Mahakumbh Mela 2025: आध्यात्मिक पर्यटन का नया युग शुरू, लेकर आया नया बदलाव

Edited By Rohini Oberoi,Updated: 23 Feb, 2025 12:39 PM

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महाकुंभ मेला 2025 भारत के आध्यात्मिक पर्यटन में एक नया बदलाव लेकर आया है। यह सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर और आध्यात्मिक परंपराओं का भव्य उत्सव है। महाकुंभ के आयोजन ने न केवल लाखों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को आकर्षित...

नेशनल डेस्क। महाकुंभ मेला 2025 भारत के आध्यात्मिक पर्यटन में एक नया बदलाव लेकर आया है। यह सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर और आध्यात्मिक परंपराओं का भव्य उत्सव है। महाकुंभ के आयोजन ने न केवल लाखों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को आकर्षित किया बल्कि इसने आध्यात्मिक पर्यटन के क्षेत्र को भी एक नई दिशा दी है।

महाकुंभ मेला: आध्यात्मिक पर्यटन का गेम-चेंजर

वीआईटीएस कामट्स ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. विक्रम कामत ने महाकुंभ को आध्यात्मिक पर्यटन में एक महत्वपूर्ण बदलाव के रूप में देखा है। उन्होंने कहा, "पहले आध्यात्मिक पर्यटन बुजुर्गों तक सीमित था लेकिन 2025 के महाकुंभ ने युवा पीढ़ी को भी आकर्षित किया है। अब वे भारत की आध्यात्मिक परंपराओं से जुड़ने के लिए इस आयोजन में भाग ले रहे हैं।"

 

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बेहतर बुनियादी ढांचा और डिजिटल सुविधा

महाकुंभ मेला अब पहले से कहीं अधिक समावेशी हो गया है। बेहतर कनेक्टिविटी, डिजिटल प्लेटफॉर्म, लाइव-स्ट्रीमिंग और मोबाइल बुकिंग सुविधाओं ने इस आयोजन को दुनिया भर के यात्रियों के लिए आसान बना दिया है। हरीश खत्री ने इसे एक संरचित और तकनीकी रूप से सक्षम अनुभव बताया है जो विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों के लिए आकर्षक है।

महाकुंभ का वैश्विक प्रभाव

महाकुंभ का असर सिर्फ आध्यात्मिक ही नहीं बल्कि आर्थिक और वैश्विक भी है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस आयोजन के लिए 7,500 करोड़ रुपये का निवेश किया है जिससे न केवल बुनियादी ढांचे का निर्माण हुआ बल्कि हजारों नौकरियां भी उत्पन्न हुई हैं। महाकुंभ से लगभग 2 लाख करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष राजस्व मिलने की उम्मीद है जो उत्तर प्रदेश की जीडीपी में एक महत्वपूर्ण योगदान देगा।

आध्यात्मिक पर्यटन का विस्तार

महाकुंभ अब केवल भारत में नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गया है। यह भारत को आध्यात्मिक पर्यटन के वैश्विक मानचित्र पर मजबूती से स्थापित करने में मदद कर रहा है। इसके माध्यम से भारत की आध्यात्मिक परंपराएं अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक पहचान बना रही हैं।

 

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विदेशी यात्रा में वृद्धि

भारत में बढ़ते आध्यात्मिक पर्यटन के साथ भारतीय भी अब विदेशों में आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करने के लिए यात्रा कर रहे हैं। श्रीलंका, थाईलैंड, नेपाल, और जापान जैसे देशों में भारतीय पर्यटकों की संख्या बढ़ी है जो अपनी धार्मिक यात्रा पर जाते हैं। श्रीलंका में रामायण ट्रेल पर भारतीय पर्यटकों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है जबकि बौद्ध स्थल जैसे लुंबिनी भी भारतीयों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।

 

यह भी पढ़ें: Mahakumbh के लिए Railway ने चलाई 14,000 से अधिक ट्रेनें, 15 करोड़ के करीब श्रद्धालु पहुंचे प्रयागराज

 

आध्यात्मिक पर्यटन का भविष्य

आध्यात्मिक पर्यटन सिर्फ धार्मिक स्थलों की यात्रा नहीं बल्कि जीवन के परिवर्तन के बारे में है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह पर्यटन का एक नया दौर शुरू हो चुका है जहां लोग आध्यात्मिकता को आधुनिक जीवनशैली के साथ जोड़कर गहरे अनुभव की तलाश कर रहे हैं।

वहीं कहा जा सकता है कि महाकुंभ मेला 2025 ने आध्यात्मिक पर्यटन को एक नई दिशा दी है और यह साबित कर दिया है कि भारतीय आध्यात्मिकता का प्रभाव सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है बल्कि यह विश्वभर में फैल चुका है।

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