Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 13 Jan, 2025 09:02 PM
महाकुंभ के पहले स्नान पर्व पर प्रयागराज के त्रिवेणी संगम घाटों पर उमड़ी भारी भीड़ के बीच बिछड़े लोगों को प्रशासन ने संजीवनी प्रदान की। तड़के घने कोहरे और भीड़ के बावजूद, मेला प्रशासन ने 250 से अधिक लोगों को उनके परिजनों से मिलवाया। यह सफलता...
नेशनल डेस्क : महाकुंभ के पहले स्नान पर्व पर प्रयागराज के त्रिवेणी संगम घाटों पर उमड़ी भारी भीड़ के बीच बिछड़े लोगों को प्रशासन ने संजीवनी प्रदान की। तड़के घने कोहरे और भीड़ के बावजूद, मेला प्रशासन ने 250 से अधिक लोगों को उनके परिजनों से मिलवाया। यह सफलता भूले-भटके शिविरों और अन्य सहायता केंद्रों द्वारा मिलकर हासिल की गई, जो प्रशासन की ओर से बिछड़े हुए लोगों को जोड़ने में महत्वपूर्ण साबित हुई।
भीड़ नियंत्रण और बिछड़े लोगों की मदद में प्रशासन की पहल
उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ मेले के दौरान भीड़ नियंत्रण के लिए कई पहल की हैं। प्रशासन ने खास तौर पर भूले-भटके शिविरों को स्थापित किया, जिसमें बिछड़ी महिलाओं और बच्चों के लिए अलग-अलग खंड रखे गए हैं। इसके अलावा, खोया-पाया केंद्र भी बनाए गए हैं, जहां डिजिटल टूल्स और सोशल मीडिया का उपयोग किया जा रहा है। पुलिस सहायता केंद्र और वॉच टावर भी मेले के दौरान बिछड़े हुए लोगों को ढूंढने में सहायक साबित हो रहे हैं।
साथ ही, घाटों पर लगाए गए लाउड स्पीकरों के जरिए खोए हुए लोगों के बारे में घोषणाएं की जा रही हैं, जिससे उन्हें उनके परिवारों तक पहुंचने में आसानी हो रही है। मेला प्रशासन का कहना है कि स्नान पर्व के पहले डेढ़ घंटे में ही करीब 200-250 लोग अपने परिवारों से मिल गए।
भूले-भटके शिविरों के माध्यम से राहत
उत्तर प्रदेश नागरिक सुरक्षा के वार्डन नितेश कुमार द्विवेदी ने बताया, “हमने सैकड़ों परिवारों को उनके बिछड़े हुए सदस्य से मिलवाया। स्नान के प्रारंभ होने के बाद ही करीब 200-250 लोग हमारे शिविर के माध्यम से अपने परिवारों से जुड़ पाए।” ये शिविर और खोया-पाया केंद्र बिछड़े हुए लोगों के लिए एक सहारा बनकर उभरे हैं, जिनकी मदद से प्रशासन ने कई परिवारों को फिर से एक साथ लाया। मेला क्षेत्र में बिछड़े हुए श्रद्धालुओं की कहानियाँ दिल को छूने वाली थीं। दिल्ली से आए अजय गोयल ने बताया, “हम हमेशा मजाक किया करते थे कि कुंभ में लोग बिछड़ जाते हैं, लेकिन अब हमें अहसास हुआ कि यह मजाक नहीं, बल्कि वास्तविकता है।” सुजाता झा, जो अपने परिवार के साथ आई थीं, ने बताया कि वह तीन घंटे से अपने परिवार के इंतजार में भीगे हुए कपड़ों में खड़ी हैं, जबकि परिवार के सदस्य अभी तक नहीं पहुंचे।
प्रशासन की पहल को मिली सराहना
इन भावनात्मक कहानियों के बावजूद, प्रशासन की ओर से की गई व्यवस्थाओं को श्रद्धालुओं ने सराहा। अजय गोयल ने कहा, “लाउड स्पीकर से की जा रही घोषणाएं और खोया-पाया केंद्र शानदार पहल हैं। अधिकारी तुरंत प्रतिक्रिया देते हैं, जो सराहनीय है।” इन सुविधाओं ने बिछड़े लोगों को राहत प्रदान की और उन्हें फिर से अपने परिजनों से मिलाने में अहम भूमिका निभाई।
तकनीकी सहायता से बिछड़े लोगों को मिली मदद
उत्तर प्रदेश सरकार ने खोया-पाया केंद्रों में सोशल मीडिया और अन्य तकनीकी उपायों का भी इस्तेमाल किया। इन उपायों की मदद से बिछड़े हुए लोग आसानी से अपने परिवारों से संपर्क कर पा रहे थे, और उनकी खोज तेज़ हो गई थी। सोशल मीडिया मंचों ने भी इस प्रक्रिया को और सरल बना दिया।