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सरकार का बड़ा फैसला, नया सेशन शुरू होते ही इस 'भाषा' को स्कूलों में किया अनिवार्य

Edited By Anu Malhotra,Updated: 17 Apr, 2025 12:23 PM

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हां देश के कई राज्यों में भाषा को लेकर बहस छिड़ी हुई है, वहीं महाराष्ट्र सरकार ने एक ऐसा कदम उठाया है जो शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव लाएगा। महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार ने राज्य के मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को...

नेशनल डेस्क: जहां देश के कई राज्यों में भाषा को लेकर बहस छिड़ी हुई है, वहीं महाराष्ट्र सरकार ने एक ऐसा कदम उठाया है जो शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव लाएगा। महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार ने राज्य के मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा के रूप में शामिल करने का फैसला किया है। यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अंतर्गत उठाया गया है, जिसे धीरे-धीरे पूरे राज्य में लागू किया जाएगा।

 क्या है नया फैसला?
राज्य के स्कूली शिक्षा विभाग ने एक सरकारी प्रस्ताव (Government Resolution) जारी कर इस निर्णय को सार्वजनिक किया है। प्रस्ताव के अनुसार, 2025-26 शैक्षणिक सत्र से हिंदी भाषा को कक्षा 1 से 5 के छात्रों के लिए अनिवार्य तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा।

अभी तक मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में केवल दो भाषाएं (मराठी और अंग्रेजी) पढ़ाई जाती थीं। लेकिन अब हिंदी को भी पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा, जिससे छात्रों को तीन-भाषा फॉर्मूला का लाभ मिलेगा।

 कैसे होगा लागू?
यह योजना चरणबद्ध तरीके से लागू की जाएगी:
2025-26 से शुरुआत होगी, सबसे पहले कक्षा 1 के बच्चों के साथ।
हर साल एक क्लास को जोड़ा जाएगा।
2028-29 तक यह योजना कक्षा 5 तक पूरी तरह लागू हो जाएगी।
इस प्रक्रिया में SCERT (राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद) और बालभारती द्वारा पाठ्यक्रम तैयार किए जाएंगे।

सरकार की रणनीति
सरकार केवल किताबें बदलने तक सीमित नहीं रहना चाहती। इसके लिए शिक्षकों को भी तैयार किया जा रहा है:
साल 2025 तक 80% शिक्षकों को डिजिटल टूल्स और नई पढ़ाई की तकनीकों में प्रशिक्षित करने का लक्ष्य है।
शिक्षकों को हिंदी भाषा सिखाने के लिए विशेष ट्रेनिंग भी दी जाएगी।

  क्यों अहम है यह फैसला?
यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है, जो छात्रों को स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर संवाद करने में सक्षम बनाने पर जोर देती है। हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करना न केवल छात्रों के लिए भाषाई विविधता लाएगा, बल्कि उन्हें राष्ट्रीय एकता की भावना से भी जोड़ेगा।

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