Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 07 Jan, 2025 09:38 PM
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में नतीजों के बाद, विपक्षी दलों ने हार की जिम्मेदारी ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) पर डालने की कोशिश की है। खासकर कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं ने परिणामों पर संदेह जताया और ईवीएम की छेड़छाड़ के आरोप लगाए हैं।
नेशनल डेस्क: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में नतीजों के बाद, विपक्षी दलों ने हार की जिम्मेदारी ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) पर डालने की कोशिश की है। खासकर कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं ने परिणामों पर संदेह जताया और ईवीएम की छेड़छाड़ के आरोप लगाए हैं। इस राजनीति के माहौल में यह सवाल उठता है कि क्या यह सिर्फ एक राजनीतिक स्टंट था या वास्तविक मुद्दे पर गंभीरता से विचार किया गया?
ईवीएम पर उठता सवाल:
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद, कांग्रेस और शिवसेना ने एकसाथ चुनाव आयोग पर आरोप लगाए। कांग्रेस ने हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ते हुए कहा कि मशीनों में गड़बड़ी हो सकती है, जो उनके अनुसार चुनाव के परिणामों को प्रभावित करने के कारण हो सकती है। शिवसेना-यूबीटी ने भी हारने वाले उम्मीदवारों से अपील की कि वे उन मतदान केंद्रों पर पुनर्गणना की याचिका दायर करें जहां ईवीएम में छेड़छाड़ का शक है। उद्धव ठाकरे ने स्पष्ट किया कि उनके दल के उम्मीदवारों को इन पोलिंग बूथों पर 5% वीवीपैट की गिनती करने की प्रक्रिया का पालन करना होगा।
झारखंड चुनाव पर छाई खामोशी:
वहीं, इंडिया गठबंधन में शामिल दलों ने झारखंड विधानसभा चुनाव में आए परिणामों पर कोई आपत्ति नहीं जताई। इसका विरोधी पक्ष इसे राजनीति का एक नया मोड़ मानते हैं। ऐसा लगता है कि जहां यह गठबंधन अपनी हार स्वीकार करने के बजाय ईवीएम पर सवाल उठा रहा है, वहीं दूसरे राज्यों के चुनाव परिणामों पर उनकी चुप्पी एक विरोधाभास पैदा करती है।
सोलापुर की स्थिति:
महाराष्ट्र में सोलापुर के मरकडवाड़ी गांव में एक अजीब घटना सामने आई, जब गांव के निवासियों ने ईवीएम पर संदेह जताया और अवैध "पुनः चुनाव" की योजना बनाई। हालांकि, प्रशासन ने उनकी मांग को नकारते हुए उन्हें अवैध और अलोकतांत्रिक करार दिया। यह घटना महाराष्ट्र चुनाव में ईवीएम की विश्वसनीयता पर उठते सवालों को और गहरा करती है।
कांग्रेस की पाखंड और मार्कवाडी गांव की प्रतिक्रिया:
मार्कवाड़ी के ग्रामीणों ने कांग्रेस के ईवीएम पर उठाए गए सवालों को पाखंड माना। उनका कहना था कि महा विकास अघाड़ी (एमवीए) ने पिछले लोकसभा चुनाव में उन्हीं ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल किया था और उस वक्त कोई आपत्ति नहीं उठाई गई थी। ग्रामीणों ने इस पर भी जोर दिया कि जब भाजपा के राम सतपुते ने 13,000 से अधिक के अंतर से जीत हासिल की, तो यह समझा जा सकता है कि ईवीएम का कोई प्रभाव नहीं था।
भाजपा की जीत के कारण:
वहीं, राम सतपुते की जीत को लेकर ग्रामीणों का कहना था कि सतपुते ने अपने क्षेत्र में कई विकास कार्य किए थे, जैसे कि पर्यटक केंद्र की स्थापना और महत्वपूर्ण धन लाने के प्रयास। उन्होंने यह भी बताया कि भाजपा के पक्ष में वोट डालने का एक बड़ा कारण सतपुते द्वारा महिलाओं के लिए बनाई गई "लड़की बहिन योजना" थी। इस योजना ने वोटरों के बीच एक मजबूत समर्थन पैदा किया।
महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनावों में विपक्ष की हार को लेकर उठाए गए ईवीएम के सवाल राजनीति के नए आयाम को उजागर करते हैं। जहां एक ओर विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर शक जताया, वहीं दूसरी ओर भाजपा की जीत को ग्रामीणों और उम्मीदवारों ने विकास कार्यों और योजनाओं के कारण एक वास्तविक विजय के रूप में देखा। यह मामला यह साबित करता है कि चुनावी राजनीति में हार-जीत से अधिक मायने उन मुद्दों के होते हैं जो चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं, और यह हर दल के लिए एक अवसर बन सकता है।