कुंभ मानदंडों से GDP में 1% से अधिक की वृद्धि होने की संभावना

Edited By Parminder Kaur,Updated: 12 Jan, 2025 03:53 PM

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महाकुंभ न केवल दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, बल्कि इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। विभिन्न अनुमानों के अनुसार, इस बार का महाकुंभ 4 लाख करोड़ रुपए से अधिक का व्यापार उत्पन्न कर सकता है, जो भारत की अर्थव्यवस्था को बड़ा...

नेशनल डेस्क. महाकुंभ न केवल दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, बल्कि इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। विभिन्न अनुमानों के अनुसार, इस बार का महाकुंभ 4 लाख करोड़ रुपए से अधिक का व्यापार उत्पन्न कर सकता है, जो भारत की अर्थव्यवस्था को बड़ा प्रोत्साहन देगा।

जीडीपी में 1% से अधिक की वृद्धि की उम्मीद

सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्तीय वर्ष में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.4% रहने की संभावना है, जबकि नाममात्र जीडीपी में 9.7% की वृद्धि होने का अनुमान है। वर्ष 2023-24 में भारत की नाममात्र जीडीपी 295.36 लाख करोड़ रुपए थी, जो 2024-25 में बढ़कर 324.11 लाख करोड़ रुपए होने की उम्मीद है। यह 28.75 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि को दर्शाता है। हालांकि, वास्तविक जीडीपी में वृद्धि की गति अपेक्षाकृत कम है, जिसका कारण पिछले वर्षों का कम आधार प्रभाव है। लेकिन, नाममात्र और वास्तविक जीडीपी दोनों में सकारात्मक वृद्धि का रुझान है और महाकुंभ इसमें 1% से अधिक का अतिरिक्त योगदान देने की क्षमता रखता है।

महाकुंभ 2025: 40 करोड़ आगंतुकों की उम्मीद

उत्तर प्रदेश सरकार के अनुमान के अनुसार, इस बार के महाकुंभ में करीब 40 करोड़ घरेलू और अंतरराष्ट्रीय श्रद्धालु शामिल हो सकते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यदि प्रत्येक आगंतुक औसतन 5,000 रुपए खर्च करता है, तो महाकुंभ से 2 लाख करोड़ रुपये का व्यापार होगा। लेकिन अंतरराष्ट्रीय और घरेलू आगंतुकों के अलग-अलग खर्च के आधार पर यह औसत बढ़कर 10,000 रुपये प्रति व्यक्ति हो सकता है। इस अनुमान के अनुसार, महाकुंभ का कुल आर्थिक प्रभाव 4.5 लाख करोड़ रुपये तक हो सकता है। यहां तक कि यदि 10% त्रुटि मार्जिन जोड़ा जाए, तो भी महाकुंभ भारतीय अर्थव्यवस्था में 4 लाख करोड़ रुपये का योगदान करेगा।

सरकार का निवेश और राजस्व

उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ के आयोजन में लगभग 16,000 करोड़ रुपए के निवेश का अनुमान लगाया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस निवेश से कई गुना ज्यादा लाभ मिलेगा।

जीएसटी संग्रह: अनुमान है कि 4 लाख करोड़ रुपये के व्यय पर 50,000 करोड़ रुपए का जीएसटी राजस्व आएगा।

कुल राजस्व: आयकर और अन्य अप्रत्यक्ष करों को मिलाकर, सरकार का कुल राजस्व 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है।

यह दर्शाता है कि महाकुंभ सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह आर्थिक पुनरुत्थान का एक शक्तिशाली माध्यम है।

पर्यटन, व्यापार और सांस्कृतिक प्रभाव

महाकुंभ न केवल व्यापार को बढ़ावा देता है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत को भी मजबूत करता है। स्थानीय हाट, मेले और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से यह आयोजन ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक पुल का काम करता है।

आगामी तिमाही में दिखेगा महाकुंभ का प्रभाव

महाकुंभ 2025 के आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव आने वाले महीनों में जीडीपी के आंकड़ों और बाजार में साफ दिखाई देंगे। यह आयोजन न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देगा, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक उत्थान का भी आधार बनेगा।

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