सत्य साईं का जीवन जन्म से लेकर मृत्यु तक भरा रहा चमत्कारों से

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 24 Apr, 2019 12:16 PM

life of satya sai full of miracles from birth to death

श्री सत्य साईं बाबा एक ऐसा नाम हैं, जो विश्व के किसी भी कोने में जाने जाते हैं। वे अपने भक्तों के साथ जिंदगी के साथ भी थे और जिंदगी के बाद भी हैं। सत्यसाईं बाबा शिर्डी के साईं बाबा का अवतार माने जाते हैं। उनका जन्म 23 नवंबर, 1926 को आंध्रप्रदेश के...

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Satya Sai Baba : श्री सत्य साईं बाबा एक ऐसा नाम हैं, जो विश्व के किसी भी कोने में जाने जाते हैं। वे अपने भक्तों के साथ जिंदगी के साथ भी थे और जिंदगी के बाद भी हैं। सत्य साईं बाबा शिर्डी के साईं बाबा का अवतार माने जाते हैं। उनका जन्म 23 नवंबर, 1926 को आंध्रप्रदेश के पुट्‍टपर्थी गांव में हुआ था और 24 अप्रैल, 2011 को उन्होंने संसार को अलविदा कहा था। आज भी लगभग 168 देशों में उनके बहुत सारे भक्‍त हैं। जो उन्हें भगवान की तरह पूजते हैं। जिस दिन सत्यसाईं इस धरती पर अवतरित हुए, उस दिन उनकी माता जी ने भगवान सत्य नारायण की पूजा का प्रसाद खाया तो उसके कुछ समय बाद बाबा का जन्म हुआ। नवजात बालक के जन्म के साथ ही घर में पड़े सभी वाद्ययंत्र अपने आप बजने लगे। वे अपने बाबा पेदू वेंकप्पाराजू एवं मां ईश्वराम्मा की 8वीं संतान थे। उन्होंने उनका नाम सत्यनारायण राजू (Satya Sai Baba) रखा। रहस्यमय रूप से एक ख़तरनाक सांप उनके ऊपर फन निकालकर छाया करने लगा।

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सत्य साईं बाबा है शिरडी साईं का अवतार

कहते हैं न होनहार बिरवान के चिकने-चिकने पात, ये मुहावरा तो जैसे सत्यसाईं बाबा के लिए ही बना है। बचपन से ही वे बहुगुणी प्रतिभा के धनी थे। 8 साल की छोटी सी आयु में ही ये सुंदर भजनों की रचना करने लग गए थे। 23 मई 1940 को जब सत्य साईं 14 वर्ष के थे तो उन्होंने अपने अवतार होने की घोषणा की। उन्होंने कहा था 'मैं शिवशक्ति स्वरूप, शिरडी साईं का अवतार हूं’। ऐसा बोलकर उन्होंने मुट्ठी भर चमेली के फूलों को हवा में उछाला, जो जमीन पर गिरे तो तेलुगू में लिखा गया 'साईंबाबा’। 14 वर्ष की आयु में उन्होंने अपना सारा जीवन मानव सेवा के लिए समर्पित कर दिया। जब वे हाईस्कूल में शिक्षा प्राप्त कर रहे थे तो उन्हें एक बिच्छू ने काट लिया और वे कोमा में चले गए। जब वे कोमा से बाहर आए तो उनका आचरण अजीब सा हो गया। उन्होंने खाना-पीना छोड़ दिया। वे अपना सारा वक्त श्लोक एवं मंत्रों का उच्चारण करके व्यतित करने लगे। 

 

सत्य साईं का धर्म प्रचार केंद्र 

सभी धर्मों के लोग आध्यात्मिक गुरु सत्य सांई के शिष्य थे। जब उनके भक्त उन्हें सच्चे मन से याद करते हैं तो उनकी फोटो से अपने आप ही भभूत निकलने लगती है। देश-विदेश में इनका विशाल साम्राज्य स्थापित है। उन्होंने लगभग 178 देशों में धर्म प्रचार केंद्र बनाए। सत्य साईं बाबा ने जनमानस को संदेश दिया कि आपस में सब प्रेम करो, सबकी सहायता करो और किसी का बुरा मत करो।

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सत्य साईं के चमत्कार 

बाबा ने अपने जीवनकाल में बहुत बड़े-बड़े चमत्कार किए जैसे भक्तों के बीच विभूति बरसाना, शिवरात्रि के अवसर पर सोने और पारद के शिवलिंग अपने मुंह से निकालना, हथेली से अंगूठी या सोने की चैन आदि का प्रकट करना आदि। किवदंती के अनुसार ये चर्चा भी जोरों पर रही थी की चन्द्रमा में बाबा का अक्स दिखाई दिया था। ये भी कहा जाता है कि बाबा अर्धनारीश्वर का रूप थे।  साईं भक्तों के घर में उनके चरणों के चित्रों की पूजा होती है। जिनमें एक चरण पुरुष का एवं दूसरा नारी के समान दिखता है। मान्यता है कि पैरों की असमान छवि ही उनकी वेशभूषा के जमीन पर लहराने का कारण थी।

बाबा के चमत्कारों को अक्सर हाथों की कलाकारी मानकर उन पर संदेह प्रकट किया जाता रहा है। देश-विदेश में रहने वाले साईं भक्तों के घर में सभी देवी-देवताओं की प्रतिमाओं अथवा चित्रों से विभूति, कुमकुम, शहद, रोली, गुलाल निकलना, हाथों की छाप मिलना, अदृश्य होकर प्रसाद ग्रहण करना आदि किस्से सुने जा सकते हैं। यहां तक की भक्तों को अपने घर में मांगलिक कार्य करते हुए बाबा की आत्मिक उपस्थिति भी अनुभव होती है। पीले लिफाफे पर स्वास्तिक चिन्ह के साथ बाबा का आशीर्वाद भी मिलता है।

 

सत्य साईं की सेवाएं

बाबा ने अपने जीवन काल में बहुत सारी शिक्षण संस्थाएं, अस्पताल और मानव सेवा के कामों में सहयोग दिया। प्रशांति निलयम में सत्यसाईं का विश्वस्तरीय अस्पताल और रिसर्च सेंटर लगभग 200 एकड़ भूमी में फैला हुआ है। इसमें 220 बिस्तर लगे हैं, जो निःशुल्क सर्जिकल और मेडिकल केयर की सुविधाएं उपलब्ध करवाते हैं। श्री सत्य साईं इंस्टीट्यूट ऑफ हायर मेडिकल साइंस बेंगलुरू में भी औसत 333 बिस्तर गरीबों के लिए उपलब्ध करवाए जाते हैं। न केवल देश बल्कि विदेशों के भी नामी गिरामी चिकित्सक बाबा के अस्पतालों में मुफ्त सेवाएं देने आते हैं।  

उन्होंने अपनी जननी ईश्वरम्मा के नाम से ट्रस्ट स्थापित करने के साथ ही उनके साईं यूथ इंडिया, साईं बाल विकास, इंटरनेशनल साईं ऑर्गनाइजेशन, साईं बुक्स एंड पब्लिकेशन डिविजन, व्हाइट फिल्ड हॉस्पिटल, सत्य साईं मेडिकल ट्रस्ट, भारत में चल रहे श्री सत्य साईं हायर सेकेंडरी स्कूल, सत्य साईं इंस्टीट्यूट ऑफ हायर लर्निंग की तीन प्रमुख शाखाएं प्रशांति निलयम, अनंतपूरम, वृंदावन हैं। जिसके अंतर्गत कला, विज्ञान, ग‍‍णित, भाषा, एमबीए, टेक्नोलॉजी, पीएचडी, स्पोर्टस् व रिसर्च की सुविधाएं उपलब्ध हैं।

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