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पाकिस्तान में महाकुंभ का जश्न, हिंदुओं ने गंगाजल से किया स्नान

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 31 Jan, 2025 03:18 PM

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पाकिस्तान के रहीमयार खान में हिंदू समुदाय ने अपनी आस्था का इज़हार करते हुए महाकुंभ का आयोजन किया, जिसमें गंगाजल से स्नान और धार्मिक अनुष्ठान किए गए। यह आयोजन खासतौर पर उन हिंदू श्रद्धालुओं के लिए था जो वीजा और अन्य कारणों से भारत के प्रयागराज स्थित...

नेशनल डेस्क: पाकिस्तान के रहीमयार खान में हिंदू समुदाय ने अपनी आस्था का इज़हार करते हुए महाकुंभ का आयोजन किया, जिसमें गंगाजल से स्नान और धार्मिक अनुष्ठान किए गए। यह आयोजन खासतौर पर उन हिंदू श्रद्धालुओं के लिए था जो वीजा और अन्य कारणों से भारत के प्रयागराज स्थित महाकुंभ मेला नहीं जा सकते। भारत के प्रयागराज में हर बार महाकुंभ मेला लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। यह मेला धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से दुनिया का सबसे बड़ा आयोजन है। मगर पाकिस्तान के हिंदू, जो गंगा में स्नान करने के लिए भारत नहीं जा सकते, उन्होंने अपने ही देश में महाकुंभ का आयोजन किया।

पाकिस्तानी यूट्यूबर हरचंद राम ने अपने ब्लॉग में इस आयोजन की झलकियाँ साझा की। रहीमयार खान जिले में यह महाकुंभ आयोजित हुआ था, जहां हिंदू श्रद्धालुओं ने गंगाजल से स्नान किया। पुजारी ने बताया कि यह आयोजन उनके जीवन का शायद पहला और आखिरी महाकुंभ हो सकता है।

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गंगाजल का महत्व और कुंड स्नान विधि
महाकुंभ मेला में गंगा स्नान का महत्व है, और चूंकि पाकिस्तान में गंगा नदी नहीं है, इस वजह से गंगाजल को विशेष रूप से लाया गया था। श्रद्धालुओं ने एक कुंड तैयार किया, जिसमें सामान्य पानी के साथ गंगाजल मिलाकर स्नान किया गया। इस कुंड में स्नान करके श्रद्धालुओं ने अपने धर्म और आस्था को प्रकट किया।



धार्मिक अनुष्ठान और प्रसाद वितरण
स्नान के बाद, श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में दलिया (खिचड़ी) वितरित की गई। भक्तों ने गुरु के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया और धार्मिक अनुष्ठान में हिस्सा लिया। इस आयोजन में सभी श्रद्धालु आस्थावान रूप से शामिल हुए और यह समारोह धार्मिक सहिष्णुता और आस्था का प्रतीक बन गया।

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आस्था का प्रतिमान, पाकिस्तान में बने महाकुंभ की कहानी
यह आयोजन पाकिस्तान के हिंदू समुदाय की गहरी आस्था का प्रतीक है। जब वे प्रयागराज नहीं जा सके, तो उन्होंने खुद ही महाकुंभ का आयोजन करके अपनी धार्मिक परंपराओं को जीवित रखा। यह एक नई परंपरा बन गई, जो यह दर्शाती है कि आस्था और विश्वास सीमाओं से परे होते हैं।
इस आयोजन ने यह साबित कर दिया कि धार्मिक आस्था और विश्वास, जो भारतीय परंपरा से जुड़े हैं, दुनिया भर में फैल सकते हैं। यह पाकिस्तान में हिंदू समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था, जो अपने धर्म को सजीव रखे हुए हैं।

 

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