने महदी को नशे की दवा दी, लेकिन दवा की ओवरडोज़ से उसकी मौत हो गई। इसके बाद निमिषा और उनकी सहकर्मी हनान (जो यमनी नागरिक हैं) ने महदी के शव को ठिकाने लगाने की कोशिश की। इस घटना के बाद साल 2018 में स्थानीय अदालत ने निमिषा को मौत की सजा सुनाई और हनान को आजीवन कारावास।


केंद्र सरकार और परिवार का संघर्ष
निमिषा का परिवार, खासतौर पर उनकी मां उनकी रिहाई के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। निमिषा की मां, जो यमन की राजधानी सना में मौजूद हैं, मृतक के परिवार और स्थानीय समुदाय के नेताओं से बातचीत कर रही हैं। उन्होंने भारतीय अदालत से यमन यात्रा पर लगे प्रतिबंध में ढील देने का भी अनुरोध किया है। परिवार ने यमन की परंपरा के अनुसार "ब्लड मनी" का विकल्प चुना है। ब्लड मनी एक ऐसा मुआवजा है, जिसे मृतक के परिजन स्वीकार कर दोषी को माफी दे सकते हैं। हालांकि महदी के परिवार ने इस मुआवजे के लिए 5 करोड़ यमनी रियाल (लगभग 1.52 करोड़ भारतीय रुपये) की मांग की है। भारत सरकार भी मामले में सक्रिय है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वे यमन सरकार के साथ सभी प्रासंगिक विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। इसके साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट में भी इस मामले पर सुनवाई चल रही है।


'ब्लड मनी' से बच सकती है जान?
अरब देशों में ब्लड मनी की परंपरा लंबे समय से प्रचलित है। यह एक समझौता है, जिसमें दोषी मृतक के परिवार को मुआवजे की मोटी रकम देता है। हालांकि यह केवल मृतक के परिजनों की सहमति पर निर्भर करता है।


क्या होगा आगे?
निमिषा की सजा को यमन की सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति राशिद अल-अलीमी दोनों ने बरकरार रखा है। अब परिवार के पास ब्लड मनी के जरिए ही निमिषा की जान बचाने का आखिरी विकल्प बचा है।
 

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