मध्य प्रदेश ने पराली जलाने के मामले में पंजाब को पछाड़ा, दर्ज की गई 14.5% की बढ़ोतरी

Edited By Parminder Kaur,Updated: 15 Nov, 2024 12:46 PM

madhya pradesh overtakes punjab in stubble burning

मध्य प्रदेश ने इस साल के धान की कटाई के मौसम में पराली जलाने के मामलों में पंजाब को पीछे छोड़ दिया है। 14 नवंबर तक की रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब में 7,626 मामले दर्ज हुए हैं, जबकि मध्य प्रदेश में 8,917 मामले सामने आए हैं। यानी मध्य प्रदेश में पराली...

नेशनल डेस्क. मध्य प्रदेश ने इस साल के धान की कटाई के मौसम में पराली जलाने के मामलों में पंजाब को पीछे छोड़ दिया है। 14 नवंबर तक की रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब में 7,626 मामले दर्ज हुए हैं, जबकि मध्य प्रदेश में 8,917 मामले सामने आए हैं। यानी मध्य प्रदेश में पराली जलाने के मामलों की संख्या पंजाब से 14.5% ज्यादा रही।

यह पहला मौका है, जब मध्य प्रदेश ने पराली जलाने के मामलों में पंजाब को पीछे छोड़ दिया है। 2020 से जब से मध्य प्रदेश में पराली जलाने के मामलों की गिनती शुरू हुई थी, तब से यह पहली बार हुआ है कि राज्य ने पंजाब को मात दी है। पिछले चार वर्षों में पंजाब ने कुल 2,99,255 पराली जलाने के मामले दर्ज किए, जबकि मध्य प्रदेश में इन चार वर्षों में कुल 55,462 मामले दर्ज हुए हैं। इस आंकड़े को देखकर यह कहा जा सकता है कि पंजाब ने पराली जलाने के मामलों को नियंत्रण में रखने में बड़ी सफलता हासिल की है।

इस साल की स्थिति

इस साल 14 नवंबर तक पंजाब में पराली जलाने के मामलों में पिछले वर्षों के मुकाबले 70% की कमी आई है। यह आंकड़ा पंजाब के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है, क्योंकि राज्य ने अपने प्रयासों के कारण इस गंभीर पर्यावरणीय समस्या में कमी लाने में सफलता प्राप्त की है।

पंजाब के साथ-साथ हरियाणा ने भी पराली जलाने के मामलों में काफी कमी की है और अब यह राज्य शीर्ष पांच राज्यों में शामिल है। पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के बाद हरियाणा का स्थान है। हालांकि, यदि पिछले छह वर्षों का आंकड़ा देखा जाए, तो पंजाब और मध्य प्रदेश के बाद हरियाणा तीसरे स्थान पर है। इस साल 14 नवंबर तक उत्तर प्रदेश में 2,375, राजस्थान में 1,906, हरियाणा में 1,036 और दिल्ली में सिर्फ 12 पराली जलाने के मामले दर्ज हुए हैं। इन छह राज्यों में कुल 21,866 पराली जलाने के मामले रिपोर्ट किए गए हैं, जिनमें से 932 मामले गुरुवार को दर्ज हुए थे।


दिल्ली और मुंबई से मिली जानकारी के अनुसार, पंजाब में मध्य प्रदेश की तुलना में अधिक फायर रेडियेटिव पावर (FRP) रिपोर्ट की गई है। FRP एक पैमाना है, जिससे यह पता चलता है कि किसी क्षेत्र में कितनी पराली जलाई जा रही है और जलाने से कितनी गर्मी उत्पन्न हो रही है। अधिक FRP मान का मतलब है कि जलने का क्षेत्र ज्यादा और जलने की तीव्रता भी अधिक है। 


पंजाब में पराली जलाने के मामले कम

गुरुवार को पंजाब में केवल पांच पराली जलाने के मामले रिपोर्ट हुए, जिससे अब तक सीजन में कुल 7,626 मामले हो गए हैं। इनमें से कपूरथला में दो, फतेहगढ़ साहिब, लुधियाना और तरनतारन में एक-एक मामला दर्ज हुआ। 2022 में 14 नवंबर तक यह संख्या 1,776 थी, जबकि इस साल 2023 में यह संख्या सिर्फ पांच रही, जो बड़ी राहत की बात है। पंजाब सरकार ने पराली जलाने के मामलों में कड़ी कार्रवाई की है। 12 नवंबर तक 3,545 मामलों में पर्यावरणीय जुर्माना लगाया गया, जिसकी कुल राशि ₹1.15 करोड़ है, जिसमें से ₹92.32 लाख की वसूली भी हो चुकी है। इसके अलावा 3,531 मामलों में रेड एंट्री की गई और 3,969 एफआईआर भी दर्ज की गईं।

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