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जानिए कौन हैं प्रेमानंद महाराज के गुरु ? जिनके सत्य कदम पर चलकर आज करोड़ों लोगों का जीता दिल

Edited By Mahima,Updated: 18 Jan, 2024 03:49 PM

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वृंदावन के मशहूर प्रेमानंद महाराज को आज हर कोई जानता है। सोशल मीडिया पर भी प्रेमानंद महाराज के आशीष वचन और उनके वीडियोज खुब वारयल होते रहते हैं।

नेशनल डेस्क: वृंदावन के मशहूर प्रेमानंद महाराज को आज हर कोई जानता है। सोशल मीडिया पर भी प्रेमानंद महाराज के आशीष वचन और उनके वीडियोज खुब वारयल होते रहते हैं। प्रेमानंद माहराज की पहचान दुनिया भर में बन चुकी है, लेकिन शायद आप उनके गुरू के बारे में नहीं जानते होंगे। यह जानना बेहद दिलचस्प है कि महाराज ने किन के सत्य मार्ग पर चलते हुए भक्ति के इस रासते को अपनाया है। आईए जानते हैं उनके बारे में :

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कौन है प्रेमानंद महाराज और उनके गुरु? 
प्रेमानंद महाराज का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में अखरी गांव में हुआ था। महाराज के घर का वातावरण शुरू से अत्यंत भक्तिमय, अत्यंत शुद्ध और शांत था। इसके कारण उनका झुकाव भी भक्ति की ओर हो गया। मात्र 13 साल जैसी छोटी उम्र में, एक दिन सुबह 3 बजे महाराज ने अपना घर छोड़ दिया था। उस छोटी सी उम्र में जब आम बच्चे पढ़ने के बारे में सोचते हैं, उसी छोटी सी उम्र में महाराज ने भक्ति का रासता अपनाने के बारे में सोचा। अब आज उनके पास देश के बड़े से बड़े लोग नामी गरामी लोग पहुंचते हैं। लेकिन अब बात करें प्रेमानंद महाराज के गुरु की तो वो हैं वृंदावन के राधावल्लभ मंदिर के तिलकायत अधिकारी श्रीहित मोहित मराल महाराज जी। 

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प्रेमानंद महाराज जब भी अपने गुरू से मिलते हैं तो अभी भी वे मोहित मराल महाराज जी को साष्टांग प्रणाम करते हैं, उनके पैर छूते हैं और उनसे आशीर्वाद भी लेते हैं। जब प्रेमानंद जी वाराणसी से वृंदावन आए थे, तब उनकी प्रारंभिक दिनचर्या में वृन्दावन की परिक्रमा और श्री बांकेबिहारी के दर्शन से करते थे। एक बार की बात है जब महाराज परिक्रमा कर रहे थे, तब उन्होंने एक महिला को संस्कृत के कुछ श्लोक गाते हुए सुना था। लेकिन फिर भी संस्कृत में पारंगत होने के बावजूद उस श्लोक का मतलब वे समझ नहीं पाए थे।

इसके बाद जब प्रेमानंद महाराज ने उस महिला के पास जाकर उस श्लोक का मतलब पूछा तो महिला ने मुस्कुराते हुए कहा कि यदि वह इस श्लोक को समझना चाहते हैं तो उन्हें राधावल्लभी बनना होगा।इसके बाद प्रेमानंद महाराज राधावल्लभ मंदिर पहुंचे और वहां उनकी मुलाकात मोहित मराल महाराज जी हुई। इसके बाद मोहित मराल महाराज ने प्रेमानंद महाराज का आदर सत्कार ग्रहण करने के बाद उनको एक शरणागत मंत्र के साथ दीक्षा भी दी। 

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प्रेमानंद जी के दूसरे गुरु
इसके अलावा प्रेमानंद महाराज जी के एक और गुरु भी है जिनका नाम गौरांगी शरण महाराज है। लोग इन्हें बड़े गुरुजी के नाम से भी जानते हैं। जब प्रेमानंद महाराज वृंदावन गए तो काफी कोशिश के बाद भी उन्हें वहां की रसोपासना समझ नहीं आती थी। इसके बाद जब वह मायूस होकर गौरांगी शरण महाराज के पास पहुंचे तो उन्होंने उनके हाथ पर 3 उंगुली फेरते हुए कहा कि सब ठीक हो जाएगा। बस फिर क्या था, उस दिन के बाद से प्रेमानंद महाराज आगे बढ़ते ही चले गए और अब सबकुछ उनके सामनो हैं। 

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