Edited By rajesh kumar,Updated: 06 Sep, 2024 04:19 PM
राजस्थान के बारां जिले में दो सप्ताह के भीतर सहरिया जनजाति के 172 बच्चों के कुपोषण से ग्रस्त होने की पुष्टि हुई है। अधिकारियों ने बताया कि शाहाबाद-किशनगंज क्षेत्र के बच्चों को कुपोषण उपचार केंद्रों (एमटीसी) में भर्ती कराया गया, जिनमें से 25 को उपचार...
नेशनल डेस्क: राजस्थान के बारां जिले में दो सप्ताह के भीतर सहरिया जनजाति के 172 बच्चों के कुपोषण से ग्रस्त होने की पुष्टि हुई है। अधिकारियों ने बताया कि शाहाबाद-किशनगंज क्षेत्र के बच्चों को कुपोषण उपचार केंद्रों (एमटीसी) में भर्ती कराया गया, जिनमें से 25 को उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई। उन्होंने बताया कि बच्चे निगरानी में हैं। कुपोषण के मामलों में वृद्धि ने सरकारी स्वास्थ्य तंत्र और जिले के समेकित बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) विभाग की कार्यशौली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पिछले सप्ताह सहरिया जनजाति के एक बच्चे में कुपोषण की पुष्टि हुई थी।
अधिकांश परिवार प्रवासी मजदूर- तोमर
इसके बाद बारां के जिलाधिकारी रोहिताश्व सिंह तोमर ने अगस्त में शाहाबाद-किशनगंज क्षेत्र में कुपोषित बच्चों की पहचान के लिए एक सर्वेक्षण कराया जिसमें काफी संख्या में बच्चे कुपोषण से ग्रस्त पाए गए। तोमर ने बृहस्पतिवार को बताया कि सहरिया जनजाति के अधिकांश परिवार प्रवासी मजदूर हैं और घंटों तक काम में लगे रहने से वह अपने बच्चों की सही देखभाल नहीं कर पाते जिसके कारण वे मौसमी बीमारियों की चपेट में आ जाते है। उन्होंने बताया कि यही वजह है कि इस जनजाति के बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए बारां जिला अस्पताल और समरानियां के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एमटीसी बिस्तरों की सुविधा अस्थायी रूप से बढ़ाई गई है।
कर्मचारियों की भारी कमी से जूझ रहा विभाग
बारां में आईसीडीएस की उप निदेशक नीरू सांखला ने बताया कि जिले में विभाग, कर्मचारियों की भारी कमी से जूझ रहा है, जिससे योजनाओं के क्रियान्वयन, निगरानी पर असर पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि जिले में बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) के आठ पद स्वीकृत हैं, जबकि वर्तमान में सिर्फ दो पद पर ही अधिकारी काम कर रहे हैं। इसी तरह, महिला पर्यवेक्षकों के स्वीकृत 51 पदों में से केवल 18 पर कर्मचारी तैनात हैं।
उन्होंने बताया कि इसके बावजूद सहरिया जनजाति के परिवारों को पोषक आहार की आपूर्ति और वितरण निर्बाध तरीके से किया जा रहा है, लेकिन इस वर्ष सहरिया जनजाति के बच्चों के लिए ‘‘उपचारात्मक आहार'' के वास्ते नैगमिक सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) बजट आवंटित नहीं किया गया है। इस मसले ने सत्ताधारी और विपक्षी दोनों दलों के नेताओं का ध्यान अपनी ओर खींचा है।
बीजेपी बिधायक ललित मीणा का बयान
किशनगंज से राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के किशनगंज विधायक ललित मीणा ने पिछले सप्ताह उपचाराधीन बच्चों को दी जा रही स्वास्थ्य सुविधाओं का आकलन करने के लिए एमटीसी का दौरा किया था। मीणा ने मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को पत्र लिखकर सहरिया जनजाति बहुल शाहाबाद और किशनगंज क्षेत्रों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और उप-केंद्रों में नए एमटीसी स्थापित करने की मांग की। उन्होंने सहरिया जनजाति के परिवारों के लिए धन के आवंटन में बढ़ोतरी और सहरिया आदिवासियों के लिए उन योजनाओं को फिर से शुरू करने की भी मांग की जिन्हें राज्य की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने बंद कर दिया था।
मौजूदा स्थिति के लिए भाजपा सरकार जिम्मेदार- कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी की पूर्व स्थानीय विधायक निर्मला सहरिया ने समुदाय की मौजूदा स्थिति के लिए भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने राज्य में सत्ता में आने के बाद सहरिया जनजातियों के लिए योजनाएं बंद कर दी हैं। अनुमान है कि शाहाबाद-किशनगंज क्षेत्र में सहरिया जनजाति के 40 हजार परिवार रहते हैं। शाहाबाद खंड के प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी शेख आरिफ इकबाल ने बताया कि सर्वेक्षण के माध्यम से कुपोषित बच्चों की पहचान की गई थी और अब इनकी संख्या घटकर एक या दो रह गई हैं जो दिखाते हैं कि स्थिति धीरे-धीरे नियंत्रण में आ रही है।