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इन महिलाओं को अब नहीं मिलेगा लाडकी बहन योजना का लाभ, सरकार ने नियमों में किया बदलाव

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 05 Feb, 2025 12:30 PM

ladki bahin yojana to disqualify women with four wheelers

महाराष्ट्र सरकार की लड़की बहिन योजना से उन महिलाओं को बाहर किया जा रहा है जिनके पास चार पहिया वाहन है। यह फैसला सरकार ने हाल ही में लिया है और इस पर विपक्ष ने कड़ी आपत्ति जताई है। कांग्रेस और NCP (शरद पवार गुट) ने इसे महिलाओं के साथ अन्याय करार दिया...

नेशनल डेस्क: महाराष्ट्र सरकार की लड़की बहिन योजना से उन महिलाओं को बाहर किया जा रहा है जिनके पास चार पहिया वाहन है। यह फैसला सरकार ने हाल ही में लिया है और इस पर विपक्ष ने कड़ी आपत्ति जताई है। कांग्रेस और NCP (शरद पवार गुट) ने इसे महिलाओं के साथ अन्याय करार दिया और कहा कि सरकार इस योजना के नाम पर महिलाओं के साथ धोखा कर रही है। महाराष्ट्र सरकार की लड़की बहिन योजना के तहत 65 वर्ष तक की उन महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपये दिए जाते हैं जिनकी वार्षिक पारिवारिक आय 2.5 लाख रुपये से कम हो। इसके अलावा, लाभार्थी का परिवार सरकारी नौकरी में नहीं होना चाहिए और उसे किसी अन्य सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल रहा हो। अब सरकार ने नई शर्त जोड़ी है – यदि किसी महिला के नाम पर चार पहिया वाहन रजिस्टर्ड है तो वह इस योजना का लाभ नहीं ले पाएगी।

सरकार का क्या कहना है?
पुणे जिला परिषद के डिप्टी चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर जामसिंह गिरासे के अनुसार, महिलाओं को सिर्फ लाभार्थियों की सूची से हटाने का प्रस्ताव है। उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं होगी और ना ही कोई जुर्माना लगाया जाएगा। प्रशासन ने RTO से ऐसी महिलाओं की सूची मांगी है और अगले एक महीने के भीतर यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।

विपक्ष का हमला, महिलाओं का अपमान!
इस फैसले पर कांग्रेस और NCP (शरद पवार गुट) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पुणे कांग्रेस प्रवक्ता गोपाल तिवारी ने कहा कि यह फैसला महिलाओं के लिए अपमानजनक और अमानवीय है। उन्होंने कहा कि कई महिलाओं ने कोविड-19 महामारी से पहले गाड़ियां खरीदी थीं लेकिन महामारी के बाद नौकरियां चली गईं। अब सरकार सिर्फ गाड़ी के नाम पर उन्हें योजना से बाहर कर रही है, भले ही वे आर्थिक तंगी से गुजर रही हों।

क्या कहती हैं प्रभावित महिलाएं?
पिंपरी-चिंचवड़ की रहने वाली एक महिला ने बताया कि उनकी गाड़ी 10 साल पुरानी है, जिसे उन्होंने तब खरीदा था जब उनके पास नौकरी थी। अब तीन साल से उनकी नौकरी चली गई है और उनकी कोई आय नहीं है। ऐसे में केवल गाड़ी की वजह से उनका नाम योजना से काट दिया जाना अन्याय है। अब सवाल यह उठता है कि क्या सरकार इस फैसले को वापस लेगी या फिर विपक्ष के विरोध के बावजूद इसे लागू किया जाएगा। फिलहाल सरकार ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन विपक्ष इसे बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी में है।

 

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