Edited By Rohini,Updated: 06 Jan, 2025 11:28 AM
महाकुंभ 2025 में प्रयागराज के मेलाक्षेत्र में इस बार रुद्राक्ष बाबा अपने अनोखे रूप और 45 किलो वजनी रुद्राक्ष की माला के साथ श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। बाबा का असली नाम गीतानंद गिरी महाराज है जो आवाहन अखाड़े के श्रीमहंत सचिव भी हैं।
नेशनल डेस्क। महाकुंभ 2025 में प्रयागराज के मेलाक्षेत्र में इस बार रुद्राक्ष बाबा अपने अनोखे रूप और 45 किलो वजनी रुद्राक्ष की माला के साथ श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। बाबा का असली नाम गीतानंद गिरी महाराज है जो आवाहन अखाड़े के श्रीमहंत सचिव भी हैं।
45 किलो की रुद्राक्ष माला और अनोखी जैकेट
बाबा के सिर पर ढाई हजार रुद्राक्ष की माला है जिसमें कुल सवा दो लाख रुद्राक्ष की मनियां हैं। उन्होंने काली मिर्च के आकार के रुद्राक्ष से बनी जैकेट, गले और कलाई में रुद्राक्ष की माला पहनी है। श्रद्धालु बाबा के दर्शन और आशीर्वाद के लिए दूर-दूर से आ रहे हैं।
12 साल का हठयोग और विश्व कल्याण का संकल्प
बाबा ने 2019 के अर्धकुंभ में सवा लाख रुद्राक्ष धारण करने का संकल्प लिया था जो अब बढ़कर सवा दो लाख हो चुका है। उनका 12 साल का हठयोग अभी आधा ही पूरा हुआ है। बाबा का कहना है कि यह तपस्या विश्व शांति, सनातन संस्कृति के प्रचार और राष्ट्र रक्षा के लिए है।
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रुद्राक्ष का महत्व
हठयोगी बाबा ने बताया कि रुद्राक्ष को शिव का अंश माना जाता है। यह मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। शिव पुराण के अनुसार रुद्राक्ष 14 प्रकार के होते हैं जिनमें एक मुखी रुद्राक्ष सबसे दुर्लभ और बहुमूल्य होता है।
साधु का जीवन और साधना
बाबा का कहना है कि साधु का कोई स्थायी ठिकाना नहीं होता। बहता पानी और चलता सर्प की तरह साधु जहां ठहरता है वही उसका घर बन जाता है। बाबा प्रतिदिन 12 घंटे तक रुद्राक्ष की माला सिर पर धारण करते हैं।
सनातन धर्म और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक
वहीं बाबा का मानना है कि रुद्राक्ष सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह हर प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है। उनके तप और अनोखी साधना ने महाकुंभ में श्रद्धालुओं को एक नई ऊर्जा और प्रेरणा दी है।