भक्तों के लिए बड़ी खबर: बंद हुए भगवान केदारनाथ के कपाट, जयकारों से गूंज उठी केदारपुरी

Edited By Anu Malhotra,Updated: 03 Nov, 2024 09:38 AM

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भगवान केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिए विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। मंदिर में सुबह से विशेष पूजा-अर्चना की गई। पूजा के बाद पहले गर्भगृह के कपाट बंद किए गए और फिर बाबा की डोली को मंदिर परिसर से बाहर लाया गया।

नेशनल डेस्क: भगवान केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिए विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। मंदिर में सुबह से विशेष पूजा-अर्चना की गई। पूजा के बाद पहले गर्भगृह के कपाट बंद किए गए और फिर बाबा की डोली को मंदिर परिसर से बाहर लाया गया। इसके बाद मुख्य द्वार को भी बंद कर दिया गया। भक्तों के "बम बम भोले" के जयकारों से पूरी केदारपुरी गूंज उठी, और श्रद्धालुओं ने भावुक होकर बाबा के दर्शन किए।

 3 नवंबर, यानी आज भैयादूज के दिन, बाबा केदार की पंचमुखी भोग मूर्ति को उत्सव डोली में विराजमान किया गया। इस पावन अवसर पर भक्तों को सुबह 2 से 3:30 बजे तक जलाभिषेक करने का अवसर मिला। इसके बाद गर्भगृह की सफाई की गई, और तड़के 4:30 बजे बाबा केदारनाथ की विशेष पूजा, अभिषेक, एवं आरती की गई। समाधि पूजा के पश्चात् बाबा केदार को छह महीने की समाधि दी जाएगी, और ठीक 6 बजे गर्भगृह के कपाट बंद कर दिए गए।

सुबह 8:30 बजे बाबा केदार की पंचमुखी डोली पौराणिक विधियों के अनुसार मंदिर से बाहर निकाली गई और मुख्य द्वार सहित मंदिर के पिछले द्वार को भी सील किया गया। इसी दिन बाबा की डोली अपने पहले पड़ाव रामपुर पहुंचेगी, जहां वह रात्रि विश्राम करेगी।

4 नवंबर को डोली रामपुर से प्रस्थान कर फाटा और नारायकोटी होते हुए विश्वनाथ मंदिर, गुप्तकाशी में रात्रि विश्राम करेगी। फिर 5 नवंबर को डोली गुप्तकाशी से प्रस्थान कर 11:20 बजे शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ पहुंचेगी। परंपरा अनुसार, बाबा केदार की डोली ऊखीमठ में छह महीने तक विराजमान रहेगी। बद्री-केदार मंदिर समिति द्वारा सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं, ताकि भक्तजन इस पारंपरिक यात्रा में सम्मिलित हो सकें।

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