Edited By Tanuja,Updated: 03 Oct, 2023 02:02 PM
मालदीव में राष्ट्रपति बनते ही चीन समर्थक मोहम्मद मुइजू ने रंग दिखाना शुरू कर दिया है। भारत समर्थित सरकार के पतन बाद मालदीव की...
इंटरनेशनल डेस्कः मालदीव में राष्ट्रपति बनते ही चीन समर्थक मोहम्मद मुइजू ने रंग दिखाना शुरू कर दिया है। भारत समर्थित सरकार के पतन बाद मालदीव की कमान संभालते ही मोहम्मद मुइजू चीन के पक्ष में बयानबाजी करने लगे हैं। चुनावी कैम्पेन में भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले मुइजू ने एक बार फिर कहा है कि मालदीव से भारतीय सैनिकों को बाहर निकाला जाएगा।
मोहम्मद मुइजू ने अपनी घोषणा को दोहराते हुए कहा है, कि अपने कार्यकाल की शुरूआत के पहले ही दिन से मालदीव से भारतीय सैनिकों को बाहर निकालने की तैयारी शुरू कर दी जाएगी और भारत के लिए हिंद महासागर में ये अच्छी खबर नहीं है। मोहम्मद मुइजू 17 नवंबर को अपने कार्यकाल की शुरूआत करने वाले हैं और तब तक भारत समर्थनक इब्राहिम मोहम्मद सोलिह देश के राष्ट्रपित रहेंगे, जो पिछले हफ्ते हुए चुनाव में हार चुके हैं। मालदीव के लोगों ने राष्ट्रपति चुनाव में "भारत-समर्थक" इब्राहिम सोलिह के खिलाफ देश का नेतृत्व करने के लिए "चीन समर्थक" नेता मोहम्मद मुइज्जू को चुना है।
भारत के लिए मालदीव कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है, कि जब नरेन्द्र मोदी दूसरी बार प्रधानमंत्री चुने गये थे, तो उनका पहला विदेशी दौरा मालदीव का ही था। पीएम मोदी 8-9 जून को मालदीव की यात्रा पर गए थे। माना जा रहा है, कि 100 प्रतिशत मुस्लिम राष्ट्र मालदीव में शीर्ष पद के लिए मुइज़ू के चुनाव का भारत के साथ द्वीप राष्ट्र के संबंधों पर गंभीर असर पड़ सकता है।मुइज्जू चीन समर्थक खेमे का हिस्सा है और अब्दुल्ला यामीन प्रशासन (2013-2018) के दौरान आवास और बुनियादी ढांचे के मंत्री थे, जिसके तहत मालदीव ने निर्माण परियोजनाओं के लिए चीन से भारी उधार लिया था।