Edited By Seema Sharma,Updated: 15 Apr, 2020 02:59 PM
पूरा देश इस समय कोरोना जैसी जानलेवा महामारी से लड़ रहा है। कोरोना के खिलाफ इस जंग में जहां हजारों डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ दिन-रात कोरोना मरीजों की देखभाल में जुटे हुए हैं वहीं देश के नागरिक घरों में रहकर कोरोना को हराने में केंद्र और राज्य...
नेशनल डेस्कः पूरा देश इस समय कोरोना जैसी जानलेवा महामारी से लड़ रहा है। कोरोना के खिलाफ इस जंग में जहां हजारों डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ दिन-रात कोरोना मरीजों की देखभाल में जुटे हुए हैं वहीं देश के नागरिक घरों में रहकर कोरोना को हराने में केंद्र और राज्य सरकारों की मदद कर रहे हैं। पूरे देश में 3 मई तक का लॉकडाउन है। ऐसे वैज्ञानिक इस महामारी के इलाज की वैक्सीन ढूंढ रहे हैं। टेस्टिंग, आइसोलेशन/क्वारंटीन से लेकर तरह-तरह की रिसर्च हो रही है। इस सब खबरों के बीच आए दिन ICMR यानी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च कोरोना को लेकर कोई न कोई नई जानकारी देशवासियों के साथ साझा कर रही है। देश के लोगों को ICMR अवेयर और अलर्ट कर रही है। हर रोज स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से शाम को एक Health bulletin जारी किया जाता है इस दौरान भी ICMR का प्रतिनिधि इसमें जरूर शामिल रहता है। देश को कोरोना पर जो भी रिपोर्ट और डाटा बताया जाता है वो हर जानकारी ICMR के हवाले से ही आती है।
ICMR -सबसे बड़ी रिसर्च बॉडीज में से एक
यहां एक बात बता दें कि ICMR सिर्फ भारत की ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे पुरानी और बड़ी मेडिकल रिसर्च बॉडीज में से एक है। भारत में बायोमेडिकल रिसर्च के फॉर्म्यूलेशन, कोऑर्डिनेशन और प्रमोशन की यह सर्वोच्च संस्था है। साल 1911 में, इंडियन रिसर्च फंड एसोसिएशन (IRFA) के रूप में इसकी नींव डाली गई। आजादी के बाद, IRFA में कई बदलाव हुई। नए कलेवर के साथ 1949 में इसे ICMR का नाम दे दिया गया। ICMR की फंडिंग भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ रिसर्च के जरिए होती है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ही इस काउंसिल के अध्यक्ष होते हैं।
ICMR का काम
ICMR का काम है रिसर्च करना जिसके जरिए देश के नागरिकों के स्वास्थ्य पर नजर रखा और इसे बेहतर कैसे किया जाए इस पर ध्यान रखना। आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक ICMR के पांच मिशन हैं।
1. नई जानकारी को जेनेरेट, मैनेज और रिसर्च करना।
2. समाज के अशक्त, असहाय और हाशिए पर छोड़े गए तबकों की स्वास्थ्य समस्याओं पर रिसर्च का फोकस बढ़ाना।
3. देश की स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए मॉडर्न बॉयलजी टूल्स का इस्तेमाल बढ़ाना।
4. बीमारियों से बचाव के लिए डायग्नोस्टिक्स, ट्रीटमेंट, वैक्सीन को बढ़ावा देना।
5. इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत कर देश के मेडिकल कॉलेजों और हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट्स में रिसर्च का कल्चर डेवलप करना।
कोरोना से ऐसे लड़ रहा ICMR
कोरोना के खिलाफ जंग में ICMR की बहुत बड़ी भूमिका है। देश में टेस्टिंग के लिए लैब्स को परमिशन ICMR ही देता है। इतना ही टेस्टिंग, आइसोलेशन/क्वारंटीन और पेशेंट मॉनिटरिंग से जुड़ी सभी गाइडलाइंस ICMR ही जारी करता है। ICMR पेशेंट्स के डेटा के आधार पर तरह-तरह की रिपोर्ट्स तैयार करता है जिससे आगे की रणनीति बनाई जाती है। कोरोना से जुड़ी गाइडलाइंस तैयार करने में ICMR के सुझाव कापी अहम होते हैं। इतना ही नहीं ICMR लागातर कोरोना पर रिसर्च कर रहा है ताकि जल्द से जल्द इसकी एंटीडोट/वैक्सीन तैयार की जा सके।
इन बीमारियों पर भी रिसर्च
बता दें कि ICMR के देशभर में 21 परमानेंट रिसर्च सेंटर हैं। यहां पर कई संक्रामक बीमारियों पर रिसर्च होती है जैसे- कोरोना वायरस, रोटा वायरस, डेंगू, इबोला, इन्फ्लुएंजा, जापानी इंसेफेलाइटिस, एड्स, मलेरिया, कालाजार आदि। इससे पहले ICMR में टीबी, कुष्ठ, कॉलरा, डायरिया जैसी बीमारियों पर भी रिसर्च हुई है। इसके अलावा ICMR न्यूट्रिशन, फूड एंड ड्रग टॉक्सिकोलॉजी, ऑन्कोलॉजी तथा मेडिकल स्टैटेस्टिक्स पर भी काम करता है। इसके 6 रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर्स स्थानीय स्वास्थ्य समस्याओं पर फोकस करते हैं।