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Maha Kumbh Mela: कैसे एक धार्मिक आयोजन बना pop-up इकोनॉमी का विशाल प्लेटफॉर्म

Edited By Mahima,Updated: 25 Jan, 2025 12:24 PM

maha kumbh mela religious event became a huge platform for the pop up economy

महाकुंभ मेला प्रयागराज में एक विशाल धार्मिक आयोजन है, जो पॉप-अप इकोनॉमी का बेहतरीन उदाहरण है। 45 दिनों तक चलने वाले इस मेले से व्यापारिक गतिविधियां तेज़ होती हैं, जिससे पर्यटन, परिवहन, स्वास्थ्य सेवाएं और धार्मिक उत्पादों की बिक्री में भारी वृद्धि...

नेशनल डेस्क: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में इस समय महाकुंभ मेला आयोजित किया जा रहा है, जो दुनिया भर से लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। यह मेला न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके आर्थिक प्रभाव भी बेहद विशाल हैं। इस बार महाकुंभ मेला 13 जनवरी से 26 फरवरी तक आयोजित हो रहा है, और अनुमान है कि लगभग 40 करोड़ लोग इस आयोजन में शामिल होंगे। इस दौरान महाकुंभ मेला उत्तर प्रदेश की एक अस्थायी अर्थव्यवस्था के रूप में काम करता है, जिसे पॉप-अप इकोनॉमी कहा जाता है।

पॉप-अप इकोनॉमी क्या है?
पॉप-अप इकोनॉमी एक अस्थायी आर्थिक गतिविधि होती है, जो किसी विशेष इवेंट या आयोजन के दौरान उत्पन्न होती है। इस प्रकार की अर्थव्यवस्था में छोटे समय के लिए व्यापारिक गतिविधियों में वृद्धि होती है, जैसे पॉप-अप दुकानों, इवेंट्स, और अस्थायी व्यावसायिक अवसरों के रूप में। महाकुंभ मेला इसके लिए एक आदर्श उदाहरण है, क्योंकि इस आयोजन के कारण यहां व्यापार, पर्यटन और संबंधित सेवाओं में भारी वृद्धि हो जाती है, जो अस्थायी रूप से स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करता है।

महाकुंभ मेला और इसके आर्थिक प्रभाव
महाकुंभ मेले के आयोजन के साथ ही विभिन्न सेक्टरों में आर्थिक गतिविधियां तेजी से बढ़ जाती हैं। यूपी सरकार के अनुसार, इस बार महाकुंभ मेला आयोजन के लिए कुल 7,721.5 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है, जिसमें 2500 करोड़ रुपये पिछले दो वर्षों में, और 2100 करोड़ रुपये की विशेष सहायता केंद्र सरकार द्वारा दी गई है। यह आयोजन राज्य के लिए आर्थिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है।

इसके अलावा, महाकुंभ के दौरान व्यापारिक गतिविधियों का भी बहुत बड़ा योगदान है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के अनुसार, इस बार महाकुंभ मेला से 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार होने का अनुमान है। यह व्यापार मुख्य रूप से ट्रांसपोर्ट, होटल, फूड, हेल्थकेयर, धार्मिक सामग्री और अन्य अस्थायी सेवाओं के क्षेत्र में होता है। उदाहरण के लिए, होटल, गेस्ट हाउस, अस्थायी निवास और धार्मिक उत्पादों की बिक्री में भारी वृद्धि होती है। इसके अलावा, रेलवे, रोड ट्रांसपोर्ट, एयर ट्रांसपोर्ट जैसी सेवाओं को भी इस आयोजन से बड़ी आय होती है। महाकुंभ के दौरान, हर व्यक्ति औसतन 5000 रुपये खर्च करता है, जिससे मेला क्षेत्र में एक बड़ा आर्थिक चक्र बनता है।

महाकुंभ मेला और स्थानीय व्यवसाय
महाकुंभ मेला क्षेत्र में सैकड़ों पॉप-अप दुकानें और अस्थायी व्यापारिक केंद्र खोले जाते हैं, जो सभी प्रकार के सामान, खाद्य पदार्थ, धार्मिक सामग्री, स्वास्थ्य सेवाएं और पर्यटन संबंधित सेवाएं प्रदान करते हैं। यह छोटे व्यापारी, होटल मालिक, रेस्टोरेंट्स, ट्रांसपोर्ट कंपनियां और अन्य संबंधित व्यवसायों के लिए एक बड़ा अवसर होता है। ऐसे व्यापारिक केंद्र केवल 45 दिनों तक चलते हैं, लेकिन इन 45 दिनों में उनका व्यापार वर्षों के बराबर हो सकता है।

इस आयोजन का असर स्थानीय स्तर पर भी देखा जा सकता है। मेले के दौरान स्थानीय लोग छोटे व्यवसायों से जुड़कर अपनी आय बढ़ाते हैं। इसके अलावा, सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर और सेवाओं में भी भारी निवेश किया जाता है, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा होते हैं और स्थानीय विकास को बढ़ावा मिलता है।

महाकुंभ के साथ संबंधित सेक्टर

महाकुंभ मेले से जुड़े कई प्रमुख सेक्टरों में आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होती है। इनमें प्रमुख हैं:

1. परिवहन: महाकुंभ के दौरान रेलवे, सड़क परिवहन और हवाई मार्ग से लाखों लोग आते हैं, जिससे इन सेक्टरों को भारी राजस्व प्राप्त होता है।
   
2. स्वास्थ्य सेवाएं: मेले के दौरान चिकित्सा सेवाएं, अस्पताल और दवाइयों की मांग बढ़ जाती है। स्वास्थ्य सेवाएं भी एक महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि बन जाती हैं।
   
3. आवास: अस्थायी आवास, होटल और गेस्ट हाउस की सेवाएं बड़ी संख्या में लोगों को उपलब्ध कराई जाती हैं। 

4. खाद्य सेवाएं: खाने-पीने की दुकानों, स्टॉल्स और रेस्टोरेंट्स की संख्या बढ़ जाती है, जिससे खाद्य उद्योग में भी उछाल आता है।

5. धार्मिक उत्पाद: इस दौरान धार्मिक सामग्री जैसे पूजा सामग्रियां, तिलक, रुद्राक्ष, तुलसी की माला, चादर और अन्य पूजा संबंधित सामान की बिक्री भी बहुत होती है।

महाकुंभ मेला न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक विशाल पॉप-अप इकोनॉमी को भी जन्म देता है। 45 दिनों तक चलने वाला यह मेला न केवल स्थानीय व्यापारियों के लिए बल्कि समग्र राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए भी एक बड़ी ताकत साबित होता है। पॉप-अप इकोनॉमी के तहत होने वाले व्यापार और आर्थिक गतिविधियां अस्थायी होते हुए भी इस अवधि में उत्पन्न होने वाली आय राज्य और स्थानीय क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण होती है। महाकुंभ मेले की आर्थिक परिभाषा केवल एक छोटे व्यापार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक बड़े पैमाने पर व्यापार और सेवाओं की समृद्धि का प्रतीक है। 

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