Maha Kumbh 2025: ढोल-नगाड़ों के साथ निकली साधु-संतों की शोभायात्रा, सामने आईं खूबसूरत तस्वीरें

Edited By Parminder Kaur,Updated: 11 Jan, 2025 11:04 AM

maha kumbh 2025 procession of saints and sages started with drums

महामंडलेश्वर कैलाशानंद सरस्वती का नगर प्रवेश बेहद शानदार रहा। ढोल-नगाड़ों की गूंज, नागा साधुओं का साथ और हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ ने इस पल को यादगार बना दिया। 144 साल बाद आया यह महाकुंभ हर किसी के लिए अनमोल है। शोभायात्रा में भारतीय साधु-संतों के...

नेशनल डेस्क. महामंडलेश्वर कैलाशानंद सरस्वती का नगर प्रवेश बेहद शानदार रहा। ढोल-नगाड़ों की गूंज, नागा साधुओं का साथ और हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ ने इस पल को यादगार बना दिया। 144 साल बाद आया यह महाकुंभ हर किसी के लिए अनमोल है। शोभायात्रा में भारतीय साधु-संतों के साथ-साथ विदेशों से आए महात्मा भी शामिल हुए।

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भव्य शोभायात्रा निकली

महामंडलेश्वर कैलाशानंद सरस्वती ने अपने अखाड़े तक एक भव्य शोभायात्रा निकाली। यह यात्रा केपी कॉलेज ग्राउंड से शुरू हुई। यात्रा में ढोल-नगाड़े, ताशे और बैंड-बाजों की गूंज ने माहौल को भक्तिमय बना दिया। निरंजनी अखाड़े के दस हजार से अधिक नागा साधु इस शोभायात्रा की शोभा बढ़ाने पहुंचे। साधु-संतों के साथ भारी संख्या में श्रद्धालु भी इस दृश्य को देखने उमड़ पड़े।

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विदेशी महात्माओं की मौजूदगी

इसमें भारतीय साधु-संतों के साथ-साथ विदेशों से आए महात्माओं ने भी भाग लिया। इन विदेशी महात्माओं ने भारत की आध्यात्मिक महिमा को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित किया।

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महाकुंभ का महत्व

महामंडलेश्वर कैलाशानंद सरस्वती ने महाकुंभ को भारत की महान संस्कृति का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह महाकुंभ 144 साल बाद आया है, जो ऐतिहासिक और आध्यात्मिक मेला है। इस मेले में दुनियाभर के उद्योगपति, राजनेता और आध्यात्मिक महापुरुष शामिल हो रहे हैं। महाकुंभ भारत की संस्कृति और आध्यात्मिकता का ऐसा प्रतीक है, जिसका अनुभव दुनिया में कहीं और नहीं किया जा सकता। यहां गंगा आरती, पवित्र स्नान और अन्न दान का महत्व बताया गया है। उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील की कि इस शुभ अवसर पर जरूर आएं और इसका लाभ उठाएं।

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इस यात्रा में केवल साधु-संत और नागा साधु ही नहीं, बल्कि हाईकोर्ट और लोअर कोर्ट के वकील, उद्योगपति, व्यापारी और विश्व हिंदू परिषद (VHP) के लोग भी शामिल हुए। निरंजनी अखाड़े के नेतृत्व में यह शोभायात्रा निकाली गई।

महाकुंभ का संदेश

महामंडलेश्वर कैलाशानंद सरस्वती ने कहा कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह जीवन को नई दिशा देने वाला अद्भुत अवसर है। यहां शिक्षा और अनुभव मिलता है। वह जीवनभर के लिए प्रेरणा देता है। महाकुंभ भारत की महान संस्कृति और आध्यात्मिकता का ऐसा उदाहरण है, जिसे हर व्यक्ति को जीवन में एक बार जरूर अनुभव करना चाहिए।

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