Tata Legacy: कौन है लिआ, माया और नेविल? जो Ratan Tata के बन सकते हैं 3800 करोड़ के साम्राज्य के उत्तराधिकारी

Edited By Anu Malhotra,Updated: 10 Oct, 2024 08:40 AM

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देश के प्रतिष्ठित उद्योगपति रतन टाटा का बुधवार देर रात मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। अब टाटा समूह की विशाल विरासत उनकी अगली पीढ़ी संभालेगी, जिस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। नमक से लेकर सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री तक फैले...

नेशनल डेस्क:  देश के प्रतिष्ठित उद्योगपति रतन टाटा का बुधवार देर रात मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। अब टाटा समूह की विशाल विरासत उनकी अगली पीढ़ी संभालेगी, जिस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। नमक से लेकर सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री तक फैले इस समूह का नेतृत्व करने के लिए तीन प्रमुख नाम सामने आ रहे हैं, जो रतन टाटा के उत्तराधिकारी माने जा रहे हैं।

लिआह, माया और नेविल टाटा बन सकते हैं उत्तराधिकारी
रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा के बच्चे – लिआह टाटा, माया टाटा और नेविल टाटा – टाटा समूह में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभा रहे हैं और अब उनकी उत्तराधिकार सूची में सबसे आगे हैं।

नोएल टाटा के बच्चे
लिआ टाटा:

नोएल की बड़ी बेटी लिआ टाटा ने 2006 में ताज होटल्स रिसॉर्ट्स एंड पैलेस में सहायक सेल्स एग्जीक्यूटिव के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी। वह अब टाटा समूह में विभिन्न जिम्मेदारियां निभा रही हैं और टाटा मेडिकल सेंटर ट्रस्ट की ट्रस्टी भी हैं।

माया टाटा:
नोएल की दूसरी बेटी माया टाटा, टाटा ऑपच्युनिटीज फंड में निवेशक संबंधों और पोर्टफोलियो प्रबंधन का काम संभालती हैं। वह भी टाटा मेडिकल सेंटर ट्रस्ट की ट्रस्टी हैं और टाटा समूह के भीतर एक प्रमुख भूमिका निभा रही हैं।

नेविल टाटा:
नोएल और उनकी पत्नी आलू मिस्त्री के बेटे नेविल टाटा, ट्रेंट कंपनी के साथ जुड़े हुए हैं और रिटेल बिजनेस में एक प्रमुख स्थान रखते हैं। नेविल की शादी मानसी किलर्लोस्कर से हुई है, जो किलर्लोस्कर ग्रुप की उत्तराधिकारी हैं। उनके दो बच्चे जमशेत और टिएना टाटा हैं। नेविल भी टाटा मेडिकल सेंटर ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं, जहां वे अपनी सामाजिक और व्यावसायिक जिम्मेदारियों का निर्वाह कर रहे हैं।

 

Tata Group की नई पीढ़ी पर टिकी निगाहें
रतन टाटा ने 1991 में टाटा समूह की अध्यक्षता संभाली थी और उनके नेतृत्व में कंपनी ने कई ऐतिहासिक उपलब्धियाँ हासिल कीं, जिनमें 2004 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) का सार्वजनिक होना और 1996 में टाटा टेलीसर्विसेज की स्थापना शामिल हैं। 2012 में अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद भी उन्होंने समूह में मानद चेयरमैन एमेरिटस की भूमिका निभाई और भारतीय परोपकार में टाटा ट्रस्ट का नेतृत्व जारी रखा।

रतन टाटा को उनकी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए 2000 में पद्म भूषण और 2008 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। उनके निधन के साथ ही टाटा समूह की अगली पीढ़ी अब इस विशाल विरासत को आगे ले जाने के लिए तैयार है।


 

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