Edited By Rohini Oberoi,Updated: 17 Jan, 2025 12:23 PM
कुणाल कुमार सिंह ने सारण जिले के गड़खा प्रखंड स्थित सरगटी गांव में एक नई दिशा दिखाते हुए स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की। वह पढ़ाई के साथ ही स्टॉबेरी की खेती करके लाखों रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं।अपने 10 कट्ठा खेत में उन्होंने स्ट्रॉबेरी उगाकर न केवल...
नेशनल डेस्क। कुणाल कुमार सिंह ने सारण जिले के गड़खा प्रखंड स्थित सरगटी गांव में एक नई दिशा दिखाते हुए स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की। वह पढ़ाई के साथ ही स्टॉबेरी की खेती करके लाखों रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं।अपने 10 कट्ठा खेत में उन्होंने स्ट्रॉबेरी उगाकर न केवल अपने परिवार की मदद की बल्कि पढ़ाई के साथ साथ कमाई भी शुरू कर दी।
स्ट्रॉबेरी की खेती की शुरुआत
कुणाल ने छपरा के तेलपा निवासी मामा नचिकेता से स्ट्रॉबेरी की खेती की विधि सीखी। पहले नचिकेता टमाटर, केला और अन्य सब्जियों की खेती करते थे लेकिन 2016 में जब वे महाराष्ट्र के औरंगाबाद गए तो वहां उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती देखी। नचिकेता ने वहां के किसानों से जानकारी ली और स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाकर खेती की शुरुआत की। उन्होंने पहले 1000 पौधे लगाए और जब मुनाफा हुआ तो धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़ाई।
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फसल और इसके लाभ
कुणाल ने विज्ञान और आधुनिक तरीके से खेती की जिससे उन्होंने छपरा की जलवायु में भी स्ट्रॉबेरी की खेती को सफल बनाया। वर्तमान में उनकी स्ट्रॉबेरी बिहार के विभिन्न शहरों के मॉल्स में बिक रही है। उनके खेत में लाल रसीली स्ट्रॉबेरी उग रही है जिसे देखकर लोग आकर्षित हो रहे हैं।
खेती के लिए विशेष तैयारी
कुणाल ने बताया कि स्ट्रॉबेरी उगाने के लिए विशेष तरीके से मिट्टी तैयार की जाती है। खेत की मिट्टी को बारीक करके क्यारियां बनाई जाती हैं। इन क्यारियों की चौड़ाई डेढ़ मीटर और लंबाई 3 मीटर रखी जाती है और इन्हें 15 सेंटीमीटर ऊंचा किया जाता है। फिर इन क्यारियों को काले रंग की पॉलिथीन से ढक दिया जाता है जिससे पानी की नमी बरकरार रहती है और पैदावार बढ़ती है।
बढ़ती डिमांड और सफलता
कुणाल के मुताबिक स्ट्रॉबेरी एक ऐसा फल है जो दिल के मरीजों और कैंसर जैसी बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। अब उनकी सफलता को देखते हुए इलाके के अन्य किसान भी स्ट्रॉबेरी की खेती की ओर बढ़ रहे हैं और इस कारोबार से जुड़ने लगे हैं।
कुणाल की पढ़ाई
कुणाल इग्नू से बीकॉम कर रहे हैं। उनका मानना है कि खेती और पढ़ाई दोनों को साथ साथ चलाया जा सकता है। कुणाल का परिवार पूरी तरह से खेती पर निर्भर है और उनकी सफलता इस बात का उदाहरण है कि युवा किस तरह खेती को लाभकारी बना सकते हैं।
इस तरह कुणाल कुमार सिंह ने साबित कर दिया कि अगर जज्बा और सही जानकारी हो तो कोई भी मुश्किल छोटी हो जाती है और नई खेती से मुनाफा कमाना भी संभव हो जाता है।