Edited By Rahul Rana,Updated: 31 Mar, 2025 03:30 PM

संसद की एक समिति ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें कहा गया है कि मंत्रालयों में अधिकारियों के लंबे समय तक तैनात रहने से भ्रष्टाचार बढ़ने का खतरा होता है। समिति ने यह भी सुझाव दिया कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कोई भी...
नेशनल डेस्क: संसद की एक समिति ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें कहा गया है कि मंत्रालयों में अधिकारियों के लंबे समय तक तैनात रहने से भ्रष्टाचार बढ़ने का खतरा होता है। समिति ने यह भी सुझाव दिया कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कोई भी अधिकारी अपने निर्धारित समय सीमा से अधिक समय तक एक ही मंत्रालय में तैनात न रहे। इसके लिए त्वरित कदम उठाने की आवश्यकता है।
ताबदले की नीति पर सवाल: रोटेशनल नीति पूरी तरह से लागू नहीं
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय विभागों से संबंधित संसद की स्थायी समिति ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) से जुड़े अनुदान मांगों (2025-26) पर 27 मार्च को पेश की गई 145वीं रिपोर्ट में यह सुझाव दिया कि अधिकारियों के तबादले की रोटेशनल नीति है, लेकिन यह पूरी तरह से लागू नहीं हो रही है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस नीति को प्रभावी तरीके से लागू करने की जरूरत है।
समिति की जांच: सीएसएस और सीएसएसएस सेवाओं में लंबी तैनाती
समिति ने केंद्रीय सचिवालय सेवाओं (सीएसएस) और केंद्रीय सचिवालय आशुलिपिक सेवाओं (सीएसएसएस) की समीक्षा के दौरान यह पाया कि कई अधिकारी विशेष रूप से आर्थिक और संवेदनशील मंत्रालयों में 8-9 वर्षों से अधिक समय तक तैनात हैं। कुछ अधिकारियों ने अपने पूरे करियर को एक ही मंत्रालय में बिताया है, जो नियमों के खिलाफ है और इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल सकता है।
संवेदनशील और गैर-संवेदनशील पोस्टिंग में रोटेशन जरूरी
समिति ने रिपोर्ट में यह भी कहा कि अधिकारियों को संवेदनशील और गैर-संवेदनशील पोस्टिंग के आधार पर रोटेशन करना चाहिए, ताकि कोई अधिकारी किसी संवेदनशील पद पर लंबे समय तक न रहे। खासकर सीएसएस और सीएसएसएस सेवाओं में, संवेदनशील स्थानों पर तैनात अधिकारियों को तीन साल के कार्यकाल के बाद बदला जाना चाहिए।