Edited By Rahul Singh,Updated: 15 Oct, 2024 08:17 PM
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव 2024 एक चरण में 20 नवम्बर को कराए जाएंगे जबकि मतों की गिनती 23 नवम्बर को होगी। पिछले कुछ महीनों से महा विकास अघाड़ी और महायुति गठबंधन अपनी चुनावी रणनीतियों पर काम कर रहे हैं।
नैशनल डैस्क (राहुल राणा) : महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव 2024 एक चरण में 20 नवम्बर को कराए जाएंगे जबकि मतों की गिनती 23 नवम्बर को होगी। पिछले कुछ महीनों से महा विकास अघाड़ी और महायुति गठबंधन अपनी चुनावी रणनीतियों पर काम कर रहे हैं। दोनों गठबंधनों के नेता सीट शेयरिंग को लेकर चर्चा कर रहे हैं। इस बार का चुनाव खास है, खासकर शिवसेना और एनसीपी की स्थिति को लेकर। वर्तमान में, ये दोनों पार्टियां दो-दो गुटों में बंटी हुई हैं। पिछले 5 सालों में इस राज्य में जो सियासी उठापटक और गठबंधन की कहानी सामने आई है, उसने आगामी चुनाव को बेहद दिलचस्प कर दिया है। आइए जानें कैसी रही सियासी उठापटक और गठबंधन की कहानी...
पिछले चुनाव का नजारा
महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सीटें हैं। 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा और शिवसेना (उद्धव गुट) ने मिलकर चुनाव लड़ा था। भाजपा ने 164 सीटों पर चुनाव लड़ा और 105 सीटें जीतीं, जबकि शिवसेना ने 126 सीटों पर चुनाव लड़ा और 56 सीटें जीतीं। कांग्रेस और एनसीपी ने भी अपने-अपने हिस्से की सीटें जीतीं।
सत्ता के लिए संघर्ष
चुनाव परिणामों के बाद भाजपा और शिवसेना के बीच सरकार बनाने को लेकर मतभेद बढ़ गए। इसी दौरान एनसीपी के शरद पवार ने उद्धव ठाकरे से बातचीत की। 23 नवंबर 2019 को भाजपा के देवेंद्र फडणवीस और एनसीपी के अजित पवार ने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन कुछ वक्त बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। 28 नवंबर 2019 को शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने मिलकर महा विकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन बनाया और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार बनाई। लेकिन, यह सरकार 2 साल 214 दिन तक चली।
शिवसेना में टूट
लगभग तीन साल तक उद्धव ठाकरे की अगुवाई में महाराष्ट्र में महाअघाड़ी गठबंधन की सरकार चली। फिर 2022 में एक नया सियासी ड्रामा शुरू हुआ जब शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे ने बगावत कर दी। शिंदे, जो उद्धव ठाकरे के करीबी माने जाते थे, 39 विधायकों के साथ विद्रोह कर गए। उन्होंने विधानसभा में डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया, ताकि डिप्टी स्पीकर शिंदे गुट के 16 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला न ले सकें। राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे की सरकार को बहुमत साबित करने का निर्देश दिया, लेकिन महाअघाड़ी इसका सफलतापूर्वक प्रदर्शन नहीं कर पाई। इसके परिणामस्वरूप, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में नई सरकार बनी, जिसने भाजपा के साथ मिलकर सत्ता संभाली।
एनसीपी में भी खटास
शिवसेना के विभाजन के बाद एनसीपी में भी खटास शुरू हुई। चाचा शरद पवार और भतीजे अजित पवार के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही थी। पिछले साल जुलाई में अजित पवार ने 40 विधायकों के साथ बगावत कर दी, जिससे एनसीपी दो हिस्सों में बंट गई। अजित पवार का गुट भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) के साथ मिलकर सरकार में शामिल हो गया। अजित पवार को देवेंद्र फडणवीस के साथ उपमुख्यमंत्री बनाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने अजित गुट को असली एनसीपी मान लिया, जबकि शरद पवार के गुट को निर्वाचन आयोग ने 'तुरहा बजाता हुआ व्यक्ति' का नया चुनाव चिह्न दिया।
विधानसभा की मौजूदा स्थिति
अब महाराष्ट्र विधानसभा में महायुति गठबंधन के पास 218 सीटें हैं, जबकि महाअघाड़ी के पास 77 सीटें हैं।
सीट शेयरिंग की चर्चा
भाजपा नेता चन्द्रशेखर बावनकुले ने बताया कि सीट शेयरिंग की 90% बातचीत पूरी हो चुकी है। भाजपा 140-150 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। वहीं, शिंदे गुट की शिवसेना 80 सीटों पर और एनसीपी 55 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है। महाअघाड़ी दल में, कांग्रेस कम से कम 110 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। उद्धव ठाकरे की शिवसेना 90-95 और शरद पवार की एनसीपी 80-85 सीटों पर चुनाव लड़ने का इरादा रखती है।