Edited By Rahul Singh,Updated: 03 Dec, 2024 03:32 PM
भारतीय सेना पिछले एक सप्ताह से भी ज्यादा समय से लापता हुए लैशराम कमलबाबू सिंह की तलाश में जुटी हुई है। मणिपुर के मेइती समुदाय से संबंधित यह व्यक्ति 25 नवंबर से लापता है। उनकी तलाश के लिए सेना ने युद्ध स्तर पर अभियान चलाया है और 2,000 से अधिक...
नई दिल्ली। भारतीय सेना पिछले एक सप्ताह से भी ज्यादा समय से लापता हुए लैशराम कमलबाबू सिंह की तलाश में जुटी हुई है। मणिपुर के मेइती समुदाय से संबंधित यह व्यक्ति 25 नवंबर से लापता है। उनकी तलाश के लिए सेना ने युद्ध स्तर पर अभियान चलाया है और 2,000 से अधिक सैन्यकर्मियों को तैनात किया है।
कमलबाबू कौन हैं?
लैशराम कमलबाबू सिंह असम के कछार जिले के रहने वाले हैं और मणिपुर के इंफाल पश्चिम जिले के खुखरुल में रहते थे। वह 57वीं माउंटेन डिवीजन के लेइमाखोंग सैन्य अड्डे पर सैन्य इंजीनियरिंग सेवा (MES) के ठेकेदार के रूप में कार्य पर्यवेक्षक थे। 25 नवंबर को वह सैन्य अड्डे से अचानक लापता हो गए। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने सेना से उन्हें जल्द ढूंढने का आदेश दिया था।
25 नवंबर से जारी सर्च ऑपरेशन
मणिपुर पुलिस ने सोमवार रात फेसबुक पर एक पोस्ट में बताया कि भारतीय सेना की मदद से 25 नवंबर से युद्ध स्तर पर सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है ताकि लैशराम कमलबाबू सिंह का पता लगाया जा सके। सर्च ऑपरेशन के दौरान 2,000 से अधिक सेना के जवान, हेलीकॉप्टर, ड्रोन और खोजी कुत्तों की मदद ली जा रही है। इसके अलावा, तकनीकी खुफिया जानकारी का भी इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि मामले की जांच आगे बढ़ाई जा सके।
पत्नी और अन्य लोग कर रहे विरोध प्रदर्शन
कमलबाबू सिंह के लापता होने के बाद उनकी पत्नी अकोईजम बेलारानी समेत अन्य लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। यह प्रदर्शन मणिपुर के कांटो सबल इलाके में किया जा रहा है, जो सैन्य अड्डे से करीब 2.5 किलोमीटर दूर है। प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर अवरोधक भी लगाए हैं।
हिंसा का माहौल, अभी तक 250 से ज्यादा मौतें
मणिपुर के कांगपोकपी जिले का यह इलाका पर्वतीय क्षेत्रों से घिरा हुआ है और यहां कुकी समुदाय के लोग रहते हैं। पिछले साल मई से मणिपुर में जातीय हिंसा का सिलसिला शुरू हो गया था। इस हिंसा में अब तक 250 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इस इलाके से मणिपुर के मेइती समुदाय के लोग पलायन कर गए थे। प्रदर्शनकारी यह दावा कर रहे हैं कि कमलबाबू सिंह को शायद उग्रवादियों ने अगवा किया है।