Edited By Anu Malhotra,Updated: 21 Feb, 2025 11:37 AM
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किडनी ट्रांसप्लांट की दुनिया में एक अनोखा मामला सामने आया है। रक्षा मंत्रालय में कार्यरत 47 वर्षीय वैज्ञानिक देवेंद्र बरलेवार का हाल ही में तीसरी बार किडनी ट्रांसप्लांट हुआ, जिसके बाद उनके शरीर में अब पांच किडनी मौजूद हैं। हालांकि, इनमें से सिर्फ एक...
नई दिल्ली: किडनी ट्रांसप्लांट की दुनिया में एक अनोखा मामला सामने आया है। रक्षा मंत्रालय में कार्यरत 47 वर्षीय वैज्ञानिक देवेंद्र बरलेवार का हाल ही में तीसरी बार किडनी ट्रांसप्लांट हुआ, जिसके बाद उनके शरीर में अब पांच किडनी मौजूद हैं। हालांकि, इनमें से सिर्फ एक किडनी काम कर रही है। यह दुर्लभ और जटिल सर्जरी फरीदाबाद के अमृता अस्पताल में की गई।
तीसरी बार मैचिंग डोनर मिलना दुर्लभ
बरलेवार क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) से पीड़ित हैं और लंबे समय से डायलिसिस पर थे। उनके पहले दो ट्रांसप्लांट 2010 और 2012 में हुए थे।
- पहली किडनी उनकी मां ने दान की थी, लेकिन यह एक साल बाद फेल हो गई।
- दूसरी किडनी 2012 में एक रिश्तेदार ने दी, जो 2022 तक ठीक से काम कर रही थी।
- कोविड संक्रमण के बाद उनकी दूसरी किडनी भी फेल हो गई, जिससे उन्हें फिर से डायलिसिस की जरूरत पड़ी।
2023 में उन्होंने मृत डोनर से किडनी पाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया। आखिरकार, 9 जनवरी 2024 को उन्हें ब्रेन-डेड किसान के परिवार की ओर से दान की गई किडनी मिल गई, जिसका ब्लड ग्रुप मेल खा रहा था।
चुनौतियों से भरी थी तीसरी सर्जरी
अमृता अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट और यूरोलॉजी प्रमुख डॉ. अनिल शर्मा के नेतृत्व में यह जटिल सर्जरी की गई।
- तीसरी किडनी को पहले से ट्रांसप्लांट की गई किडनी के पास दाईं ओर रखा गया।
- मरीज के शरीर में पहले से चार किडनी होने के कारण नई किडनी के लिए जगह बनाना मुश्किल था।
- सर्जरी के दौरान रक्त वाहिकाओं को ठीक से जोड़ने और संक्रमण को रोकने के लिए विशेष सावधानी बरती गई।
सर्जरी के चार घंटे बाद ही नई किडनी ने काम करना शुरू कर दिया और डायलिसिस की जरूरत नहीं पड़ी। 10 दिनों के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
बरलेवार ने जताई खुशी, अंगदान को बताया जीवनदान
बरलेवार ने कहा, "अब मुझे डायलिसिस की जरूरत नहीं है, यह मेरे लिए बहुत बड़ी राहत है। मैं बेहद भाग्यशाली हूं कि मुझे तीसरी बार किडनी मिल पाई, क्योंकि कई मरीजों को एक बार भी डोनर नहीं मिल पाते। यह भगवान की कृपा से मुझे जीवन में तीसरा मौका मिला है।"
वह फिलहाल तीन महीने के आराम के बाद अपनी नियमित दिनचर्या फिर से शुरू करने की योजना बना रहे हैं।
अंगदान का बढ़ता महत्व
बरलेवार का मामला चिकित्सा विज्ञान की अद्भुत प्रगति और अंगदान के महत्व को दर्शाता है। यह उन हजारों मरीजों के लिए आशा की किरण है जो किडनी फेलियर जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए यह प्रेरणादायक उदाहरण साबित हो सकता है।