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इमाम के बेटे ने छोड़ा इस्लाम, अपनाया सनातन धर्म, जानें क्यों 'मुस्तफा' बने 'मारुति नंदन'

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 20 Jan, 2025 12:39 PM

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मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में पिछले कुछ दिनों में सनातन धर्म अपनाने का सिलसिला तेज़ी से बढ़ रहा है। हाल ही में, मुस्तफा चिश्ती नामक एक मुस्लिम युवक ने इस्लाम धर्म छोड़कर सनातन धर्म स्वीकार किया है। मुस्तफा ने अपना नाम बदलकर मारुति नंदन रखा है, और...

नेशनल डेस्क: मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में पिछले कुछ दिनों में सनातन धर्म अपनाने का सिलसिला तेज़ी से बढ़ रहा है। हाल ही में, मुस्तफा चिश्ती नामक एक मुस्लिम युवक ने इस्लाम धर्म छोड़कर सनातन धर्म स्वीकार किया है। मुस्तफा ने अपना नाम बदलकर मारुति नंदन रखा है, और उसकी यह यात्रा बचपन से भगवान राम और हनुमान जी की कथाओं से प्रेरित रही है। मुस्तफा ने अपनी बात साझा करते हुए बताया कि वह बचपन से ही बजरंगबली की वीरता के बारे में सुनते आ रहे थे। राम मंदिर में भगवान राम और हनुमान जी की कथाएँ सुनते हुए, उनके मन में एक विशेष श्रद्धा जागी, और अंत में उन्होंने सनातन धर्म अपनाने का निर्णय लिया। उन्होंने बताया कि उनका यह नाम 'मारुति नंदन' रखने का कारण हनुमान जी के प्रति उनकी श्रद्धा है।

आध्यात्मिक परिवर्तन की ओर बढ़ा कदम

खंडवा के महादेवगढ़ मंदिर में, जहां मुस्तफा ने सनातन धर्म में प्रवेश किया, उसे पवित्र गंगाजल और नर्मदा जल से स्नान कराया गया। इसके बाद उसे 10 विधि संस्कारों के साथ मुंडन संस्कार भी कराया गया। मुस्तफा ने भगवा कपड़ा पहनकर भगवान शंकर और बजरंगबली की आरती भी की। यह सब पंडित अश्विन खेड़े और मंदिर संरक्षक अशोक पालीवाल की देखरेख में हुआ।

इमाम के बेटे का परिवर्तन

मुस्तफा के पिता इकबाल अली, भामगढ़ मस्जिद में वर्षों तक इमाम रहे हैं और मुस्लिम समाज के लोगों को नमाज पढ़ाते थे। लेकिन उनके बेटे मुस्तफा को बचपन से ही राम और हनुमान जी के किस्से बहुत प्रभावित करते थे। भामगढ़ के प्राचीन राम मंदिर में वह चुपके से पूजा अर्चना करते थे और राम-हनुमान की कथाओं को सुनते थे।

खंडवा जिले में सनातन धर्म की ओर बढ़ते कदम

मुस्तफा का सनातन धर्म में प्रवेश खंडवा जिले में सनातन धर्म को अपनाने वाले तीसरे मुस्लिम युवक का मामला है। इससे पहले फिरोज और इमरान ने भी इस्लाम धर्म छोड़कर सनातन धर्म की राह पकड़ी थी। इन तीनों युवकों को महादेवगढ़ मंदिर के संरक्षक अशोक पालीवाल जल्द ही प्रयागराज के महाकुंभ में ले जाने की योजना बना रहे हैं, ताकि वे वहां के साधु संतों से धर्म की और गहरी समझ प्राप्त कर सकें।

महादेवगढ़ के मंदिर के संरक्षक अशोक पालीवाल का कहना है कि इस परिवर्तन से यह संदेश मिलता है कि धर्म और आस्था के मामले में लोगों के बीच कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। यह एक सकारात्मक कदम है, जो समाज में एकता और समझ को बढ़ावा दे सकता है।

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