चुनाव नियम में बदलाव को लेकर खरगे का केंद्र पर निशाना, कहा- यह सरकार की सोची समझी साजिश का हिस्सा

Edited By rajesh kumar,Updated: 22 Dec, 2024 02:24 PM

kharge targets the center over the change in election rules

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के सार्वजनिक निरीक्षण को रोकने के लिए चुनाव नियम में बदलाव करने को लेकर रविवार को सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि यह निर्वाचन आयोग की संस्थागत अखंडता को नष्ट करने की...

नेशनल डेस्क: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के सार्वजनिक निरीक्षण को रोकने के लिए चुनाव नियम में बदलाव करने को लेकर रविवार को सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि यह निर्वाचन आयोग की संस्थागत अखंडता को नष्ट करने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की ‘‘व्यवस्थित साजिश'' का हिस्सा है। खरगे ने यह भी कहा कि मोदी सरकार द्वारा निर्वाचन आयोग की निष्ठा को जानबूझकर खत्म किया जाना संविधान और लोकतंत्र पर सीधा हमला है।

सरकार ने चुनाव नियमों में बदलाव करते हुए सीसीटीवी कैमरा और वेबकास्टिंग फुटेज तथा उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के सार्वजनिक निरीक्षण को रोक दिया है, ताकि उनका दुरुपयोग रोका जा सके। निर्वाचन आयोग (ईसी) की सिफारिश के आधार पर केंद्रीय कानून मंत्रालय ने सार्वजनिक निरीक्षण के लिए रखे गये ‘‘कागजात'' या दस्तावेजों के प्रकार को प्रतिबंधित करने के लिए चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 93(2)(ए) में संशोधन किया है।
 

यह सरकार की सोची समझी साजिश का हिस्सा
खरगे ने इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘चुनाव संचालन नियमों में मोदी सरकार का दुस्साहसिक संशोधन भारत के निर्वाचन आयोग की संस्थागत अखंडता को नष्ट करने की उसकी व्यवस्थित साजिश के तहत किया गया एक और हमला है।'' उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर लिखा, ‘‘इससे पहले, उन्होंने प्रधान न्यायाधीश को उस चयन समिति से हटा दिया था जो निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति करती है और अब वे उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी चुनावी जानकारी को रोकने में लगे हैं।''

खरगे ने चुनाव आयोग को लिखा पत्र 
खरगे ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने मतदाता सूची से नाम हटाए जाने और ईवीएम में पारदर्शिता की कमी जैसी चुनाव संबंधी अनियमितताओं के बारे में जब भी निर्वाचन आयोग को पत्र लिखा है तो उसने इसका तिरस्कारपूर्ण लहजे में जवाब दिया है और कुछ गंभीर शिकायतों को स्वीकार भी नहीं किया है। उन्होंने कहा, ‘‘इससे यह फिर साबित होता है कि निर्वाचन आयोग अर्ध-न्यायिक निकाय होने के बावजूद स्वतंत्र रूप से व्यवहार नहीं कर रहा है।'' खरगे ने कहा, ‘‘मोदी सरकार द्वारा निर्वाचन आयोग की अखंडता को जानबूझकर नष्ट करना संविधान और लोकतंत्र पर सीधा हमला है और हम उनकी सुरक्षा के लिए हर कदम उठाएंगे।'' 

 

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