कर्नाटक सरकार के संकट पर मल्लिकार्जुन खड़गे की खरी-खरी, कहा- 'उतनी ही गारंटी का वादा करें, जितना दे सकें'

Edited By Mahima,Updated: 01 Nov, 2024 11:22 AM

mallikarjun kharge s frank words on the crisis of karnataka government

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रही है, जिससे पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने नेताओं को केवल वही गारंटियाँ देने की सलाह दी है, जिन्हें वे पूरा कर सकें। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसा न करने से दिवालियापन का खतरा बढ़ सकता है।...

नेशनल डेस्क: कर्नाटक की कांग्रेस सरकार वर्तमान में गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रही है। इस संकट को लेकर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी नेताओं और सरकार को स्पष्ट चेतावनी दी है कि वे केवल उतनी ही गारंटी का वादा करें, जितना वे पूरा कर सकें। खड़गे ने कहा कि यदि ऐसा नहीं किया गया, तो यह सरकार दिवालियापन की ओर बढ़ सकती है।

चुनावी घोषणापत्र पर चर्चा
खड़गे ने अपनी बात को समझाते हुए कहा कि कर्नाटक में सरकार ने पहले पांच गारंटियों का वादा किया था। उन्होंने बताया कि इस वादे को देखते हुए महाराष्ट्र में भी इसी तरह की गारंटियों का वादा किया गया है। हालांकि, हाल ही में खबरें आई हैं कि कर्नाटक सरकार अब एक गारंटी को रद्द करने की योजना बना रही है। खड़गे ने इस पर चिंता जताते हुए कहा, "ऐसा लगता है कि आप सब अखबार नहीं पढ़ते। मैंने अखबार पढ़ा है, इसलिए बता रहा हूं। हम आपकी गारंटियों को महाराष्ट्र में दोहराने के लिए काम कर रहे हैं।" खड़गे ने अपने पार्टी नेताओं को सलाह दी कि वे ऐसे वादे न करें जो उनके बजट के अनुरूप न हों। उन्होंने कहा, "यदि आप बिना बजट के विचार किए वादे करेंगे, तो यह दिवालियापन की ओर ले जाएगा।" उनका यह भी कहना था कि यदि इस सरकार का प्रदर्शन खराब रहा, तो इसका असर आने वाली पीढ़ियों पर पड़ेगा, जिससे बदनामी होगी और सरकार को अगले दस वर्षों तक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है।

बजट का महत्व
खड़गे ने बताया कि राहुल गांधी ने भी कहा है कि महाराष्ट्र में गारंटी की घोषणा बजट के आधार पर की जाएगी। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि 15 दिनों की गहन चर्चा के बाद महाराष्ट्र चुनाव की गारंटियों ने आकार लेना शुरू कर दिया है, और इसकी घोषणा नागपुर और मुंबई में की जाएगी। उनका सुझाव था कि नेताओं को जिम्मेदारी के साथ वादे करने चाहिए, ताकि भविष्य में कोई आर्थिक संकट न उत्पन्न हो।

कर्नाटक चुनाव में दी गई गारंटियाँ
कर्नाटक चुनाव के दौरान कांग्रेस ने कई महत्वपूर्ण गारंटियाँ दी थीं। इनमें प्रमुख थीं:

1. गृह लक्ष्मी योजना: इस योजना के तहत महिलाओं को हर महीने 2,000 रुपये दिए जाने का वादा किया गया।
2. युवा निधि: बेरोजगार ग्रेजुएट्स को दो वर्षों के लिए हर महीने 3,000 रुपये का भत्ता देने की योजना।
3. डिप्लोमा धारकों के लिए: उन्हें 1,500 रुपये प्रति माह देने की गारंटी।
4. अन्न भाग्य योजना: इस योजना में गरीबी रेखा के नीचे हर परिवार को हर महीने प्रति व्यक्ति 10 किलोग्राम चावल देने का वादा किया गया।
5. सखी कार्यक्रम: महिलाओं के लिए सरकारी बसों में मुफ्त यात्रा की सुविधा।
6. गृह ज्योति योजना: हर घर को 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा।

वित्तीय संकट का प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कांग्रेस इन सभी गारंटियों को पूरा करती है, तो कर्नाटक का राजस्व घाटा 60,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,14,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है, जो कि राज्य के कुल बजट का लगभग 21.5 प्रतिशत है। वर्तमान में कर्नाटक पर लगभग 5 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है, और अगर सरकार इन गारंटियों को लागू करने में विफल रहती है, तो यह कर्ज और भी बढ़ सकता है। भाजपा ने भी कर्नाटक सरकार पर वित्तीय संकट का आरोप लगाया है। भाजपा के नेता लगातार यह दावा कर रहे हैं कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार के कई आरोप हैं, जिससे सरकार की छवि पर असर पड़ा है।

पिछले साल, कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने स्पष्ट किया था कि चुनाव के समय कांग्रेस ने जो पांच गारंटी दी थीं, उनके लिए 40,000 करोड़ रुपये का प्रावधान अलग रखा गया है, जिसके कारण इस साल नए विकास परियोजनाओं के लिए बजट नहीं हो सकता। इस संकट के बीच, मल्लिकार्जुन खड़गे की चेतावनी और सुझाव कर्नाटक सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश हैं। यह आवश्यक है कि सरकार अपनी वित्तीय स्थिति का सही आकलन करे और वादे करते समय सतर्कता बरते। अन्यथा, इससे न केवल सरकार की छवि को नुकसान होगा, बल्कि राज्य की जनता को भी इसका खामियाजा उठाना पड़ेगा। राजनीतिक नेतृत्व को चाहिए कि वे जिम्मेदारी से निर्णय लें और कर्नाटक के विकास के लिए ठोस कदम उठाएं।

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