Edited By Rohini,Updated: 03 Jan, 2025 11:39 AM
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़े एक मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने एक बालिग जोड़े को विवाह किए बिना एक साथ रहने की अनुमति दी है। इस फैसले में जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने कहा कि दोनों याचिकाकर्ता 18 साल से...
नेशनल डेस्क। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़े एक मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने एक बालिग जोड़े को विवाह किए बिना एक साथ रहने की अनुमति दी है। इस फैसले में जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने कहा कि दोनों याचिकाकर्ता 18 साल से अधिक उम्र के हैं और उनके पास अपनी पसंद से जीवन जीने का अधिकार है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस अधिकार की सुरक्षा बाहरी हस्तक्षेप से होनी चाहिए।
कोर्ट का फैसला
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि लिव-इन रिलेशनशिप में प्रवेश करने के लिए 18 साल की उम्र का होना पर्याप्त नहीं है। इस प्रकार के रिश्ते में परिपक्वता और आर्थिक स्वतंत्रता की आवश्यकता होती है ताकि यह निर्णय भविष्य में कोई कठिनाई न पैदा करे। हालांकि कोर्ट ने इस जोड़े की परिस्थितियों को समझते हुए उनका समर्थन किया और कहा कि युवा होने के बावजूद इस फैसले को उनके व्यक्तिगत अधिकार के रूप में लिया जाना चाहिए।
लिव-इन रिलेशनशिप की वजह
इस मामले में याचिकाकर्ता लड़की ने बताया कि उसकी मां की मृत्यु के बाद घर का माहौल उसके लिए असहनीय हो गया था जिसके कारण उसने अपने साथी के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहने का निर्णय लिया। लड़की ने अदालत को बताया कि उसकी परिस्थितियों ने उसे यह कदम उठाने के लिए मजबूर किया। कोर्ट ने उसकी स्वायत्तता और उसके फैसले का सम्मान करते हुए यह फैसला दिया।
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कोर्ट की चिंता
कोर्ट ने इस फैसले के दौरान लिव-इन रिलेशनशिप में प्रवेश करने के जोखिमों को भी ध्यान में रखा। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने कहा कि जब व्यक्ति मानसिक और आर्थिक रूप से परिपक्व नहीं होते तो इस प्रकार का निर्णय जीवन में जटिलताएं बढ़ा सकता है। हालांकि कोर्ट ने इस जोड़े के अधिकारों की रक्षा करने का भी आदेश दिया और कहा कि पुलिस अधिकारियों को सुनिश्चित करना होगा कि इस जोड़े को किसी भी प्रकार का बाहरी हस्तक्षेप न हो।
समाज में बदलाव का संदेश
कोर्ट ने इस फैसले को समाज के व्यापक परिप्रेक्ष्य में भी देखा। अदालत ने कहा कि यह फैसला व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को बल देता है और समाज में एक नई मिसाल स्थापित करता है। कोर्ट ने यह भी बताया कि स्वतंत्रता का प्रयोग जिम्मेदारी के साथ किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में कोई कठिनाई उत्पन्न न हो। इस फैसले के बाद युवाओं को यह सिखने को मिलेगा कि किसी भी निर्णय को परिपक्वता और जिम्मेदारी के साथ लिया जाना चाहिए।
अंतिम निर्देश
कोर्ट ने इस मामले में पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे इस जोड़े के अधिकारों की रक्षा करें और किसी भी प्रकार के बाहरी हस्तक्षेप से उन्हें सुरक्षित रखें। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में किसी प्रकार का बाहरी दबाव स्वीकार नहीं किया जाएगा और जो जोड़ा इस फैसले के तहत रहना चाहता है उसकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।
यह निर्णय युवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है कि वे अपने अधिकारों का सम्मान करें लेकिन इसके साथ ही जिम्मेदार निर्णय लें।