Edited By Anu Malhotra,Updated: 03 Jan, 2025 08:37 AM
महाराष्ट्र के कोल्हापुर में एक अनोखी घटना सामने आई है, जिसे किसी चमत्कार से कम नहीं कहा जा सकता। 65 वर्षीय पांडुरंग तात्या उलपे, जिन्हें दिल का दौरा पड़ने के बाद डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था, अचानक तब जीवित हो उठे जब एंबुलेंस में उनका शव घर ले...
नेशनल डेस्क: महाराष्ट्र के कोल्हापुर में एक अनोखी घटना सामने आई है, जिसे किसी चमत्कार से कम नहीं कहा जा सकता। 65 वर्षीय पांडुरंग तात्या उलपे, जिन्हें दिल का दौरा पड़ने के बाद डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था, अचानक तब जीवित हो उठे जब एंबुलेंस में उनका शव घर ले जाया जा रहा था।
यह घटना 16 दिसंबर 2024 की है, जब कसबा बावड़ा के निवासी पांडुरंग उलपे को अचानक चक्कर आने और सांस फूलने की शिकायत हुई। परिजन उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। अंतिम संस्कार की तैयारियां शुरू हो चुकी थीं, और रिश्तेदार घर पर इकट्ठा हो रहे थे।
रास्ते में, एंबुलेंस के एक स्पीड ब्रेकर पर झटके से उनके शरीर में हलचल हुई। यह देख परिजन चौंक गए और उन्हें तुरंत पास के एक अन्य अस्पताल ले जाया गया। वहां जांच के बाद डॉक्टरों ने पाया कि पांडुरंग उलपे जीवित हैं। उन्हें एंजियोप्लास्टी के बाद 15 दिनों तक अस्पताल में रखा गया, जिसके बाद वे स्वस्थ होकर घर लौटे।
इस पूरे घटनाक्रम ने न केवल उनके परिवार बल्कि स्थानीय लोगों को भी हैरान कर दिया। पांडुरंग और उनके परिजनों ने इसे भगवान विठ्ठल का आशीर्वाद मानते हुए इस घटना को पुनर्जन्म जैसा अनुभव बताया।
65 वर्षीय पांडुरंग तात्या उल्पे के पोते रोहित रामाने ने बताया कि उनके 15 दिन के अस्पताल इलाज के बाद जब वे घर लौटे, तो परिवार ने उनका उत्साहपूर्वक स्वागत किया। पांडुरंग, जो कोल्हापुर के कस्बा बावड़ा इलाके में रहते हैं, इस घटना को पुनर्जन्म मानते हैं और कहते हैं कि उनकी नई जिंदगी एक स्पीड ब्रेकर की वजह से संभव हुई।
उन्होंने बताया कि 16 दिसंबर 2024 की शाम अचानक उन्हें चक्कर आया और वह बेहोश होकर गिर पड़े। परिजन तुरंत उन्हें अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने हार्ट अटैक की पुष्टि की और उन्हें मृत घोषित कर दिया। हालांकि, एंबुलेंस से शव घर लाते समय, स्पीड ब्रेकर के झटके ने उन्हें दोबारा जिंदगी दे दी।
पांडुरंग तात्या उल्पे की पत्नी बालाबाई उलपे ने बताया कि 16 दिसंबर को दोपहर के समय उनके पति अस्वस्थ महसूस कर रहे थे। चक्कर आने के बाद उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वे बेहोश हो गए। परिजनों ने उन्हें कोल्हापुर के गंगावेश इलाके में स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां 2-3 घंटे की जांच के बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
हालांकि, जब उनके शव को एंबुलेंस से घर ले जाया जा रहा था, रास्ते में एक झटके के कारण उनकी उंगलियों में हलचल देखी गई। यह देख परिजन घबरा गए और तुरंत कदमवाड़ी क्षेत्र के एक बड़े अस्पताल में ले गए। वहां डॉक्टरों ने उनकी स्थिति की दोबारा जांच की और पाया कि वे जीवित हैं।
पांडुरंग को 15 दिनों तक अस्पताल में इलाज के बाद स्वस्थ घोषित किया गया। उनकी पत्नी और परिवार इसे भगवान विठ्ठल की कृपा मानते हैं। पांडुरंग बचपन से ही वारकरी संप्रदाय और भगवान विठ्ठल के भक्त रहे हैं। उनका मानना है कि यह नया जीवन भगवान विठ्ठल के आशीर्वाद से ही संभव हुआ है।