Edited By Rahul Rana,Updated: 06 Dec, 2024 04:18 PM

कोलकाता की प्रतिष्ठित पीली एंबेसेडर टैक्सियां जो शहर के पुराने दिनों का प्रतीक मानी जाती हैं अब धीरे-धीरे सड़कों से गायब हो रही हैं। ये हिंदुस्तान एंबेसेडर टैक्सियां जिन्हें प्यार से "पीली कैब" कहा जाता है लंबे समय से कोलकाता के यातायात का अहम...
नॅशनल डेस्क। कोलकाता की प्रतिष्ठित पीली एंबेसेडर टैक्सियां जो शहर के पुराने दिनों का प्रतीक मानी जाती हैं अब धीरे-धीरे सड़कों से गायब हो रही हैं। ये हिंदुस्तान एंबेसेडर टैक्सियां जिन्हें प्यार से "पीली कैब" कहा जाता है लंबे समय से कोलकाता के यातायात का अहम हिस्सा रही हैं लेकिन अब कई कारणों से ये टैक्सियां धीरे-धीरे बंद हो रही हैं।
मुख्य कारण:
बढ़ती रखरखाव लागत: इन वाहनों की मरम्मत और रखरखाव की लागत बढ़ती जा रही है। पुराने होने की वजह से इनकी मेंटेनेंस में ज्यादा खर्च आता है।
कड़े प्रदूषण नियम: पर्यावरणीय नियमों में सख्ती के कारण पुराने वाहनों का चलना मुश्किल हो गया है। प्रदूषण पर काबू पाने के लिए सरकार ने कड़े नियम लागू किए हैं जिसके चलते 15 साल पुराने इन वाहनों को सड़क पर चलाना अब मुश्किल हो गया है।
कोलकाता के पीले टैक्सी बेड़े का 50% से अधिक हिस्सा जल्द ही सेवानिवृत्त हो जाएगा। ये टैक्सियां लंबे समय से शहर के विभिन्न हिस्सों में यात्रियों को लेकर आ-जा रही थीं और कोलकाता की पहचान मानी जाती थीं।
ड्राइवरों और जनता का नजरिया:
पीली एंबेसेडर टैक्सियां केवल यातायात का साधन नहीं थीं बल्कि कोलकाता की संस्कृति और पहचान का अहम हिस्सा बन चुकी थीं। ड्राइवरों का कहना है कि इन टैक्सियों की देखभाल करना अब महंगा हो गया है और कई बार इसे मेंटेन करना संभव नहीं हो पाता। साथ ही बढ़ते प्रदूषण नियमों ने इस पर अतिरिक्त दबाव डाला है।
कोलकाता की जनता भी इस बदलाव को लेकर उदास है क्योंकि इन टैक्सियों का एक लंबा इतिहास और सांस्कृतिक महत्व है। लोग इन्हें शहर की पहचान मानते थे और इनके बिना कोलकाता की सड़कों की तस्वीर अधूरी लगती है।
नया बदलाव:
अब धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक और नए मॉडल की टैक्सियां कोलकाता की सड़कों पर नजर आएंगी जो प्रदूषण को कम करने में मदद करेंगी। हालांकि पीली एंबेसेडर टैक्सी का अपना एक अलग ही आकर्षण था जिसे कोलकाता की यादों से कभी भी मिटाया नहीं जा सकता।
इस प्रकार कोलकाता की सड़कों पर चलने वाली ये प्रिय पीली एंबेसेडर टैक्सियां जल्द ही इतिहास बन जाएंगी लेकिन उनका स्थान लेने वाले नए वाहनों को लेकर शहरवासियों में मिली-जुली भावनाएं हैं।