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जानिए कौन हैं तरविंदर सिंह, जिसने मनीष सिसोदियो को हराया

Edited By Harman Kaur,Updated: 08 Feb, 2025 01:08 PM

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दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में जंगपुरा सीट पर मनीष सिसोदिया को बीजेपी के तरविंदर सिंह मारवाह ने हरा दिया है। मारवाह की राजनीति कांग्रेस से शुरू हुई थी, लेकिन 2020 के चुनाव के बाद उन्होंने बीजेपी जॉइन कर ली थी। एक समय वे शीला दीक्षित के करीबी साथी...

नेशनल डेस्क: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में जंगपुरा सीट पर मनीष सिसोदिया को बीजेपी के तरविंदर सिंह मारवाह ने हरा दिया है। मारवाह की राजनीति कांग्रेस से शुरू हुई थी, लेकिन 2020 के चुनाव के बाद उन्होंने बीजेपी जॉइन कर ली थी। एक समय वे शीला दीक्षित के करीबी साथी माने जाते थे। वहीं, सिसोदिया ने चुनाव से पहले अपनी पुरानी सीट पटपड़गंज छोड़कर जंगपुरा सीट से चुनावी मैदान में उतरने का फैसला लिया।इस सीट पर शुरुआत से ही मनीष सिसोदिया को कड़ी चुनौती मिल रही थी।
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जानें कौन हैं तरविंदर सिंह?
तरविंदर सिंह मारवाह का राजनीति में लंबा अनुभव है। वे एक सिख नेता हैं और चुनावी हलफनामे के अनुसार उनकी संपत्ति लगभग 47 करोड़ रुपए की है। इसमें 35 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति और 12 करोड़ रुपए की चल संपत्ति शामिल है। वे एक समय शीला दीक्षित के करीबी थे और 2008 में मंत्री बनने की रेस में थे, लेकिन अरविंदर सिंह की वजह से यह अवसर उन्हें नहीं मिल पाया।
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शराब घोटाले और बाहरी मुद्दे पर तरविंदर मारवाह की जीत
मारवाह ने जंगपुरा चुनाव में शराब और बाहरी लोगों को मुद्दा बनाया। उनका कहना था कि जिस व्यक्ति ने पटपड़गंज की जनता को छोड़ दिया, वह कभी भी जंगपुरा की जनता को भी छोड़ सकता है। जंगपुरा में सिख मतदाता अहम भूमिका में थे और मारवाह ने इस समर्थन को अपनी जीत में तब्दील किया। इस तरह, जंगपुरा में मनीष सिसोदिया का राजनीतिक सफर समाप्त हुआ और बीजेपी के तरविंदर सिंह मारवाह ने जीत दर्ज की।
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2013 में डिप्टी सीएम बने थे मनीष सिसोदिया
बता दें कि 2013 में अरविंद केजरीवाल के साथ मनीष सिसोदिया को डिप्टी सीएम बनाया गया था और 2015 में जब अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने, तो सिसोदिया को फिर से कैबिनेट में जगह मिली थी। वे दिल्ली के शिक्षा विभाग के मंत्री रहे थे और उनकी पहल पर कई नए स्कूल बनवाए गए थे। आम आदमी पार्टी का दावा है कि सिसोदिया ने शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा बदलाव किया और गरीब बच्चों को भी अच्छे स्कूलों में पढ़ने का अवसर मिला।
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2022 में मनीष सिसोदिया पर लगा था शराब घोटाले का आरोप
सिसोदिया का शिक्षा मॉडल 2020 के चुनाव में महत्वपूर्ण मुद्दा बना था, लेकिन 2025 में उनका राजनीतिक भविष्य बदल गया। दरअसल, 2022 में मनीष सिसोदिया पर शराब घोटाले का आरोप लगा था। उस समय वे आबकारी विभाग के मंत्री भी थे। इस मामले में सिसोदिया को गिरफ्तार किया गया और वे करीब एक साल से ज्यादा समय तक जेल में रहे। ईडी ने दावा किया था कि वे शराब घोटाले के मुख्य साजिशकर्ता थे, हालांकि आम आदमी पार्टी ने इस आरोप को नकारा। 2024 में सिसोदिया जेल से बाहर आए और फिर से राजनीति में सक्रिय हो गए। वहीं, अब उन्हें दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में हार का मुंह देखना पड़ा।

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