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Cancer के मरीजों के लिए खुशखबरी, अब इस नई Antibody से इलाज में मिलेगी राहत

Edited By Rohini Oberoi,Updated: 03 Apr, 2025 10:15 AM

major breakthrough in cancer treatment new antibody will provide relief

एक वैज्ञानिक दल ने हाल ही में एक नई एंटीबॉडी पर शोध किया है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली को सक्रिय करके कैंसर कोशिकाओं को निशाना बनाती है। यह एंटीबॉडी स्तन और अंडाशय के कैंसर जैसे कठिन इलाज वाले ट्यूमर की वृद्धि को धीमा कर सकती है जिन्हें इलाज...

नेशनल डेस्क। एक वैज्ञानिक दल ने हाल ही में एक नई एंटीबॉडी पर शोध किया है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली को सक्रिय करके कैंसर कोशिकाओं को निशाना बनाती है। यह एंटीबॉडी स्तन और अंडाशय के कैंसर जैसे कठिन इलाज वाले ट्यूमर की वृद्धि को धीमा कर सकती है जिन्हें इलाज के बावजूद ठीक नहीं किया जा सकता।

एंटीबॉडी का कार्य तरीका

आमतौर पर कैंसर के इलाज में इम्यूनोथेरेपी में आईजीजी (IgG) नामक एंटीबॉडी का उपयोग किया जाता है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर से लड़ने में मदद करती है। हालांकि यह इलाज सभी मरीजों पर प्रभावी नहीं होता खासकर एचईआर2 (HER2) से जुड़े स्तन और अंडाशय के कैंसर में। कई बार मरीजों का शरीर इस उपचार के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेता है जिससे यह इलाज काम नहीं करता।

 

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लंदन के वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण रिसर्च

इस समस्या का समाधान खोजने के लिए किंग्स कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों ने एक नई एंटीबॉडी, आईजीई (IgE) पर शोध किया। आईजीई एंटीबॉडी आईजीजी से अलग तरीके से काम करती है और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करती है। यह एंटीबॉडी उन प्रतिरक्षा कोशिकाओं को जागरूक करती है जो सामान्यत: सक्रिय नहीं होती और जो ट्यूमर के पास मौजूद रहती हैं। इसके परिणामस्वरूप कैंसर कोशिकाओं को सीधे टार्गेट किया जा सकता है।

 

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शोध में सामने आई अहम जानकारी

किंग्स कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने आईजीजी की जगह आईजीई एंटीबॉडी को तैयार किया और उसका परीक्षण किया। डॉ. हीथर बैक्स जो इस रिसर्च के प्रमुख हैं ने बताया कि आईजीई एंटीबॉडी ने एचईआर2 से प्रभावित कैंसर कोशिकाओं के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय किया और चूहों में ट्यूमर की वृद्धि को धीमा कर दिया। खास बात यह है कि इस शोध में ट्यूमर उन चूहों में विकसित किए गए थे जिनमें पारंपरिक इलाज का असर नहीं होता। इस परिणाम से संकेत मिलता है कि यह नई तकनीक उन मरीजों के लिए फायदेमंद हो सकती है जिन पर मौजूदा इलाज प्रभावी नहीं होता।

 

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कैंसर के मरीजों को मिलेगा लाभ

अधिक अध्ययन करने पर वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि आईजीई एंटीबॉडी ट्यूमर के आसपास की प्रतिरक्षा प्रणाली को पुनः सक्रिय कर सकती है जिससे कैंसर से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है। इस शोध के परिणाम "जर्नल फॉर इम्यूनोथेरेपी ऑफ कैंसर (JITC)" में प्रकाशित हुए हैं। डॉ. बैक्स के अनुसार "करीब 20% स्तन और अंडाशय के कैंसर में एचईआर2 नामक मार्कर पाया जाता है। हमने एचईआर2 के खिलाफ आईजीई एंटीबॉडी तैयार की और पाया कि यह प्रतिरक्षा प्रणाली को एक नए तरीके से सक्रिय कर सकती है जिससे एचईआर2 कैंसर कोशिकाओं को प्रभावी रूप से निशाना बनाया जा सकता है खासकर उन मामलों में जहां मौजूदा इलाज काम नहीं करता।"

वहीं यह नई खोज एचईआर2 कैंसर से पीड़ित मरीजों के लिए एक नया और प्रभावी इलाज विकल्प प्रदान कर सकती है जिससे कैंसर के इलाज में एक नया मोड़ आ सकता है।

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